शोभना शर्मा। राजस्थान में मानसून की विदाई के साथ ही प्रदेश के प्रमुख पेयजल स्रोत बीसलपुर बांध के सभी गेट जल संसाधन विभाग ने बंद कर दिए हैं। विभाग ने न केवल बांध में जलभराव और निकासी के आंकड़े जारी किए हैं, बल्कि यह भी बताया कि इस बार बांध लगातार 89 दिनों तक ओवरफ्लो की स्थिति में रहा। इस अवधि में 129.56 टीएमसी (Thousand Million Cubic Feet) पानी की निकासी हुई। यह मात्रा इतनी बड़ी है कि उससे तीन बार बीसलपुर बांध और करीब 11 बार ईसरदा बांध को भरा जा सकता था। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि मानसून के दौरान बांध में जलभराव तो पर्याप्त हुआ, लेकिन उसके प्रभावी उपयोग और जल प्रबंधन को लेकर सवाल बरकरार हैं।
विभागीय आंकड़े और जल निकासी का विश्लेषण
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष मानसून के दौरान बांध की स्थिति बेहद अनुकूल रही। टोंक जिले में स्थित बीसलपुर बांध प्रदेश के कई शहरों—जयपुर, अजमेर, टोंक और भीलवाड़ा—के लिए मुख्य जल स्रोत है। विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों के अनुसार,
89 दिन तक बांध ओवरफ्लो रहा।
129.56 टीएमसी पानी की निकासी की गई।
यह मात्रा बांध की कुल जल क्षमता का लगभग तीन गुना है।
बावजूद इसके, जयपुर जैसे बड़े शहर में पानी की सप्लाई और वास्तविक उपलब्धता के बीच बड़ा अंतर बना हुआ है।
जयपुर में बढ़ता जल संकट: दावे और हकीकत में फर्क
राजधानी जयपुर में पेयजल की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता शुभांशु दीक्षित का दावा है कि शहर में प्रतिदिन 58 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। शहर के लगभग 40 प्रतिशत इलाके अभी भी जल संकट से जूझ रहे हैं। कई इलाकों—विशेषकर बाहरी कॉलोनियों और ऊंचे क्षेत्रों—में पानी का दबाव बेहद कम है, वहीं कुछ क्षेत्रों में दिनों तक सप्लाई नहीं होने की शिकायतें हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर साल गर्मियों और सर्दियों में यह समस्या दोहराई जाती है, जबकि विभाग की ओर से समाधान की कोई ठोस पहल नहीं की जाती।
जयपुर तक नई पाइपलाइन परियोजना पर ठहराव
जयपुर की बढ़ती जनसंख्या और पेयजल मांग को देखते हुए सरकार ने पहले ही बीसलपुर से जयपुर तक नई पाइपलाइन बिछाने की घोषणा की थी। यह परियोजना शहर की दीर्घकालिक जल जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से तैयार की जानी थी, लेकिन अब तक इसकी डीपीआर (Detailed Project Report) तैयार नहीं हो पाई है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, इस पाइपलाइन की योजना पर प्रारंभिक चर्चा तो हुई थी, मगर वास्तविक कार्य प्रक्रिया अभी भी ठप है। कुछ अधिकारी 2015 में बनाई गई पुरानी डीपीआर को पुनः उपयोग में लेने की बात कर रहे हैं, जबकि वर्तमान परिस्थिति में उस रिपोर्ट के तकनीकी और भौगोलिक मापदंड अप्रासंगिक हो चुके हैं।
वित्त समिति की बैठक में भी नहीं बनी स्पष्टता
दिवाली के बाद जल संसाधन विभाग की वित्त समिति की बैठक अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) अखिल अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई थी। उम्मीद की जा रही थी कि इस बैठक में पाइपलाइन डीपीआर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार, बैठक में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया। अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि परियोजना से संबंधित फंडिंग और तकनीकी स्वीकृति को लेकर अभी कई स्तरों पर विचार-विमर्श बाकी है। यह देरी न केवल परियोजना की प्रगति को रोक रही है, बल्कि जयपुर के नागरिकों के लिए आने वाले वर्षों में पेयजल संकट की संभावना को भी बढ़ा रही है।
बीसलपुर बांध का महत्व और उपयोग क्षेत्र
राजस्थान के लिए बीसलपुर बांध केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि जीवनरेखा के समान है। यह बांध टोंक जिले में बाणास नदी पर स्थित है और राज्य की राजधानी जयपुर सहित अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा और कई ग्रामीण क्षेत्रों को पेयजल उपलब्ध कराता है। इसके जल वितरण नेटवर्क के तहत करीब 30 लाख से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होती है। ऐसे में पाइपलाइन परियोजना की देरी न केवल जल प्रबंधन पर सवाल उठाती है, बल्कि राज्य के जल संरक्षण नीति की प्रभावशीलता पर भी प्रश्न खड़े करती है।
जल संरक्षण और प्रबंधन पर पुनर्विचार की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि बीसलपुर जैसे बड़े जलाशय से 89 दिन में इतनी अधिक मात्रा में पानी की निकासी जल प्रबंधन प्रणाली की कमजोरी को उजागर करती है। यदि इस जल को प्रभावी ढंग से संग्रहित या पुनर्निर्देशित किया जाता, तो जयपुर सहित अन्य जिलों में जल संकट को काफी हद तक टाला जा सकता था। राज्य सरकार को चाहिए कि वह न केवल डीपीआर निर्माण की प्रक्रिया को तेज करे, बल्कि इसके समानांतर जल संरक्षण, रिसाइक्लिंग और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग जैसी पहल को भी प्राथमिकता दे।
राज्य सरकार और विभागों की भूमिका
बीसलपुर परियोजना को लेकर सरकार ने कई घोषणाएँ कीं, परंतु अब तक धरातल पर कोई ठोस प्रगति दिखाई नहीं दी। जल संसाधन विभाग और जलदाय विभाग के बीच समन्वय की कमी, फाइलों का अटकना और प्रशासनिक देरी परियोजना की गति को प्रभावित कर रहे हैं। जयपुर की पानी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह आपातकालीन मोड में डीपीआर तैयार कर पाइपलाइन परियोजना को मंजूरी दे, जिससे आने वाले वर्षों में राजधानी में पेयजल का संकट गहराने से रोका जा सके।
राजस्थान के बीसलपुर बांध से मानसून के दौरान 129.56 टीएमसी पानी की निकासी यह बताती है कि राज्य के पास जल संसाधन पर्याप्त हैं, लेकिन उनके प्रबंधन की दिशा में योजनाओं की कमी गंभीर चिंता का विषय है। जयपुर जैसे बड़े शहर में पानी की कमी और बीसलपुर-जयपुर पाइपलाइन डीपीआर में देरी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि घोषणाओं से आगे बढ़कर अब ठोस कार्रवाई की जरूरत है।


