शोभना शर्मा। राजस्थान सरकार और राज्य विद्युत विनियामक आयोग (RERC) ने राज्य के औद्योगिक, व्यावसायिक और संस्थागत उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए सोलर ऊर्जा उत्पादन और उपयोग के दायरे का विस्तार कर दिया है। अब न केवल घरेलू उपभोक्ता, बल्कि छोटे-मध्यम उद्योग, व्यापारी और संस्थान भी किसी भी संपत्ति पर सोलर पैनल लगाकर उस बिजली का उपयोग अपने दूसरे स्थानों पर कर सकेंगे।
आयोग ने इन उपभोक्ताओं को वर्चुअल नेट मीटरिंग (Virtual Net Metering) और ग्रुप वर्चुअल नेट मीटरिंग (Group Virtual Net Metering) की सुविधा के तहत शामिल किया है। इसका मतलब है कि अब उपभोक्ता अपनी सुविधा के अनुसार कहीं भी सोलर प्लांट स्थापित कर बिजली उत्पादन कर सकेंगे और उसका उपयोग अपने अन्य पंजीकृत परिसरों में कर पाएंगे।
बिजली कंपनियों का विरोध, लेकिन आयोग ने दिया उद्योगों को साथ
बिजली कंपनियों की ओर से यह तर्क दिया जा रहा था कि वर्चुअल नेट मीटरिंग की सुविधा केवल घरेलू उपभोक्ताओं तक सीमित रखी जाए। उनका कहना था कि औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को इस दायरे में शामिल करने से राजस्व में कमी आ सकती है। हालांकि, राज्य विद्युत विनियामक आयोग (RERC) ने इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए साफ कर दिया कि औद्योगिक, व्यावसायिक और संस्थागत उपभोक्ता भी सोलर बिजली के लाभार्थी बनेंगे। आयोग का मानना है कि इससे न केवल बिजली लागत घटेगी, बल्कि राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का प्रयोग भी तेजी से बढ़ेगा।
एक जगह लगाएं सोलर प्लांट, कई जगह उपयोग करें बिजली
नई व्यवस्था के तहत कई औद्योगिक इकाइयां मिलकर एक ही स्थान पर साझा सोलर प्लांट स्थापित कर सकती हैं। वहां से उत्पन्न बिजली को नेट मीटरिंग के माध्यम से अपनी-अपनी इकाइयों में उपयोग किया जा सकेगा। इससे बिजली की लागत में भारी कमी आएगी और उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान के पास देश में सबसे अधिक सौर ऊर्जा क्षमता है, और यह नीति राज्य के ग्रीन एनर्जी मिशन को नई दिशा देगी।
घरेलू उपभोक्ताओं को भी होगा बड़ा फायदा
घरेलू उपभोक्ताओं को भी इस नीति से लाभ मिलेगा। वर्तमान में घरेलू उपभोक्ता औसतन ₹8.50 प्रति यूनिट की दर से बिजली का भुगतान कर रहे हैं, जिसमें बिजली दर, फिक्स चार्ज, टैक्स और सेस शामिल हैं। वहीं, सोलर ऊर्जा से यह लागत घटकर ₹4 से ₹4.50 प्रति यूनिट रह जाएगी। इस तरह हर उपभोक्ता को औसतन ₹4 प्रति यूनिट तक की बचत होगी। यह बचत लंबे समय में न केवल बिजली बिल कम करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
किरायेदारों और हाउसिंग सोसायटी को भी मौका
राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब किराये पर रहने वाले लोग, फ्लैट मालिक और हाउसिंग सोसायटी के सदस्य भी सोलर ऊर्जा का लाभ उठा सकेंगे — भले ही उनके पास अपनी छत न हो। अब सोलर पैनल केवल छतों तक सीमित नहीं रहेंगे। आयोग ने यह अनुमति दी है कि पैनल को निम्न स्थानों पर भी लगाया जा सकता है —
रूफटॉप या बालकनी पर
जमीन या खाली प्लॉट पर
जल स्रोतों के ऊपर (फ्लोटिंग सोलर पैनल)
किसी ऊंचे ढांचे या स्टील स्ट्रक्चर पर
इसके अलावा, 10 किलोवाट तक की क्षमता वाले सोलर सिस्टम के लिए तकनीकी जांच (Technical Inspection) की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। इससे आम उपभोक्ताओं के लिए प्रक्रिया और सरल हो जाएगी।
चार्ज और टैक्स में मिलेगी बड़ी राहत
नई नीति के तहत घरेलू और सरकारी उपभोक्ताओं को कई प्रकार के चार्जों से पूरी छूट दी गई है। इनमें शामिल हैं —
बैंकिंग चार्ज (Banking Charge)
ट्रांसमिशन चार्ज (Transmission Charge)
व्हीलिंग चार्ज (Wheeling Charge)
क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज (Cross Subsidy Surcharge)
एडिशनल सरचार्ज (Additional Surcharge)
सरकारी कनेक्शनों पर कुछ मामलों में 50 प्रतिशत सरचार्ज लागू रहेगा। वहीं, यदि किसी उपभोक्ता के पास बैटरी स्टोरेज सिस्टम है, तो उसे 75 प्रतिशत तक छूट दी जाएगी। यह प्रोत्साहन सौर ऊर्जा को अपनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
उद्योगों को मिलेगी प्रतिस्पर्धा में बढ़त
राजस्थान में छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योग लंबे समय से बिजली की ऊंची दरों से परेशान थे। अब वर्चुअल नेट मीटरिंग की सुविधा मिलने से वे अपनी उत्पादन लागत को काफी हद तक कम कर सकेंगे। राज्य के उद्योग संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब राजस्थान में औद्योगिक निवेश और उत्पादन दोनों को गति मिलेगी। सौर ऊर्जा का सीधा लाभ उन्हें 4-5 रुपए प्रति यूनिट की बचत के रूप में मिलेगा, जिससे उनकी कुल लागत में 25-30 प्रतिशत तक कमी आएगी।
पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान
राजस्थान में सोलर पैनलों के व्यापक उपयोग से न केवल बिजली दरों में राहत मिलेगी, बल्कि यह कदम कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) को कम करने में भी मदद करेगा। राज्य पहले से ही देश में सौर ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी है और यह नीति इसे और आगे बढ़ाएगी। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 50 प्रतिशत बिजली उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाए। यह नई व्यवस्था उस दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगी।
राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग का यह निर्णय घरेलू, औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के लिए सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा का द्वार खोलने वाला साबित होगा। अब सोलर पैनल लगाने के लिए छत या निजी संपत्ति की अनिवार्यता खत्म हो गई है, जिससे आम उपभोक्ताओं से लेकर उद्योगों तक सभी को समान अवसर मिलेगा।