शोभना शर्मा। दीपावली के पावन अवसर पर जहां पूरे राजस्थान में रोशनी और उत्साह का माहौल है, वहीं वायु गुणवत्ता ने चिंताजनक मोड़ ले लिया है। पटाखों, वाहनों के धुएं और मौसम की स्थिरता ने मिलकर राज्य के कई शहरों की हवा को बेहद खराब बना दिया है। 20 अक्टूबर 2025 की सुबह तक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के चार प्रमुख शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 के पार पहुंच गया है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्तर “खराब” श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
धौलपुर सबसे प्रदूषित शहर, AQI 250 दर्ज
राजस्थान के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में इस बार धौलपुर ने पहला स्थान हासिल किया। यहां सोमवार की सुबह AQI 250 दर्ज किया गया, जो हवा को “बहुत खराब” (Very Poor) श्रेणी में रखता है। शहर में दीपावली की रात के बाद पटाखों के धुएं और स्थानीय औद्योगिक उत्सर्जन ने वायु प्रदूषण को बढ़ा दिया।धौलपुर के बाद भिवाड़ी का AQI 248, बीकानेर का 235 और श्रीगंगानगर का 222 दर्ज किया गया। ये चारों शहर 200 के पार पहुंच चुके हैं, जो विशेष रूप से फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए खतरनाक स्थिति है। पर्यावरण विभाग का कहना है कि रात के समय ठंडी हवा और धुएं के मिश्रण से यह स्तर और भी बढ़ सकता है।
जयपुर समेत छह शहर ‘मध्यम’ श्रेणी में
राजधानी जयपुर की वायु गुणवत्ता में भी गिरावट दर्ज की गई है। जयपुर का AQI 177 दर्ज हुआ, जो “मध्यम” श्रेणी में आता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्तर तेजी से “खराब” श्रेणी की ओर बढ़ रहा है। AQI 150 से ऊपर होने का अर्थ है कि यह संवेदनशील लोगों के लिए पहले से ही हानिकारक है। जयपुर के अलावा झुंझुनू, टोंक, चूरू, हनुमानगढ़ और जालौर जैसे शहर भी इसी श्रेणी में हैं। इनका ताजा AQI इस प्रकार रहा —
झुंझुनू: 184
टोंक: 178
चूरू: 171
हनुमानगढ़: 159
जालौर: 159
इन सभी शहरों की हवा में PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा सामान्य सीमा से काफी अधिक पाई गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति यदि अगले 24 घंटे तक जारी रही तो ये शहर भी “खराब” श्रेणी में पहुंच सकते हैं।
प्रदूषण का सीधा असर स्वास्थ्य पर
राज्य के पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 200 से ऊपर AQI होने का अर्थ है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5) सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक हैं। ये कण फेफड़ों और हृदय प्रणाली पर गहरा असर डालते हैं। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के फेफड़ा रोग विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्तर का प्रदूषण अस्थमा, हृदय रोग और सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) के मरीजों के लिए अत्यंत खतरनाक है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि —
ऐसे मरीज घर के अंदर ही रहें।
बाहर निकलते समय N95 या N99 मास्क पहनें।
सुबह या देर रात टहलने से बचें।
घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और खिड़कियां बंद रखें।
विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए दीपावली के बाद अगले दो दिन महत्वपूर्ण होंगे। यदि तेज हवाएं चलती हैं तो प्रदूषण के स्तर में कमी संभव है, अन्यथा यह और अधिक गंभीर हो सकता है।
राजसमंद में सबसे स्वच्छ हवा
जहां अधिकांश शहरों में दीपावली के बाद हवा खराब हो गई है, वहीं राजसमंद इस स्थिति से लगभग अछूता रहा। राजसमंद का AQI 65 दर्ज किया गया है, जो “संतोषजनक” श्रेणी में आता है। यह राज्य में सबसे स्वच्छ हवा वाला शहर रहा।पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि राजसमंद की स्वच्छ हवा का कारण वहां का कम औद्योगिक घनत्व, हरित क्षेत्र और कम जनसंख्या घनत्व है। स्थानीय प्रशासन द्वारा पटाखों के नियंत्रण और सार्वजनिक जागरूकता अभियानों का सकारात्मक असर यहां देखने को मिला है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाने होंगे ठोस कदम
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) ने कहा है कि दीपावली जैसे त्योहारों पर प्रदूषण रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि —
पटाखों की बिक्री और उपयोग पर सीमित अनुमति दी जाए।
औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण जांच सख्ती से लागू हो।
नगर निकायों द्वारा धूल नियंत्रण अभियान तेज किया जाए।
स्कूलों और कार्यालयों में पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से चलाए जाएं।
पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो सर्दियों के महीनों में राज्य के कई शहर गंभीर वायु संकट का सामना कर सकते हैं।