शोभना शर्मा। जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के न्यूरोसर्जरी आईसीयू में लगी आग की घटना के बाद राजस्थान के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की समीक्षा शुरू कर दी गई है। इस हादसे ने प्रदेश के चिकित्सा ढांचे और सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से राज्य के सभी अस्पतालों को अलर्ट जारी किया है और सुरक्षा उपकरणों की जांच के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान के कोटा जिले में भी प्रशासन सतर्क हो गया है। यहां के महात्मा गांधी अस्पताल (एमबीएस) और जे.के. लोन हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी की व्यापक जांच करवाई गई। दोनों अस्पतालों के अधीक्षकों ने अग्निशमन विभाग के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि किसी भी आपात स्थिति में मरीजों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता पर बनी रहे।
कोटा के एमबीएस अस्पताल में तीनों भवनों की सुरक्षा जांच पूरी
एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. धर्मराज मीणा ने बताया कि एमबीएस अस्पताल के सभी तीन भवनों के पास फायर विभाग का आपत्ति प्रमाण पत्र पहले से मौजूद है। उन्होंने कहा कि जयपुर की घटना के बाद तुरंत फायर विभाग को जांच के लिए बुलाया गया।
निरीक्षण के दौरान कोटा नगर निगम के अग्निशमन विभाग के अधिकारी और फायर ब्रिगेड की टीम ने सभी भवनों का दौरा किया। उन्होंने फायर अलार्म, अग्निशमन यंत्र, हाइड्रेंट सिस्टम, स्मोक डिटेक्टर और आपातकालीन निकास मार्ग की स्थिति का परीक्षण किया।
फायर विभाग की टीम ने बताया कि कई जगहों पर उपकरण पुराने हैं और उनके रखरखाव की आवश्यकता है। वहीं, अस्पताल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जिन यंत्रों में कमी पाई गई है, उन्हें जल्द बदलवाया जाएगा ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना की संभावना को टाला जा सके।
जे.के. लोन अस्पताल में भी अग्निशमन प्रणाली का परीक्षण
एमबीएस के साथ ही कोटा के जे.के. लोन अस्पताल में भी सुरक्षा समीक्षा की गई। अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि सभी वार्डों में फायर एक्सटिंग्विशर और इमरजेंसी अलार्म सिस्टम की जांच कराई गई। साथ ही अस्पताल के कर्मचारियों को भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल कराई जाएगी।
फायर कर्मियों ने बताया कि अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज, परिजन और उपकरण होते हैं, इसलिए आग से सुरक्षा के लिए हर स्तर पर सतर्क रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि फायर सेफ्टी सिर्फ दस्तावेजों में नहीं बल्कि जमीन पर लागू होनी चाहिए।
एसएमएस अस्पताल हादसे पर अधीक्षक का बयान
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में शुक्रवार रात न्यूरोसर्जरी आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी। घटना रात करीब 11:30 बजे की बताई जा रही है। हादसे के समय आईसीयू में 11 मरीज भर्ती थे। जैसे ही धुआं फैला, नर्सिंग स्टाफ ने तुरंत मरीजों को अन्य वार्डों और आईसीयू में शिफ्ट कर दिया।
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार भाटी ने बताया कि “आग की वजह से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। कुल छह मरीजों की मौत हुई है लेकिन यह आग की सीधी वजह से नहीं थी। आग लगते ही सभी मरीजों को सुरक्षित निकाल लिया गया और फायर ब्रिगेड की टीम 15 से 20 मिनट में पहुंच गई थी।” उन्होंने कहा कि यह एक दुखद घटना है और अस्पताल प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है ताकि भविष्य में ऐसी कोई भी दुर्घटना न हो।
राज्य सरकार ने अस्पतालों की सुरक्षा समीक्षा का आदेश दिया
एसएमएस अस्पताल की घटना के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी और बिजली प्रणाली की व्यापक जांच की जाए। सरकार ने यह भी तय किया है कि अस्पतालों में स्थापित सभी आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर और वार्डों में विद्युत वायरिंग, फायर अलार्म, स्प्रिंकलर सिस्टम और इमरजेंसी निकास के इंतजामों की रिपोर्ट 15 दिन में मांगी जाए। राज्य सरकार ने साफ कहा है कि अगर कहीं भी लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारी और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।
अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में आग लगने के पीछे सबसे बड़ी वजह विद्युत उपकरणों का अत्यधिक उपयोग और पुरानी वायरिंग होती है। उनका कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों का पालन नियमित रूप से नहीं किया जाता। फायर सेफ्टी विशेषज्ञों के अनुसार, “हर छह महीने में फायर ड्रिल और उपकरणों की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। कई जगह फायर सिस्टम होते हैं लेकिन समय पर उनका रखरखाव नहीं किया जाता।”


