मनीषा शर्मा। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) ने विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा फीस में बढ़ोतरी कर दी है। अब सभी विद्यार्थियों — चाहे वे रेगुलर हों या प्राइवेट — को समान रूप से 850 रुपए परीक्षा शुल्क देना होगा। पहले रेगुलर छात्रों से 600 रुपए और प्राइवेट छात्रों से 650 रुपए लिए जाते थे। वहीं, प्रायोगिक (प्रैक्टिकल) परीक्षा का शुल्क भी दोगुना कर दिया गया है। अब प्रत्येक विषय के लिए 200 रुपए का भुगतान करना होगा।
बोर्ड की यह संशोधित फीस शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होगी। इससे पहले, 2017 में परीक्षा शुल्क में अंतिम बार बदलाव किया गया था। आठ साल बाद यह पहला मौका है जब बोर्ड ने परीक्षा शुल्क में वृद्धि की है।
राज्य सरकार ने मंजूर किया बोर्ड का प्रस्ताव
राजस्थान बोर्ड ने परीक्षा शुल्क बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसे हाल ही में मंजूरी दे दी गई है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा (ग्रुप-5) विभाग के शासन उप सचिव राजेश दत्त माथुर ने आदेश जारी किए हैं।
16 अक्टूबर को जयपुर में शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह प्रस्ताव विस्तार से चर्चा के बाद पारित किया गया। बैठक में तत्कालीन बोर्ड सचिव कैलाश चंद्र शर्मा, ओएसडी नीतू यादव, एफए रश्मि बिस्सा, निदेशक शैक्षिक दर्शना शर्मा और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
हर तीन साल में होगी फीस संरचना की समीक्षा
बैठक में यह भी तय किया गया कि अब बोर्ड की परीक्षा शुल्क संरचना की समीक्षा हर तीन वर्ष में की जाएगी। इस निर्णय का उद्देश्य है कि शिक्षा व्यवस्था और वित्तीय आवश्यकताओं के अनुरूप परीक्षा शुल्क को समय-समय पर अपडेट किया जा सके।
इससे न केवल बोर्ड की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि परीक्षा संचालन की गुणवत्ता में भी सुधार लाने में मदद मिलेगी।
बोर्ड की आय में होगी बढ़ोतरी
राजस्थान बोर्ड को अब तक परीक्षा शुल्क से लगभग 130 करोड़ रुपए की आय होती थी। इसके अलावा, संबद्धता शुल्क, प्रमाण पत्र संशोधन और प्रतिलिपि प्रलेख शुल्क जैसे अन्य स्रोतों से करीब 20 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होती थी। यानी कुल मिलाकर बोर्ड की वार्षिक आय लगभग 150 करोड़ रुपए थी।
परीक्षा शुल्क बढ़ने के बाद बोर्ड की कुल आय में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। नई फीस व्यवस्था से बोर्ड को परीक्षा संचालन, मूल्यांकन केंद्रों की व्यवस्था और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने में सहायता मिलेगी।
परीक्षा शुल्क में कितना बढ़ा अंतर?
नए नियमों के तहत रेगुलर छात्रों को अब 250 रुपए अधिक और प्राइवेट छात्रों को 200 रुपए अधिक देने होंगे। वहीं, प्रैक्टिकल परीक्षा शुल्क को 100 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए कर दिया गया है। इस फैसले से राज्य के करीब 20 लाख छात्रों पर सीधा असर पड़ेगा जो हर साल 10वीं और 12वीं की परीक्षा में शामिल होते हैं।
2017 के बाद पहली बार बढ़ी फीस
बोर्ड द्वारा 2017 में तय की गई फीस संरचना अब तक लागू थी। पिछले आठ वर्षों में मुद्रास्फीति, तकनीकी सुविधाओं के विस्तार और परीक्षा संचालन पर बढ़ते खर्च को देखते हुए बोर्ड ने यह कदम उठाया है। अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि संतुलित और आवश्यक है ताकि परीक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा सके।
शिक्षा विभाग ने बताया तर्क
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा से संबंधित खर्चों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उत्तर पुस्तिकाओं की प्रिंटिंग, प्रश्न पत्रों की सुरक्षा, मूल्यांकन केंद्रों की निगरानी, ऑनलाइन डेटा प्रबंधन और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गया है। ऐसे में बोर्ड की आय में संतुलन लाने के लिए परीक्षा शुल्क में संशोधन जरूरी था।


