शोभना शर्मा। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर एक बार फिर अपने बयानों और फैसलों को लेकर सुर्खियों में हैं। मंत्री ने हाल ही में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड संबंधी निर्देश जारी किए हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों का परिधान मर्यादित और गरिमापूर्ण होना चाहिए, ताकि विद्यालयों का वातावरण अनुशासित और शैक्षणिक गरिमा के अनुरूप रहे।
22 सितंबर की बैठक में हुआ फैसला
शिक्षा मंत्री ने 22 सितंबर को जिला शिक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि अब स्कूलों में शिक्षक और शिक्षिकाएं विचित्र वेशभूषा पहनकर नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र ही नहीं बल्कि अनुशासन और मर्यादा के भी प्रतीक हैं। इसलिए, शिक्षकों का पहनावा छात्रों के लिए आदर्श प्रस्तुत करने वाला होना चाहिए। मंत्री दिलावर ने कहा कि जल्द ही शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि सभी स्कूलों में ड्रेस कोड का पालन सुनिश्चित हो सके।
जेंट्स और लेडीज टीचर्स के लिए ड्रेस कोड
बैठक में मंत्री ने पुरुष और महिला शिक्षकों के लिए अलग-अलग ड्रेस कोड की रूपरेखा पेश की:
पुरुष शिक्षक (जेंट्स टीचर्स): पेंट-शर्ट या कुर्ता-पायजामा
महिला शिक्षिकाएं (लेडीज टीचर्स): सलवार सूट मय दुपट्टा या साड़ी
उन्होंने कहा कि अगर कोई शिक्षक अनुचित या विचित्र परिधान में स्कूल आता है, तो पहले उसे समझाइश दी जाएगी।
कोटा जिले का उदाहरण
दिलावर के निर्देशों से पहले भी कुछ जिलों में स्थानीय स्तर पर शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। कोटा जिले के आवां सीनियर सेकेंडरी स्कूल इसका उदाहरण है। यहां संस्था प्रधान ने अपने स्तर पर शिक्षकों की यूनिफॉर्म तय की हुई है। इस स्कूल में शिक्षक और शिक्षिकाएं प्रतिदिन यूनिफॉर्म पहनकर ही आते हैं। कोटा की सीडीईओ पवित्रा त्रिपाठी ने भी कहा कि विभाग जल्द ही राज्य स्तर पर एडवाइजरी जारी करेगा, जिससे सभी सरकारी स्कूलों में समान नियम लागू हो सकें।
अन्य विभागों से लौटेंगे शिक्षक
बैठक में शिक्षा मंत्री ने एक और अहम निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि जो शिक्षक या शिक्षा विभाग के अन्य कार्मिक वर्तमान में अन्य विभागों में डेपुटेशन पर कार्यरत हैं, उन्हें वापस उनके मूल विभाग में लाया जाएगा। इसके लिए सीडीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि संबंधित कर्मचारियों की सूची तैयार की जाए और प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। इस कदम से शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वास्तविक कमी दूर करने में मदद मिलेगी और स्कूलों में शिक्षण कार्य सुचारु होगा।
क्यों जरूरी है ड्रेस कोड?
ड्रेस कोड लागू करने के पीछे शिक्षा मंत्री का तर्क है कि:
स्कूलों में अनुशासन और गरिमा बनाए रखी जा सके।
छात्र-छात्राओं के बीच शिक्षकों की प्रतिष्ठा और आदर्श भूमिका मजबूत हो।
विचित्र वेशभूषा से उत्पन्न होने वाले अनुचित संदेश से बचा जा सके।
मदन दिलावर का मानना है कि शिक्षक समाज में सबसे बड़ा रोल मॉडल होता है, इसलिए उसका पहनावा भी शालीन और मर्यादित होना चाहिए।
राजनीतिक और सामाजिक चर्चा
दिलावर के इस फैसले को लेकर शिक्षा जगत और राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। समर्थकों का मानना है कि यह निर्णय स्कूलों के माहौल को और अधिक अनुशासित और पेशेवर बनाएगा। वहीं, आलोचक सवाल उठा रहे हैं कि क्या ड्रेस कोड लागू करने से शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई सीधा प्रभाव पड़ेगा या नहीं। फिर भी, प्रदेश भर के स्कूलों में अब यह विषय चर्चा का केंद्र बन गया है और शिक्षकों के बीच भी इस पर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।


