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अमेरिका में H-1B वीजा धारकों के लिए सख्त हुए नियम: ट्रंप सरकार ने जारी किए तीन नए मानक

अमेरिका में H-1B वीजा धारकों के लिए सख्त हुए नियम: ट्रंप सरकार ने जारी किए तीन नए मानक

शोभना शर्मा।   अमेरिका में विदेशी पेशेवरों के बीच सबसे लोकप्रिय वर्क वीजा — H-1B वीजा — अब सख्त निगरानी के दौर से गुजर रहा है। भारतीय आईटी और इंजीनियरिंग पेशेवरों की बड़ी आबादी इसी वीजा के सहारे अमेरिका में काम करती है और स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) पाने की दिशा में कदम बढ़ाती है।

लेकिन अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिकी सरकार ने इस वीजा के तहत काम करने वाले लोगों के लिए तीन नए नियम लागू किए हैं। इस फैसले का असर सीधा भारत जैसे देशों पर पड़ेगा, जहां से सबसे अधिक H-1B वर्कर्स अमेरिका जाते हैं।

DHS प्रमुख क्रिस्टी नोएम ने दी नई दिशा

अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की प्रमुख क्रिस्टी नोएम ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका अब H-1B प्रोग्राम को और “सुरक्षित” और “पारदर्शी” बना रहा है। नोएम ने कहा, “हम अपने वीजा प्रोग्राम को जारी रखेंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका दुरुपयोग न हो। जो लोग अमेरिका आ रहे हैं, वे सही कारणों से आएं और देश की सुरक्षा के लिए कोई खतरा न बनें।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका के वीजा सिस्टम को सुधारने का उद्देश्य यह नहीं है कि विदेशी प्रतिभाओं को रोका जाए, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि केवल योग्य और ईमानदार लोग ही इस अवसर का लाभ उठाएं।

तीन नए नियम जो हर H-1B वीजा धारक को मानने होंगे

क्रिस्टी नोएम के अनुसार, अब H-1B वीजा धारकों के लिए तीन स्पष्ट नियम अनिवार्य होंगे। इन नियमों का उल्लंघन वीजा रद्द होने या आवेदन अस्वीकार होने का कारण बन सकता है।

  1. वीजा धारक किसी आतंकवादी संगठन का समर्थक नहीं होना चाहिए।
    इसका अर्थ है कि आवेदक या उसका कोई पारिवारिक सदस्य किसी ऐसे समूह से जुड़ा नहीं होना चाहिए, जिसे अमेरिका “आतंकी संगठन” मानता है।

  2. वीजा धारक सही और वैध कारणों से अमेरिका आ रहा हो।
    यानी व्यक्ति का उद्देश्य काम और कौशल विकास से जुड़ा हो, न कि किसी गलत या भ्रामक कारण से।

  3. वीजा धारक किसी ऐसे संगठन का समर्थन नहीं करे, जो अमेरिका से नफरत करता हो।
    यह शर्त अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम मानी जा रही है। इससे सुनिश्चित किया जाएगा कि विदेशी नागरिक देश के मूल्यों और संविधान का सम्मान करें।

इन नियमों के पालन के बाद ही वीजा स्वीकृति की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

भारतीय पेशेवरों पर असर

इन नए नियमों का सीधा असर भारतीय आईटी, टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा। हर साल अमेरिका करीब 85,000 H-1B वीजा जारी करता है, जिनमें से 60 से 70 प्रतिशत भारतीय नागरिकों को मिलते हैं। भारत के लिए यह कार्यक्रम न केवल रोजगार का साधन रहा है, बल्कि ग्रीन कार्ड और स्थायी निवास की दिशा में पहला कदम भी। लेकिन अब सुरक्षा और राजनीतिक मानकों के आधार पर आवेदन जांचे जाने से प्रक्रिया और भी कठिन हो सकती है। कई भारतीय वर्कर्स पहले से ही लंबे समय से ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा में हैं। नई नीति के बाद यह प्रक्रिया और धीमी हो सकती है।

ट्रंप सरकार का उद्देश्य क्या है?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार लगातार यह दावा करती रही है कि वह “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर काम कर रही है। इस नीति का मूल उद्देश्य है – अमेरिकी नागरिकों के रोजगार को प्राथमिकता देना और विदेशी श्रमिकों पर निर्भरता कम करना। हालांकि, H-1B प्रोग्राम को खत्म नहीं किया जा रहा है। बल्कि इसे और पारदर्शी बनाते हुए उन लोगों को अवसर देने पर जोर दिया जा रहा है जो वास्तव में देश के विकास में योगदान देना चाहते हैं। नोएम ने कहा, “हम केवल यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि H-1B प्रोग्राम का दुरुपयोग न हो। यह देश के टैलेंट पूल को बढ़ाने के लिए है, न कि उसके खिलाफ।”

बाइडेन प्रशासन पर ट्रंप सरकार की आलोचना

इंटरव्यू के दौरान क्रिस्टी नोएम ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन की नीतियों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बाइडेन सरकार के समय हजारों ऐसे लोग अमेरिका में प्रवेश कर गए जो आतंकवाद से जुड़े या संदिग्ध संगठनों के समर्थक थे। नोएम ने दावा किया कि ट्रंप प्रशासन इस गलती को सुधार रहा है और इमिग्रेशन सिस्टम को “मजबूत और विश्वसनीय” बना रहा है।

ट्रंप का बयान और बढ़ा विवाद

दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में ट्रंप ने खुद यह कहा था कि “अमेरिका को टैलेंटेड लोगों की जरूरत है।” उन्होंने यह भी माना कि अमेरिकी उद्योगों में टेक्निकल स्किल्स की कमी को पूरा करने के लिए H-1B जैसे प्रोग्राम बेहद आवश्यक हैं। हालांकि, ट्रंप समर्थकों ने इस बयान पर नाराज़गी जताई और कहा कि विदेशी वर्कर्स की वजह से अमेरिकी नागरिकों को नौकरी के अवसर कम मिल रहे हैं। इस तरह ट्रंप प्रशासन एक बार फिर उस मुश्किल स्थिति में है जहां उसे “सुरक्षा बनाम स्किल” की बहस को संतुलित करना होगा।

ग्रीन कार्ड प्रक्रिया भी हुई सख्त

नई नीतियों के साथ ही ग्रीन कार्ड (स्थायी निवास) की प्रक्रिया में भी सख्ती बढ़ाई गई है। अब प्रत्येक वीजा धारक की पृष्ठभूमि की विस्तृत जांच होगी, ताकि कोई भी गलत जानकारी देने वाला व्यक्ति नागरिकता हासिल न कर सके। हालांकि, DHS का दावा है कि अब पहले के मुकाबले ज्यादा लोग नागरिक बन रहे हैं, क्योंकि सिस्टम अधिक पारदर्शी और डिजिटल हो गया है।

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