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MLSU विवाद: 6 घंटे अंधेरे दफ्तर में कैद रहीं कुलपति सुनीता मिश्रा

MLSU विवाद: 6 घंटे अंधेरे दफ्तर में कैद रहीं कुलपति सुनीता मिश्रा

शोभना शर्मा। उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी (MLSU) बुधवार को उस समय सुर्खियों में आ गई जब कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा को अपने ही दफ्तर में छात्रों के गुस्से का सामना करना पड़ा। विवादित बयान के चलते भड़के छात्रों ने कुलपति के दफ्तर को बाहर से ताला लगाकर बिजली काट दी और उन्हें करीब छह घंटे तक अंदर कैद रखा। यह तनावपूर्ण माहौल देर रात तब जाकर शांत हुआ, जब प्रशासन ने छात्रों को लिखित में आश्वासन दिया कि मामले के हल निकलने तक कुलपति विश्वविद्यालय में नहीं आएंगी।

औरंगजेब पर दिए बयान से मचा बवाल

विवाद की जड़ कुलपति सुनीता मिश्रा का वह बयान है जो उन्होंने हाल ही में एक शैक्षणिक कार्यक्रम में दिया था। मिश्रा ने मुगल बादशाह औरंगजेब को “कुशल प्रशासक” बताया और साथ ही महाराणा प्रताप तथा अकबर को “समकक्ष राजा” करार दिया। यह टिप्पणी सामने आने के बाद छात्रों में भारी नाराजगी फैल गई। उनका कहना है कि महाराणा प्रताप का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और औरंगजेब को प्रशासक बताना इतिहास और मेवाड़ की अस्मिता पर चोट है।

दफ्तर के बाहर प्रदर्शन और घेराव

बयान सामने आते ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) समेत कई छात्र संगठनों ने मोर्चा खोल दिया। बुधवार शाम बड़ी संख्या में छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में जुट गए। उन्होंने कुलपति के दफ्तर के बाहर जोरदार नारेबाजी की और विरोध में दफ्तर का गेट बंद कर दिया। इसके साथ ही बिजली आपूर्ति काट दी गई, जिससे कुलपति मिश्रा को अंधेरे में ही दफ्तर के अंदर रहना पड़ा।

करीब 5:30 बजे से 11:17 बजे तक कुलपति दफ्तर के अंदर कैद रहीं। छात्र संगठनों का कहना था कि जब तक कुलपति को बर्खास्त नहीं किया जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे। ABVP ने इसे मेवाड़ के गौरव और भारतीय इतिहास के अपमान का मामला बताया और राज्यपाल को खून से पत्र लिखकर मिश्रा को तुरंत पद से हटाने की मांग की।

लंबी वार्ता के बाद समझौता

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए देर रात पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। कई घंटे चली बातचीत के बाद प्रशासन ने छात्रों को लिखित आश्वासन दिया कि जब तक इस विवाद का समाधान नहीं हो जाता, तब तक कुलपति सुनीता मिश्रा विश्वविद्यालय नहीं आएंगी। इसके बाद छात्रों ने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया और दफ्तर का ताला खोला।

पुलिस की मौजूदगी में कुलपति को बाहर निकाला गया। हालांकि इस दौरान माहौल तनावपूर्ण बना रहा और बड़ी संख्या में पुलिस बल परिसर में तैनात रहा।

एबीवीपी का राज्यव्यापी प्रदर्शन

घटना के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने घोषणा की कि वे गुरुवार को राजस्थान के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। एबीवीपी नेताओं ने कहा कि यह केवल एक बयान का मामला नहीं है, बल्कि यह मेवाड़ और महाराणा प्रताप की गौरवशाली परंपरा के अपमान का प्रश्न है। इसलिए जब तक कुलपति के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, उनका विरोध जारी रहेगा।

शिक्षा जगत और राजनीति में गूंज

सुनीता मिश्रा के बयान और उसके बाद हुए विरोध ने न केवल यूनिवर्सिटी परिसर बल्कि शिक्षा जगत और राजनीति में भी हलचल मचा दी है। विशेषज्ञ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम ऐतिहासिक संवेदनशीलता का मुद्दा मान रहे हैं। वहीं, छात्र संगठनों का तर्क है कि विश्वविद्यालय का प्रमुख यदि ऐसे विवादित बयान देगा तो यह छात्रों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा और सामाजिक माहौल बिगड़ेगा।

भविष्य की स्थिति पर सवाल

हालांकि फिलहाल समझौते के बाद तनाव कम हुआ है, लेकिन विवाद पूरी तरह से सुलझा नहीं है। प्रशासन के लिखित आश्वासन के बाद कुलपति फिलहाल विश्वविद्यालय नहीं आएंगी, परंतु यह स्थिति कितने दिन बनी रहेगी, इस पर संशय है। छात्र संगठनों ने साफ किया है कि वे अपनी मांग पर अडिग हैं और कुलपति को पद से हटाए बिना आंदोलन जारी रहेगा।

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