मनीषा शर्मा, अजमेर। अजमेर में बने सेवन वंडर्स को तोड़ने की कार्रवाई लगातार जारी है। मंगलवार को इस कार्रवाई का पांचवां दिन रहा, जिसमें पीसा की झुकी हुई मीनार और ताजमहल को गिराने और वहां पड़े मलबे को हटाने का काम किया जा रहा है। यह कार्रवाई अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत की जा रही है। कोर्ट ने इन संरचनाओं को अवैध करार दिया था और 17 सितंबर 2025 तक सभी सेवन वंडर्स को हटाने का आदेश दिया है।
अब तक क्या-क्या तोड़ा गया?
कार्रवाई की शुरुआत 12 सितंबर से हुई थी। पहले दिन रोम का कोलोसियम तोड़ा गया।
13 सितंबर को मिस्र के पिरामिड, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और क्राइस्ट द रिडीमर ध्वस्त किए गए।
15 सितंबर को एफिल टावर को गिराया गया।
अब 16 सितंबर को पीसा की झुकी हुई मीनार और ताजमहल को हटाने का काम हो रहा है।
प्रशासन का कहना है कि सेवन वंडर्स परिसर की चारदीवारी को बाद में हटाया जाएगा।
2022 में हुआ था निर्माण
अजमेर के आनासागर ग्रीन बैल्ट और वेटलैंड क्षेत्र में बने इन सेवन वंडर्स का निर्माण साल 2022 में किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर लगभग 11 करोड़ रुपए की लागत आई थी। इस परिसर को शहरवासियों के लिए पर्यटन और मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित किया गया था। हालांकि, पर्यावरणीय दृष्टिकोण से यह निर्माण वेटलैंड क्षेत्र में अवैध माना गया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने आनासागर वेटलैंड और ग्रीन बैल्ट क्षेत्र में हुए निर्माणों को पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन बताते हुए इन्हें अवैध घोषित किया। इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि 17 सितंबर तक सेवन वंडर्स को पूरी तरह से हटा दिया जाए। इससे पहले कोर्ट के आदेश पर यहां बना फूड कोर्ट भी ध्वस्त किया जा चुका है। अदालत का कहना है कि वेटलैंड क्षेत्र में किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण प्राकृतिक संतुलन और पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक है।
आगे की कार्रवाई
ADA अधिकारियों के मुताबिक, 17 सितंबर की डेडलाइन तक सभी संरचनाओं को पूरी तरह गिरा दिया जाएगा और परिसर खाली कर दिया जाएगा। इसके बाद मलबा हटाने का काम भी पूरा किया जाएगा। प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में इसका एफिडेविट भी प्रस्तुत किया है।
अन्य निर्माण भी विवादों में
सुप्रीम कोर्ट में आनासागर वेटलैंड और ग्रीन बैल्ट क्षेत्र से जुड़े अन्य निर्माण कार्यों पर भी सुनवाई चल रही है। इनमें लगभग 39 करोड़ रुपए की लागत से बने पाथवे, ग्रीन बैल्ट क्षेत्र में आजाद पार्क और गांधी पार्क के निर्माण शामिल हैं। 4 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन केस लिस्टेड नहीं हो पाया। अब अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी सुनवाई में इन निर्माणों की वैधता पर भी कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
अजमेर के स्थानीय निवासियों में इस कार्रवाई को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ लोग मानते हैं कि यह संरचनाएं शहर की पहचान और पर्यटन का नया केंद्र बन सकती थीं, जबकि पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि वेटलैंड क्षेत्र में ऐसे निर्माण से पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचता है और इसे बचाना जरूरी है।