दिल्ली में हुए हालिया ब्लास्ट के बाद गुजरात एटीएस (Anti-Terrorism Squad) ने तीन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में सामने आया है कि इन आतंकियों का नेटवर्क राजस्थान से जुड़ा हुआ था और उन्होंने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हनुमानगढ़ में हथियार मंगवाए थे। यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद चौंकाने वाला है, क्योंकि अब तक यह नेटवर्क राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों से संचालित होने के संकेत दे रहा है।
गुजरात एटीएस की बड़ी कार्रवाई
गुजरात एटीएस ने तीन संदिग्ध आतंकियों — हैदराबाद निवासी डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद (35), उत्तर प्रदेश के शामली निवासी आजाद सुलेमान शेख (20) और लखीमपुर खीरी के छात्र मोहम्मद सुहैल उर्फ सलीम खान (23) — को गिरफ्तार किया। शुरुआती पूछताछ में तीनों ने कबूल किया कि वे आईएसआईएस (ISIS) संगठन के लिए काम कर रहे थे।
एटीएस सूत्रों के अनुसार, ये तीनों आतंकवादी दो अलग-अलग मॉड्यूल से जुड़े हुए थे और उत्तर प्रदेश में मिले थे। इसके बाद हनुमानगढ़ के रास्ते होकर गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे, जहां वे हथियारों के साथ छिपे हुए थे। उनकी योजना देश के कई हिस्सों में धमाके करने की थी।
राजस्थान से मिला हथियारों का लिंक
पूछताछ में सामने आया कि आतंकियों ने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में हथियारों की खेप मंगवाई थी। यह खेप हनुमानगढ़ के ग्रामीण इलाके में गिराई गई थी, जहां से स्थानीय संपर्कों की मदद से आतंकियों ने हथियारों को उठाया और गुजरात पहुंच गए।
गुजरात एटीएस ने आतंकियों के पास से दो ग्लॉक पिस्तौल, एक बेरेटा पिस्तौल और 30 कारतूस बरामद किए हैं। इसके अलावा उनके पास से 4 लीटर अरंडी का तेल भी मिला, जिसका इस्तेमाल घातक रासायनिक जहर “राइसिन” तैयार करने में किया जाता है।
जांच में यह भी पता चला है कि मुख्य आरोपी सैयद ने रासायनिक मिश्रण के जरिए राइसिन तैयार करने की कोशिश शुरू कर दी थी। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 17 नवंबर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
राजस्थान एटीएस भी हुई सक्रिय
गुजरात एटीएस की कार्रवाई के बाद राजस्थान में भी सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। राजस्थान एटीएस की विशेष टीम को गुजरात भेजा गया है ताकि गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ कर यह पता लगाया जा सके कि पाकिस्तान से गिराए गए हथियार राजस्थान में कहां और किसके माध्यम से पहुंचे।
एटीएस यह भी जांच कर रही है कि क्या प्रदेश में कोई स्थानीय स्लीपर सेल या बिचौलिया नेटवर्क सक्रिय था, जो हथियारों की सप्लाई और आतंकियों की आवाजाही में मदद कर रहा था।
भले ही हनुमानगढ़ जिले की पाकिस्तान से सीधी सीमा नहीं लगती, लेकिन समीपवर्ती श्रीगंगानगर जिले की अंतरराष्ट्रीय सीमा से पहले भी ड्रोन के जरिए मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
सुरक्षा एजेंसियों पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने राजस्थान की खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आतंकियों ने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये हथियार गिरवाए, लेकिन स्थानीय पुलिस और खुफिया तंत्र को इसकी जानकारी तक नहीं मिली।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी ड्रोन ने राजस्थान की सीमा में घुसपैठ की हो। इससे पहले श्रीगंगानगर और बाड़मेर जिलों में भी ड्रोन से नशे की खेप गिराई जाने के कई मामले दर्ज हो चुके हैं। अब जब हथियारों की खेप गिराने की पुष्टि हुई है, तो यह प्रदेश की सुरक्षा प्रणाली के लिए बड़ा खतरे का संकेत माना जा रहा है।
राज्य सरकार ने इस घटना के बाद सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ाने और ड्रोन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई है।


