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ACB केस के बाद SMS अस्पताल से डिस्चार्ज हुए न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल

ACB केस के बाद SMS अस्पताल से डिस्चार्ज हुए न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल

शोभना शर्मा। जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल को सोमवार सुबह अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उन्हें रविवार को सीने में दर्द की शिकायत के बाद पुलिस निगरानी में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती के बाद मेडिकल जांचों और एक विशेष मेडिकल बोर्ड की सिफारिश के आधार पर उन्हें डिस्चार्ज किया गया।

डॉ. अग्रवाल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए 10 अक्टूबर को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर जोधपुर मेडिकल कॉलेज में अटैच कर दिया था। गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही स्वास्थ्य समस्या की शिकायत पर उन्हें जयपुर लाया गया था।

मेडिकल बोर्ड ने कहा — “डॉ. मनीष पूरी तरह स्वस्थ”

SMS अस्पताल प्रशासन ने डॉ. अग्रवाल की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक विशेष मेडिकल बोर्ड का गठन किया था। इस बोर्ड में कार्डियोलॉजी, मेडिसिन और फॉरेंसिक विभागों के वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे।

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, सभी जांचों में कोई गंभीर असामान्यता नहीं पाई गई। रिपोर्ट सामान्य आने के बाद बोर्ड ने अस्पताल प्रशासन को डॉ. अग्रवाल को डिस्चार्ज करने की सिफारिश की।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी ने बताया कि, “मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार डॉ. मनीष अग्रवाल पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनकी सभी जांचें सामान्य आई हैं, इसलिए उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।”

बोर्ड में शामिल डॉक्टरों की सूची

मेडिकल बोर्ड में SMS अस्पताल के कई विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल किए गए थे। बोर्ड के सदस्य थे —

  • डॉ. सरिता चौधरी (कार्डियोलॉजिस्ट)

  • डॉ. हिमांशु मेहला (कार्डियोलॉजी विभाग)

  • डॉ. श्रीकांत शर्मा (जनरल मेडिसिन विभाग)

  • डॉ. सुमंता दत्ता (फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग)

इन विशेषज्ञों ने मिलकर डॉ. अग्रवाल की मेडिकल स्थिति का परीक्षण किया और सभी रिपोर्टों को संकलित कर अधीक्षक को सौंपी।

जांच रिपोर्ट्स आईं सामान्य

रविवार को डॉ. अग्रवाल को कार्डियक ICU में भर्ती किया गया था, जहां उनकी कई प्रमुख जांचें की गईं। इनमें 2डी इको, ट्रॉप-टी टेस्ट, और सीटी एंजियोग्राफी शामिल थीं।

  • 2डी इको और ट्रॉप-टी रिपोर्ट: दोनों रिपोर्ट नेगेटिव (सामान्य) आईं।

  • सीटी एंजियोग्राफी: सोमवार सुबह की गई जांच में कोई ब्लॉकेज या हृदय संबंधी समस्या नहीं मिली।

इसके बाद डॉक्टरों ने 8 घंटे के अंतराल पर दोबारा जांच करने के बाद स्थिति सामान्य पाए जाने पर डिस्चार्ज की अनुशंसा की।

ACB केस की पृष्ठभूमि

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 10 अक्टूबर 2025 को SMS मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. मनीष अग्रवाल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। जानकारी के अनुसार, डॉ. अग्रवाल ने यह रिश्वत न्यूरोसर्जरी विभाग में उपयोग होने वाले सामान के बिल पास करने के एवज में मांगी थी। ACB ने शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की और डॉ. अग्रवाल को 1 लाख रुपए नकद लेते हुए गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया और जोधपुर मेडिकल कॉलेज में अटैच कर दिया गया। तब से वे पुलिस निगरानी में हैं।

स्वास्थ्य और प्रशासनिक स्थिति पर नज़र

डॉ. अग्रवाल के अस्पताल में भर्ती होने के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। रविवार को उन्हें SMS अस्पताल के कार्डियक यूनिट में रखा गया, और उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें पहले इमरजेंसी में लाया गया था, जहां प्रारंभिक परीक्षणों के बाद ICU में भर्ती किया गया। हालांकि, अब मेडिकल रिपोर्ट्स में कोई गंभीर लक्षण नहीं पाए जाने से अस्पताल प्रशासन ने उन्हें छुट्टी दे दी।

चिकित्सा और प्रशासनिक दोनों मोर्चों पर नजर

मेडिकल रिपोर्ट्स सामान्य आने के बाद डॉ. अग्रवाल को चिकित्सकीय दृष्टि से भले ही स्वस्थ घोषित कर दिया गया है, लेकिन उनके खिलाफ चल रही ACB जांच अभी जारी है। उन्हें सरकारी सेवा से निलंबित किया जा चुका है और अब मामले की कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगीACB सूत्रों के अनुसार, केस से जुड़ी डॉक्यूमेंटेशन और तकनीकी साक्ष्यों की जांच की जा रही है। बयान दर्ज किए जा रहे हैं और विभागीय जांच भी जारी है।

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