मनीषा शर्मा, अजमेर । राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) ने राज्य के लाखों छात्रों के लिए परीक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव का निर्णय लिया है। अब राजस्थान बोर्ड की परीक्षाएं CBSE के पैटर्न पर तैयार की जाएंगी। इसके साथ ही, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुरूप सत्र 2026-27 से एकेडमिक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी — पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में और दूसरी परीक्षा मई में। इस निर्णय से करीब 20 लाख विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा।
अब साल में दो बार होंगी बोर्ड परीक्षाएं
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत बोर्ड परीक्षाओं को छात्रों के लिए कम तनावपूर्ण और अधिक अवसर आधारित बनाने की योजना के अंतर्गत यह कदम उठाया गया है। 2026-27 सत्र से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में होगी, जिसमें सभी छात्रों का शामिल होना अनिवार्य होगा। इस परीक्षा का परिणाम अप्रैल में घोषित किया जाएगा। इसके बाद दूसरी परीक्षा मई माह में होगी, जिसमें वे छात्र भाग ले सकेंगे जो फेल, सप्लीमेंट्री या अनुपस्थित रहे हों। इसके अलावा, जो विद्यार्थी अपने प्रदर्शन में सुधार (improvement) करना चाहें, उन्हें भी दूसरी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
पहली परीक्षा में उपस्थित होना अनिवार्य
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहली परीक्षा में छात्रों का उपस्थित होना अनिवार्य होगा। जो छात्र पहली परीक्षा में शामिल नहीं होंगे, वे सीधे दूसरी परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे, सिवाय विशेष परिस्थितियों में (जैसे — CWSN या खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्र)। पहली परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र यदि अपने अंकों में सुधार करना चाहें, तो वे दूसरी परीक्षा में भी शामिल हो सकते हैं। दोनों परीक्षाओं में प्राप्त अंकों में से सर्वोत्तम अंक अंतिम परिणाम के रूप में मान्य होंगे।
CBSE पैटर्न पर तैयार होंगे प्रश्न-पत्र
राजस्थान बोर्ड के प्रश्न-पत्र अब पूरी तरह CBSE पैटर्न पर आधारित होंगे। बोर्ड ने यह निर्णय लिया है कि आगामी सत्रों में केस-बेस्ड, स्रोत-आधारित, प्रकरण-आधारित, गद्यांश, चित्र और मानचित्र-आधारित प्रश्नों को शामिल किया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों की विश्लेषणात्मक, तार्किक और अवधारणात्मक समझ को बढ़ाना है। इसके तहत, बहुविकल्पीय (MCQ), रिक्त स्थान भरने वाले, अति लघुत्तरात्मक और लघुत्तरात्मक प्रश्नों की संख्या को घटाया जाएगा और 4 से 5 अंकों के तीन प्रश्न आंतरिक विकल्प (internal choice) के साथ जोड़े जाएंगे।
टीचरों की ट्रेनिंग होगी अनिवार्य
नई परीक्षा प्रणाली के सुचारू क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि शिक्षकों को प्रश्न-पत्र निर्माण और मूल्यांकन की प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही, छात्रों की समझ विकसित करने के लिए केस-बेस्ड प्रश्नों पर विशेष वर्कशॉप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग आयोजित की जाएगी। राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल (RSOS) और राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (RSCERT) के संयुक्त प्रयास से एक प्रश्न बैंक (Question Bank) भी तैयार किया जाएगा, जिससे छात्रों को अभ्यास और तैयारी में मदद मिल सकेगी।
सत्रांक योजना (Internal Marks System) यथावत
राजस्थान बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि 10वीं और 12वीं कक्षा की सभी विषयों में सत्रांक योजना (Internal Marks System) पहले की तरह ही जारी रहेगी। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। पूरे शैक्षणिक वर्ष के दौरान छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन के नंबर पहले की तरह जोड़े जाएंगे।
बैठक में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय
इस संबंध में स्कूल शिक्षा (ग्रुप-5) विभाग के शासन उप सचिव राजेश दत्त माथुर ने आदेश जारी किए हैं। 16 अक्टूबर 2025 को जयपुर में शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था। बैठक में तत्कालीन बोर्ड सचिव कैलाश चंद्र शर्मा, ओएसडी नीतू यादव, एफए रश्मि बिस्सा, निदेशक शैक्षिक दर्शना शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि शिक्षा में समानता और गुणवत्ता लाने के लिए राजस्थान बोर्ड को CBSE की तर्ज पर कार्य करना चाहिए ताकि राज्य के छात्र राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
CWSN और खेल प्रतिभाओं को विशेष छूट
राज्य सरकार ने विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों (CWSN) और खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के लिए राहत का प्रावधान भी किया है। यदि वे किसी कारणवश पहली परीक्षा से वंचित रह जाते हैं, तो उन्हें दूसरी परीक्षा में बिना किसी रुकावट के बैठने की अनुमति दी जाएगी।
राजस्थान के छात्रों को मिलेगा बेहतर अवसर
राजस्थान बोर्ड का यह नया परीक्षा पैटर्न शिक्षा प्रणाली में लचीलापन (flexibility) और न्यायसंगत मूल्यांकन (fair evaluation) सुनिश्चित करेगा। इससे न केवल छात्रों को आत्मविश्वास बढ़ाने का अवसर मिलेगा बल्कि बार-बार असफल होने के डर से भी राहत मिलेगी। दो बार परीक्षा प्रणाली से फेल या अनुपस्थित छात्र अगली परीक्षा में अपनी गलतियों को सुधार सकेंगे और बेहतर अंक प्राप्त कर पाएंगे।


