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पुष्कर मेला 2025: 22 अक्टूबर से रौनक शुरू, पहली बार गूगल मैप पर लाइव ट्रैफिक अपडेट

पुष्कर मेला 2025: 22 अक्टूबर से रौनक शुरू, पहली बार गूगल मैप पर लाइव ट्रैफिक अपडेट

शोभना शर्मा, अजमेर।  राजस्थान के अजमेर जिले में प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला 2025 की अनौपचारिक शुरुआत 22 अक्टूबर से हो गई है। यह मेला राजस्थान के सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव का प्रतीक माना जाता है। मेले का औपचारिक उद्घाटन 30 अक्टूबर को ध्वजारोहण और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ किया जाएगा, जबकि मेला 6 नवंबर तक चलेगा। पुष्कर के धोरों में इस समय देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों का जमावड़ा शुरू हो चुका है। अभी पशुओं की संख्या सीमित है, लेकिन अगले कुछ दिनों में ऊंट, घोड़े और अन्य पशुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है।

पहली बार पांच दिन वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था

इस बार पुष्कर मेले में प्रशासन ने यातायात प्रबंधन के लिए बड़ा बदलाव किया है। पहले जहां दो दिन के लिए वन-वे व्यवस्था लागू होती थी, वहीं इस बार 1 से 5 नवंबर तक पांच दिन तक वन-वे ट्रैफिक सिस्टम रहेगा। मेला अधिकारी घीया ने बताया कि अजमेर-पुष्कर मार्ग पर यह व्यवस्था लागू होगी ताकि बढ़ती भीड़ और वाहनों के दबाव को नियंत्रित किया जा सके। अभी तक 200 से अधिक पशु मेला स्थल पर पहुंच चुके हैं, जिनमें 196 ऊंट, 10 अश्ववंश और 1 बैल शामिल हैं। रेतीले धोरों में अब ऊंटों की टापों की आवाज़ गूंजने लगी है, और विदेशी पर्यटक कैमल सफारी का आनंद लेने लगे हैं।

तकनीक और प्रबंधन का नया संगम: गूगल मैप पर लाइव अपडेट

पुष्कर मेला इस बार केवल परंपरा का नहीं, बल्कि तकनीक और आधुनिक प्रबंधन का उदाहरण भी बनेगा। प्रशासन और पुलिस ने मेले की भीड़ व ट्रैफिक नियंत्रण के लिए गूगल मैप का सहारा लिया है। अब पर्यटकों को लाइव ट्रैफिक अपडेट, पार्किंग लोकेशन, वैकल्पिक मार्ग और डायवर्जन जानकारी रीयल टाइम में उपलब्ध होगी। इसके साथ ही मेला क्षेत्र में बड़े फ्लैक्स और बैनर लगाए जा रहे हैं, जिन पर ‘‘आप यहां हैं’’ (You are here) जैसी लोकेशन आधारित सूचनाएं दी जाएंगी। इन फ्लैक्स पर पैदल यात्रियों, दुपहिया और चौपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग मार्ग की जानकारी भी प्रदर्शित होगी। इससे मेले में पहुंचने वाले पर्यटकों को अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी।

सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान

पुष्कर सरोवर के घाटों पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर प्रशासन ने विशेष तैयारी की है। 52 घाटों पर गहरे जल के संकेतक के रूप में लाल झंडे लगाए गए हैं। सिविल डिफेंस की 70 सदस्यीय टीम इन घाटों पर तैनात की गई है, जिनमें 20 महिला सदस्य भी शामिल हैं। टीम प्रभारी किशनलाल चौधरी के अनुसार, कुल 100 सिविल डिफेंस सदस्य मेले के दौरान सुरक्षा में तैनात रहेंगे। इसके अलावा, नगर परिषद और जिला प्रशासन ने घाटों के आसपास विद्युत रोशनी और साफ-सफाई के विशेष इंतजाम भी शुरू कर दिए हैं। मेले का धार्मिक उद्घाटन गोपाष्टमी तिथि पर झंडारोहण, महा आरती और दीपदान के साथ होगा। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु और साधु-संत पुष्कर सरोवर के तट पर एकत्र होंगे।

रेत के धोरों पर सजी सैंड आर्ट — आकर्षण का केंद्र बना वीर तेजाजी का प्रतिरूप

पुष्कर के नए मेला मैदान में इस बार सबसे बड़ा आकर्षण सैंड आर्ट इंस्टॉलेशन बना हुआ है। गनाहेड़ा के सैंड आर्टिस्ट अजय रावत ने लगभग एक लाख टन बालू मिट्टी से वीर तेजाजी की 51 फीट ऊंची और 60 फीट चौड़ी प्रतिकृति तैयार की है। इस विशाल कलाकृति को बनाने में 25 दिन और 20 टैंकर पानी लगा। अजय रावत इससे पहले भी 21 फीट ऊंची महाराणा प्रताप, 35 फीट हवामहल और 40 फीट का राम मंदिर जैसी अनेक सैंड आर्ट तैयार कर चुके हैं। यह सैंड आर्ट मेले का केंद्रबिंदु बन गया है, जहां पर्यटक फोटो और वीडियो बनाने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

कैमल सफारी से लौट रही है पुष्कर की रौनक

पुष्कर का सबसे बड़ा आकर्षण उसकी कैमल सफारी और पशु व्यापार परंपरा है। इस साल भी विदेशी पर्यटक थार की रेत में ऊंटों की सवारी का भरपूर आनंद ले रहे हैं। रेतीले धोरों में सजाए गए ऊंट, पारंपरिक वेशभूषा और लोक संगीत मेले को जीवंत बना रहे हैं। स्थानीय व्यापारियों और ऊंट मालिकों ने बताया कि जैसे-जैसे कार्तिक पूर्णिमा करीब आएगी, मेले में ऊंटों की संख्या और पर्यटकों की भीड़ दोनों बढ़ती जाएगी।

पुष्कर मेले में परंपरा और आधुनिकता का संगम

पुष्कर मेला केवल ऊंटों और पशुओं का व्यापार नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और पर्यटन का संगम है। इस बार प्रशासन ने इसे स्मार्ट मैनेजमेंट मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। वन-वे ट्रैफिक, गूगल मैप पर अपडेट, फ्लैक्स गाइडेंस और घाटों की सुरक्षा व्यवस्था—ये सभी बदलाव दर्शाते हैं कि पुष्कर मेला अब पारंपरिक आयोजन से आगे बढ़कर एक आधुनिक और तकनीकी दृष्टि से उन्नत आयोजन बन गया है।

पुष्कर मेला 2025 की शुरुआत के साथ ही राजस्थान में सांस्कृतिक उत्सवों का मौसम शुरू हो गया है। इस बार का मेला धार्मिकता, पर्यटन और तकनीक तीनों का संगम है।
चाहे गूगल मैप पर लाइव ट्रैफिक अपडेट की सुविधा हो या सरोवर घाटों पर बढ़ाई गई सुरक्षा—हर पहलू यह बताता है कि पुष्कर मेला अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि सुव्यवस्थित और सुरक्षित आयोजन का प्रतीक बन चुका है।

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