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कोटा स्टेशन पर गहलोत के सामने धारीवाल और गुंजल समर्थक भिड़े

कोटा स्टेशन पर गहलोत के सामने धारीवाल और गुंजल समर्थक  भिड़े

मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजनीति में इन दिनों हलचल लगातार तेज होती जा रही है। शनिवार की देर रात कोटा रेलवे स्टेशन पर एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब अंता विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के लिए बारां जाने पहुंचे, तो स्टेशन पर उनका स्वागत करने आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही भिड़ंत हो गई।

गहलोत के ट्रेन से उतरते ही शांति धारीवाल और प्रहलाद गुंजल के समर्थक आमने-सामने आ गए। दोनों गुटों के बीच नारेबाजी शुरू हो गई, जो कुछ ही मिनटों में धक्का-मुक्की और हंगामे में बदल गई। स्टेशन का माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

पुलिस की मौजूदगी में भी नोकझोंक जारी

सूत्रों के अनुसार, जैसे ही दोनों गुटों के समर्थक आमने-सामने आए, माहौल गर्म हो गया। पुलिस ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन समर्थक अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं थे। पुलिस से बहस और नारेबाजी का दौर चलता रहा।

इस पूरे हंगामे के दौरान न तो शांति धारीवाल और न ही प्रहलाद गुंजल वहां मौजूद थे। दोनों ही नेता गहलोत के स्वागत के लिए स्टेशन नहीं पहुंचे। स्थिति बिगड़ती देख अशोक गहलोत ने ज्यादा देर रुकना उचित नहीं समझा और सीधे वाहन में बैठकर बारां जिले के लिए रवाना हो गए।

गुटबाजी की पुरानी जड़ें: धारीवाल बनाम गुंजल खेमे की खींचतान

राजस्थान कांग्रेस में धारीवाल बनाम गुंजल गुट की खींचतान कोई नई बात नहीं है। पूर्व मंत्री शांति धारीवाल लंबे समय से अशोक गहलोत खेमे के प्रमुख नेता माने जाते हैं, जबकि प्रहलाद गुंजल हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और वे सचिन पायलट तथा गोविंद सिंह डोटासरा के करीबी माने जाते हैं।

गुंजल के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से ही दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच शक्ति प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया था। हर बड़े कार्यक्रम में दोनों गुट अपने-अपने नेता के नाम के नारे लगाकर ताकत दिखाते हैं।

पिछले कार्यक्रमों में भी दिखी गुटबाजी

यह पहला मौका नहीं है जब धारीवाल और गुंजल के समर्थक आमने-सामने आए हों। हाल ही में जब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब दिल्ली से आए पर्यवेक्षक की मौजूदगी में भी दोनों गुटों में हंगामा हुआ था।

दोनों पक्षों ने अपने-अपने नेताओं के समर्थन में नारेबाजी की थी, जिससे पार्टी नेतृत्व को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। कांग्रेस के भीतर यह गुटीय संघर्ष अब बार-बार सार्वजनिक मंचों पर दिखने लगा है, जिससे पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

धारीवाल और गुंजल की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

शांति धारीवाल और प्रहलाद गुंजल के बीच प्रतिद्वंद्विता का इतिहास तीन विधानसभा चुनावों से जुड़ा है। जब गुंजल बीजेपी में थे, तब उन्होंने कोटा उत्तर विधानसभा सीट से धारीवाल के खिलाफ तीन बार चुनाव लड़ा।

इनमें से दो बार शांति धारीवाल ने जीत दर्ज की, जबकि एक बार प्रहलाद गुंजल ने धारीवाल को मात दी थी। यही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अब कांग्रेस के अंदर गुटबाजी के रूप में दिखाई दे रही है।

कांग्रेस नेतृत्व के लिए चुनौती

कांग्रेस हाईकमान के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन गई है। प्रदेश में पहले से ही गहलोत बनाम पायलट गुट की खींचतान बनी हुई है, वहीं अब कोटा में धारीवाल बनाम गुंजल विवाद ने पार्टी के भीतर नई दरार पैदा कर दी है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, आलाकमान इस पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट तलब कर सकता है। संगठन में एकजुटता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की संभावना भी जताई जा रही है।

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