शोभना शर्मा। उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी (MLSU) में कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा का औरंगजेब को “कुशल शासक” बताने वाला बयान राजनीतिक और सामाजिक विवाद का कारण बन गया है। इस बयान के बाद से लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। कुलपति ने सार्वजनिक माफी भी मांग ली है, लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। राज्य सरकार के मंत्री से लेकर करणी सेना तक उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, राजभवन ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है।
विवाद की शुरुआत और कुलपति की सफाई
12 सितंबर को विश्वविद्यालय परिसर में “विकसित भारत का रोडमैप” विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने औरंगजेब को कुशल प्रशासक बताया। इस टिप्पणी ने छात्रों और स्थानीय संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी। तीन दिनों तक लगातार विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद कुलपति को सफाई देनी पड़ी।
बुधवार को उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा, “मेरे बयान से मेवाड़ की जनता और राजपूत समाज की भावनाएं आहत हुई हैं, इसके लिए मैं क्षमा मांगती हूं। मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। मैं अहिन्दी भाषी हूं, जिससे गलतफहमी पैदा हुई। यदि पूरा भाषण सुना जाए तो स्पष्ट होगा कि मैंने औरंगजेब की प्रशंसा नहीं की।”
मंत्री बाबूलाल खराड़ी का कड़ा रुख
राजस्थान सरकार के जनजाति विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कुलपति की माफी को नाकाफी बताते हुए कहा कि ऐसे लोग विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में रहने लायक नहीं हैं। उन्होंने कुलपति को “माओवादी विचारधारा से प्रभावित” बताया और उनकी बर्खास्तगी की मांग की।
खराड़ी ने कहा, “औरंगजेब ने तलवार और कुरान के दम पर धर्म परिवर्तन करवाए। क्या यही कुशल शासन है? कुलपति को मेवाड़ के राणा सांगा का इतिहास पढ़ना चाहिए। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने जनता को बेहतर शासन दिया। यह शर्मनाक है कि विश्वविद्यालय के शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति इतिहास की ऐसी व्याख्या करे।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कुलपति ने आदिवासी छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें अपने पालतू कुत्तों की देखभाल तक करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वे इस मुद्दे को सरकार और राज्यपाल तक पहुंचा चुके हैं और बर्खास्तगी की मांग करेंगे।
करणी सेना की चेतावनी
श्री राजपूत करणी सेना ने भी इस बयान को राजपूत समुदाय और मेवाड़ की अस्मिता पर हमला बताया। संगठन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चेतावनी दी कि यदि कुलपति को तत्काल पद से नहीं हटाया गया तो वे उदयपुर बंद का आह्वान करेंगे। करणी सेना ने कहा कि औरंगजेब को लेकर ऐसी टिप्पणी ऐतिहासिक तथ्यों का अपमान है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राजभवन की सख्ती
बढ़ते विवाद को देखते हुए राजभवन ने भी त्वरित कदम उठाए। राज्यपाल के सचिव डॉ. पृथ्वी ने आदेश जारी कर पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता उदयपुर संभागीय आयुक्त करेंगे। कमेटी को जल्द से जल्द जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।


