शोभना शर्मा। विटामिन B12 हमारे शरीर के लिए उन पोषक तत्वों में से एक है जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इसे आयुर्वेद में “मज्जावर्धक तत्व” कहा गया है क्योंकि यह शरीर की ऊर्जा, ओज और तंत्रिका शक्ति को बनाए रखता है। जब शरीर में बी12 की कमी होती है, तो इसका असर धीरे-धीरे दिखने लगता है और यदि इसे नजरअंदाज किया जाए, तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आज के समय में यह कमी विशेष रूप से शाकाहारी और वीगन लोगों में तेजी से बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि विटामिन बी12 का प्राकृतिक स्रोत लगभग पूरी तरह से मांसाहारी उत्पादों में पाया जाता है, जबकि शाकाहारी भोजन में इसकी मात्रा बहुत कम होती है।
विटामिन B12 क्यों जरूरी है?
विटामिन बी12 शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करता है—
यह लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के निर्माण में सहायक होता है।
यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखता है।
यह डीएनए संश्लेषण, ऊर्जा उत्पादन और मानसिक एकाग्रता बनाए रखने में मदद करता है।
जब यह विटामिन शरीर में पर्याप्त मात्रा में नहीं होता, तो व्यक्ति को बार-बार थकान, भूलने की बीमारी और कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
विटामिन B12 की कमी के प्रमुख लक्षण
लगातार थकान या कमजोरी महसूस होना — बिना किसी शारीरिक मेहनत के भी थकावट रहना।
याददाश्त कमजोर होना — छोटी-छोटी बातें भूल जाना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन — तंत्रिकाओं के कमजोर पड़ने के कारण यह सामान्य लक्षण है।
मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन — अवसाद (Depression) या चिंता की स्थिति का बढ़ना।
त्वचा का पीला पड़ना और जीभ का लाल होना — रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी और कोशिकाओं की कमजोरी इसका कारण होती है।
यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है, क्योंकि यह संकेत हैं कि शरीर में विटामिन बी12 का स्तर घट रहा है।
शाकाहारियों में B12 की कमी के कारण
मांसाहारी खाद्य पदार्थों की अनुपस्थिति:
बी12 का मुख्य स्रोत मांस, अंडे और मछली हैं। इसलिए शाकाहारी और वीगन लोग इस विटामिन से वंचित रह जाते हैं।पाचन तंत्र की कमजोरी:
जब पाचन अग्नि कमजोर होती है या पेट में एसिड का स्तर घट जाता है, तो शरीर भोजन से बी12 को ठीक से Absorb नहीं कर पाता।जीवनशैली से जुड़ी आदतें:
अत्यधिक चाय और कॉफी का सेवन, लंबे समय तक एसिडिटी की दवाओं का उपयोग और नींद की कमी बी12 के अवशोषण को बाधित करती है।आंतों में बैक्टीरिया का असंतुलन:
अच्छे बैक्टीरिया की कमी होने से पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता कम हो जाती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बी12 की कमी
आयुर्वेद के अनुसार बी12 की कमी मज्जा धातु की कमजोरी से जुड़ी होती है। जब मज्जा धातु (जो तंत्रिकाओं और अस्थि मज्जा को पोषण देती है) कमजोर होती है, तो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर कमजोर महसूस करता है।
आयुर्वेद इसके लिए पाचन अग्नि को मजबूत करने और लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर देता है। यह शरीर को पोषक तत्वों को बेहतर ढंग से अवशोषित करने में मदद करता है।
बी12 की कमी के आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपाय
त्रिफला या हिंगवाष्टक चूर्ण का सेवन:
ये दोनों चूर्ण पाचन को सुधारते हैं और शरीर को बी12 को बेहतर ढंग से अवशोषित करने में मदद करते हैं।लिवर और पाचन के लिए औषधियां:
आयुर्वेदिक ग्रंथों में गिलोय, अश्वगंधा, शतावरी और ब्राह्मी जैसे तत्वों को मज्जा धातु को पोषण देने वाला बताया गया है।बीजों का सेवन:
तिल, सूरजमुखी, अलसी और चिया सीड्स जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर बीजों का सेवन करें। ये तंत्रिकाओं की शक्ति बढ़ाते हैं और मज्जा को पोषित करते हैं।डेयरी उत्पादों को आहार में शामिल करें:
दूध, दही, घी और मूंग दाल जैसे खाद्य पदार्थ शाकाहारियों के लिए बी12 के अच्छे स्रोत हैं।जीवनशैली में सुधार:
रोज सुबह 10–15 मिनट धूप में बैठें ताकि शरीर में विटामिन D का उत्पादन हो सके।
चाय और कॉफी की मात्रा सीमित करें।
पर्याप्त नींद लें और नियमित योग-प्राणायाम करें।
आधुनिक चिकित्सा के अनुसार उपाय
यदि बी12 की कमी ज्यादा है, तो केवल आहार और जीवनशैली से इसे पूरा करना मुश्किल होता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से मिथाइलकोबालामिन (Methylcobalamin) सप्लीमेंट या इंजेक्शन लेना आवश्यक होता है। यह शरीर में तुरंत असर करता है और कमजोरी को कम करता है।
विटामिन बी12 की कमी सिर्फ आहार की नहीं, बल्कि जीवनशैली और पाचन तंत्र की असंतुलन की समस्या है। शाकाहारी लोग यदि आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार पाचन शक्ति को बढ़ाएं, संतुलित आहार लें और नियमित रूप से डॉक्टर की जांच कराएं, तो इस कमी को स्वाभाविक रूप से दूर किया जा सकता है।


