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राजस्थान में बोनस नीति पर बवाल: शिक्षा बोर्ड कर्मचारियों को 35 हजार, शिक्षकों में गहरा आक्रोश

राजस्थान में बोनस नीति पर बवाल: शिक्षा बोर्ड कर्मचारियों को 35 हजार, शिक्षकों में गहरा आक्रोश

शोभना शर्मा।  राजस्थान सरकार की बोनस नीति को लेकर इस बार दीपावली से पहले ही नाराजगी और असंतोष का माहौल बन गया है। शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और शिक्षक संगठनों ने सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के कार्मिकों को 35,000 रुपए बोनस दिए जाने के बाद अन्य विभागों के कर्मचारियों और शिक्षकों ने इसे ‘वित्तीय असमानता’ बताया है। जहां शिक्षा बोर्ड के कर्मचारी दीपावली से पहले मोटा बोनस पाकर खुश हैं, वहीं शिक्षकों को मात्र 6,774 रुपए का बोनस मिला है। इससे शिक्षा जगत में असंतोष और आक्रोश का माहौल फैल गया है।

बोर्ड कार्मिकों को 35 हजार रुपए का बोनस

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के सूत्रों के अनुसार, इस बार दीपावली से पूर्व बोर्ड के नियमित कार्मिकों के साथ-साथ डेपुटेशन पर कार्यरत अधिकारियों को भी 35 हजार रुपए का बोनस दिया गया है। यह राशि सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित की गई है। बताया जा रहा है कि यह लगातार दूसरा वर्ष है जब बोर्ड इतिहास में इतनी बड़ी राशि का बोनस दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह बोनस बोर्ड की स्व-वित्तीय आय से दिया गया है, न कि राज्य सरकार के कोष से।

शिक्षकों में रोष, बोनस पर सवाल

दूसरी ओर, शिक्षकों को इस बार मात्र 6,774 रुपए बोनस मिला है, जिसमें से 25 प्रतिशत राशि जीपीएफ खाते में जमा की गई और शिक्षकों को सिर्फ 5,080 रुपए नकद मिले हैं। इस असमानता को लेकर शिक्षकों में नाराजगी चरम पर है। शिक्षक संगठन ‘रेसटा’ (Rajasthan Education Staff and Teachers Association) के प्रदेशाध्यक्ष मोहरसिंह सलावद ने इस नीति को “दोहरी मानसिकता और वित्तीय अन्याय” बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए मांग की है कि या तो सभी सरकारी कर्मचारियों को 35 हजार रुपए बोनस दिया जाए या फिर शिक्षा बोर्ड के कार्मिकों से अतिरिक्त राशि वसूली जाए।

“यह मैनेज्ड करप्शन है”: रेसटा अध्यक्ष

रेसटा अध्यक्ष मोहरसिंह सलावद ने तीखे शब्दों में कहा कि यह बोनस वितरण एक प्रकार का “मैनेज्ड करप्शन” है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा बोर्ड अपने कार्मिकों को अनुचित लाभ पहुंचा रहा है जबकि बोर्ड की आय का मुख्य स्रोत विद्यालयों से ली जाने वाली फीस और शिक्षकों का श्रम है। उन्होंने कहा कि परीक्षा व्यवस्था, कॉपी जांच और वीक्षण कार्य से लेकर मूल्यांकन तक शिक्षक ही मेहनत करते हैं, लेकिन जब बोनस या वित्तीय लाभ बांटने की बात आती है, तो अधिकारी और बाबू वर्ग अधिकतम फायदा उठा लेते हैं।

बोनस असमानता पर आंदोलन की चेतावनी

शिक्षक संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार ने इस वित्तीय असमानता को जल्द खत्म नहीं किया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने को बाध्य होंगे। सलावद ने कहा, “या तो सभी कर्मचारियों को 35 हजार रुपए बोनस दो या फिर शिक्षा बोर्ड के कार्मिकों से 28 हजार रुपए रिफंड कराओ।” उन्होंने बताया कि सरकार को कर्मचारियों के बीच समानता रखनी चाहिए ताकि विभागों में असंतोष और विभाजन की भावना न पनपे।

वित्तीय असमानता से बढ़ा असंतोष

राज्य के कई जिलों से मिल रही जानकारी के अनुसार, शिक्षक संघों के साथ-साथ अन्य विभागों के कर्मचारी संगठनों ने भी इस नीति का विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि समान कार्य करने वाले कर्मचारियों के बीच इतना बड़ा अंतर वित्तीय न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। राज्य कर्मचारियों का कहना है कि अगर एक विभाग के कर्मचारियों को 35 हजार रुपए बोनस मिल सकता है, तो अन्य विभागों को इससे वंचित रखना अनुचित है।

शिक्षा बोर्ड की दलील

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि यह बोनस बोर्ड के स्वयं के संसाधनों से दिया गया है और इसका राज्य सरकार की नीति से कोई सीधा संबंध नहीं है। बोर्ड की परीक्षा फीस, प्रमाणपत्र शुल्क और अन्य सेवाओं से आय होती है, जिससे कर्मचारियों को यह बोनस प्रदान किया गया। हालांकि, शिक्षक संगठनों का कहना है कि बोर्ड की आय शिक्षकों की मेहनत से ही आती है, क्योंकि वही परीक्षा कार्य, मूल्यांकन और वीक्षण का दायित्व निभाते हैं। ऐसे में बोर्ड के कर्मचारियों को अलग से बोनस देना अनुचित है।

सरकार पर दबाव बढ़ा

राज्य सरकार के लिए यह मामला राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टि से संवेदनशील बन गया है। चुनावी साल में कर्मचारियों और शिक्षकों का असंतोष किसी भी सरकार के लिए चिंता का विषय होता है। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार, सरकार इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए रिपोर्ट तैयार कर रही है। संभावना है कि आने वाले सप्ताह में इस विषय पर उच्च स्तर पर निर्णय लिया जा सकता है।

राजस्थान में बोनस वितरण को लेकर शिक्षा बोर्ड और अन्य विभागों के बीच असमानता ने सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। जहां बोर्ड कर्मी खुश हैं, वहीं शिक्षकों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार सभी कर्मचारियों के लिए समान बोनस नीति लागू करती है या नहीं।

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