मनीषा शर्मा। जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल में जल्द ही रोबोट की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा। यह ऑपरेशन 4 अक्टूबर को किया जाएगा और यह SMS हॉस्पिटल के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे अस्पताल उत्तर भारत में सबसे उन्नत किडनी ट्रांसप्लांट केंद्रों में शामिल हो जाएगा।
अस्पताल की उपलब्धियां
SMS मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के एचओडी और सीनियर प्रोफेसर डॉ. शिवम प्रियदर्शी ने बताया कि पिछले एक दशक में उनके अस्पताल में 600 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं। अब विभाग में अत्याधुनिक रोबोटिक मशीन उपलब्ध है और उनका उद्देश्य आगे सभी रीनल ट्रांसप्लांट इसी रोबोट की मदद से करना है।
रोबोटिक सर्जरी की खासियत
डॉ. प्रियदर्शी ने बताया कि सामान्य सर्जरी में रिसिपेंट (किडनी लेने वाले मरीज) को 15 से 20 सेमी का चीरा लगाना पड़ता है, जबकि डोनर को 7-10 सेमी का चीरा लगाकर किडनी निकालते हैं। इसके विपरीत, रोबोटिक सर्जरी में डोनर और रिसीवर दोनों को केवल 4-6 सेमी का चीरा लगेगा। यह चीरा छोटा होने से मरीज की रिकवरी तेजी से होगी और हॉस्पिटल में रहना भी कम समय का होगा।
ऑपरेशन और विशेषज्ञ टीम
4 अक्टूबर को होने वाली इस पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में दिल्ली से एक वरिष्ठ सर्जन बुलाया गया है। उनकी निगरानी में पूरी सर्जरी रोबोटिक आर्म की मदद से पूरी की जाएगी। रोबोटिक तकनीक से किडनी निकालने और उसे प्रत्यारोपित करने का काम बेहद सटीक होगा।
रिकवरी में आसानी
सामान्य सर्जरी में रिसिपेंट को लगभग 15 दिन और डोनर को 5-7 दिन हॉस्पिटल में रहना पड़ता है। जबकि रोबोटिक सर्जरी में रिसिपेंट को 7-8 दिन और डोनर को केवल 3-4 दिन में छुट्टी मिल जाएगी। इससे मरीज और डोनर दोनों को कम दर्द और तेज रिकवरी का लाभ मिलेगा।
मरीज और डॉक्टर दोनों के लिए फायदे
रोबोटिक सर्जरी में चीरा छोटा होने से ऑपरेशन के दौरान रक्तस्राव कम होता है। इसके अलावा संक्रमण का खतरा भी घट जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि इससे मरीज जल्दी स्वस्थ होंगे और सामान्य जीवन में जल्दी लौट सकेंगे।


