मनीषा शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुरुवार को राजस्थान के बांसवाड़ा दौरा सिर्फ एक विकास परियोजना के शिलान्यास तक सीमित नहीं रहा। यहां माही-बांसवाड़ा परमाणु विद्युत परियोजना की नींव रखी गई, लेकिन उससे कहीं ज्यादा चर्चा प्रधानमंत्री के बदले-बदले अंदाज़ और मंच पर हुई मुलाकातों ने बटोरी। आमतौर पर मोदी की सभाओं में उनका प्रवेश और मंच पर मौजूदगी एक तय प्रोटोकॉल के तहत होती है, लेकिन बांसवाड़ा की तस्वीरें अलग ही संकेत देती दिखीं।
मंच पर नेताओं संग मोदी की एंट्री
अब तक ज्यादातर आयोजनों में प्रधानमंत्री मोदी को ओपन गाड़ी से अकेले या केवल मुख्यमंत्री के साथ प्रवेश करते देखा गया है। लेकिन इस बार मंच पर जाने से पहले की तस्वीरों में उनके साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा भी नजर आए। यह दृश्य अपने आप में भाजपा के अंदर एकजुटता का संदेश देता है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से पार्टी में गुटबाजी की चर्चाएं लगातार सामने आती रही हैं।
वसुंधरा राजे संग आधा मिनट की बातचीत
कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी मंच पर नेताओं का अभिवादन करते हुए वसुंधरा राजे से करीब आधा मिनट तक बात करते नजर आए। यह दृश्य इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि लंबे समय से मोदी और राजे के रिश्तों में खटास की खबरें आती रही हैं। दोनों के बीच संवाद की यह झलक न सिर्फ राजस्थान की राजनीति बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए भी अहम संदेश मानी जा रही है।
भजनलाल शर्मा को “लोकप्रिय सीएम” बताया
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में भी कई ऐसे संकेत दिए, जिन्होंने राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को “लोकप्रिय सीएम” कहकर संबोधित किया। यह पहली बार था जब मोदी ने सार्वजनिक मंच से इस तरह की उपाधि दी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान भजनलाल शर्मा की स्थिति को मजबूत करने और उनके नेतृत्व पर पार्टी का भरोसा दिखाने का स्पष्ट संकेत है।
वसुंधरा राजे को कहा “बहन”
इसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने वसुंधरा राजे को सार्वजनिक मंच से “बहन” कहकर संबोधित किया। यह संबोधन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में मोदी और वसुंधरा के बीच बनी दूरी बार-बार सुर्खियों में रही है। इसे रिश्तों में सुधार का प्रतीक माना जा रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मोदी का यह कदम न सिर्फ वसुंधरा समर्थक कार्यकर्ताओं के लिए सुकून देने वाला है, बल्कि यह भाजपा के अंदरुनी समीकरणों को भी नया आकार दे सकता है।
भाजपा गुटबाजी पर लगाम लगाने की कोशिश
राजस्थान भाजपा में गुटबाजी लंबे समय से पार्टी के लिए चुनौती बनी हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में कई मौकों पर अलग-अलग खेमों की सक्रियता खुलकर सामने आई। लेकिन बांसवाड़ा की इन तस्वीरों और संबोधनों से साफ संकेत मिला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व चाहते हैं कि पार्टी अब पूरी तरह एकजुट होकर काम करे। आगामी निकाय और पंचायत चुनावों को देखते हुए संगठन यह चाहता है कि सरकार और संगठन दोनों ही मिलकर जनता के बीच योजनाओं और विकास कार्यों को लेकर जाएं।
क्या कम हो चुकी है खटास?
राजनीतिक चर्चाओं में यह सवाल सबसे ज्यादा उठ रहा है कि क्या मोदी और वसुंधरा राजे के बीच की खटास अब कम हो चुकी है? कई विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा राजे खुद भी संबंध सुधारने की कोशिशों में जुटी हैं और पार्टी के भीतर उनकी भूमिका को दोबारा मजबूत किया जा सकता है। यही कारण है कि अब कयास लगाए जा रहे हैं कि भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में वसुंधरा खेमे को भी उचित तवज्जो दी जा सकती है।
माही-बांसवाड़ा परियोजना की पृष्ठभूमि
हालांकि राजनीतिक संकेतों के बीच इस दौरे का मुख्य उद्देश्य माही-बांसवाड़ा परमाणु विद्युत परियोजना का शिलान्यास था। यह परियोजना न सिर्फ राजस्थान बल्कि देश की ऊर्जा क्षमता को नई दिशा देगी। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह योजना राजस्थान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगी।
सियासी संदेशों से भरपूर दौरा
कुल मिलाकर, बांसवाड़ा का यह दौरा सिर्फ विकास परियोजना का कार्यक्रम नहीं रहा बल्कि भाजपा के आंतरिक समीकरणों को साधने और कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देने का माध्यम भी बना। मोदी की वसुंधरा राजे संग बातचीत, भजनलाल शर्मा को “लोकप्रिय सीएम” कहना और मंच पर सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अब अंदरूनी मतभेदों को खत्म कर एक नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहती है।


