शोभना शर्मा। राजस्थान सरकार ने राज्य में श्रमिकों के हितों और कार्यस्थल पर सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से दो अहम अध्यादेशों को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने “राजस्थान दुकान एवं वाणिज्य संस्थान (संशोधन) अध्यादेश 2025” और “राजस्थान कारखाना (संशोधन) नियम 2025” को स्वीकृति दी है। इन दोनों अध्यादेशों के जरिए राज्य में रोजगार, सुरक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में अहम सुधार किए गए हैं।
अब 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे नहीं कर सकेंगे काम
राजस्थान दुकान एवं वाणिज्य संस्थान (संशोधन) अध्यादेश 2025 में सरकार ने नाबालिगों के काम करने की आयु सीमा में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी दुकान या वाणिज्यिक प्रतिष्ठान में नियोजित नहीं किया जा सकेगा।
पहले प्रशिक्षु के रूप में कार्य करने की न्यूनतम उम्र 12 वर्ष निर्धारित थी, जिसे अब बढ़ाकर 14 वर्ष किया गया है।
इसके साथ ही, रात्रि के समय 14 से 18 वर्ष के किशोरों को काम करने की अनुमति नहीं होगी। पहले यह सीमा 12 से 15 वर्ष तक सीमित थी। यह प्रावधान बाल श्रम को रोकने और किशोरों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कार्य अवधि में बदलाव, ओवरटाइम सीमा भी बढ़ी
नए अध्यादेश के अनुसार दैनिक कार्य अवधि की अधिकतम सीमा 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दी गई है। इसके अलावा, ओवरटाइम की अधिकतम सीमा भी तिमाही में 144 घंटे तक बढ़ाई गई है। पहले यह सीमा इससे कम थी।
सरकार का मानना है कि इन प्रावधानों से दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और औद्योगिक इकाइयों की उत्पादकता में सुधार होगा और रोजगार संरचना को अधिक लचीला बनाया जा सकेगा।
प्रचलित राजस्थान दुकान एवं वाणिज्य संस्थान अधिनियम 1958 में 12 से 15 वर्ष तक के किशोर अधिकतम 3 घंटे प्रतिदिन कार्य कर सकते थे। नए अध्यादेश में इसे संशोधित कर 14 से 18 वर्ष तक के किशोरों को सीमित कार्य अवसर प्रदान किए गए हैं, जिससे श्रम शोषण की संभावना को रोका जा सके।
महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा प्रावधान
राजस्थान कारखाना (संशोधन) नियम 2025 में महिलाओं की कार्यस्थल सुरक्षा और समान अवसर को ध्यान में रखते हुए कई प्रावधान जोड़े गए हैं। अब विशिष्ट प्रकृति के कारखानों में महिलाओं को काम पर रखने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए।
नए नियमों के तहत गर्भवती और धात्री महिलाओं के अलावा अन्य महिलाएं भी कारखानों में काम कर सकेंगी, लेकिन इसके लिए नियोक्ताओं को सुरक्षा उपकरणों की पूरी व्यवस्था करनी होगी। इसमें फेस शील्ड, मास्क, हीट शील्ड, ग्लव्स, और श्वसन तंत्र की सुरक्षा के उपकरण शामिल होंगे।
इसके साथ ही, सभी श्रमिकों को सुरक्षा प्रशिक्षण और वायु गुणवत्ता निगरानी सुनिश्चित करनी होगी। यह बदलाव महिला श्रमिकों को उद्योगों में अधिक अवसर देने और उनकी कार्यस्थल सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया है।
खतरनाक कार्यों में प्रतिबंध हटाए गए
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की कंप्लायंस रिडक्शन एंड डिरेगुलेशन डॉकेट की सिफारिशों के अनुरूप इन संशोधनों को लागू किया है। इसके तहत महिला श्रमिकों पर लगाए गए कुछ खतरनाक प्रकृति के कार्यों में प्रतिबंध हटाए गए हैं, जिससे उन्हें समान रोजगार अवसर मिल सकें।
सरकार का कहना है कि यह बदलाव समानता के सिद्धांत और आधुनिक कार्य संस्कृति के अनुरूप हैं। इन प्रावधानों से न केवल महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि उद्योगों को भी प्रशिक्षित और सक्षम श्रमिक बल मिलेगा।


