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राजस्थान विधानसभा जासूसी कैमरे विवाद: महिला विधायकों ने स्पीकर पर उठाए गंभीर सवाल

राजस्थान विधानसभा जासूसी कैमरे विवाद: महिला विधायकों ने स्पीकर पर उठाए गंभीर सवाल

मनीषा शर्मा।  राजस्थान विधानसभा में विपक्ष की ओर लगे अतिरिक्त कैमरों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब और गहराता जा रहा है। कांग्रेस की महिला विधायकों ने इस मसले पर गंभीर आपत्ति जताई है और सीधे विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि सदन में लगे हाई रेजोल्यूशन जासूसी कैमरों से उनकी निजी बातचीत, रणनीति और यहां तक कि लिखित नोट्स तक रिकॉर्ड किए जा रहे हैं।

शिमला नायक का आरोप: पेन गिरने की आवाज तक रिकॉर्ड

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान विधायक शिमला नायक ने कहा कि सदन में पहले से 9 कैमरे मौजूद थे, लेकिन हाल ही में दो अतिरिक्त जासूसी कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की तकनीक इतनी तेज है कि पेन गिरने की आवाज भी रिकॉर्ड हो जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन कैमरों का सीधा एक्सेस विधानसभा अध्यक्ष के रेस्ट रूम में है, जहां स्पीकर के साथ मंत्री और भाजपा विधायक बैठकर हमारी बातचीत सुनते हैं और हमें देखते हैं। नायक के अनुसार, यह सिर्फ तकनीकी निगरानी नहीं बल्कि विपक्ष की रणनीति और निजी बातचीत पर नजर रखने की कोशिश है।

लिखित नोट्स भी कैद कर रहे कैमरे

शिमला नायक ने आगे कहा कि जब विपक्ष की महिला विधायक आपस में रणनीति बनाती हैं या किसी निजी मसले पर चर्चा करती हैं, तो यह हाई रेजोल्यूशन कैमरे न केवल आवाज रिकॉर्ड करते हैं बल्कि हमारे कागज पर लिखे नोट्स तक कैद कर लेते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या सदन में हमारी निजता पूरी तरह खत्म हो चुकी है? क्या हमें अब अपनी बातें सुरक्षित कहने के लिए कोई और जगह तलाशनी होगी?”

‘हार्ड डिस्क दिखाई जाए’ – विपक्ष की मांग

कांग्रेस की महिला विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से यह भी सवाल किया कि इन दो कैमरों को लगाने की अनुमति किसने दी। शिमला नायक ने मांग की कि इन कैमरों की हार्ड डिस्क सार्वजनिक की जाए और दिखाया जाए कि अब तक इसमें क्या-क्या रिकॉर्ड हुआ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट प्रावधान है कि किसी की निजी बातचीत या रिकॉर्डिंग बिना अनुमति नहीं की जा सकती। यह संविधान के अनुच्छेद 21, यानी निजता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

गीता बरवड़ का बयान: सदन में भी सुरक्षित नहीं महिलाएं

कांग्रेस विधायक गीता बरवड़ ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि दो जासूसी कैमरे विपक्ष की तरफ ही लगाए गए हैं और ये हमेशा चालू रहते हैं, यहां तक कि सदन स्थगित होने के बाद भी। उन्होंने कहा कि “महिला विधायक सदन के अंदर भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं। हम जब निजी बातें करते हैं या रणनीति बनाते हैं, तब भी यह रिकॉर्डिंग हो रही होती है। यह लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है।” बरवड़ ने सवाल किया, “क्या हमारी निजता अब सिर्फ बाथरूम और बेडरूम तक ही सीमित रह जाएगी? क्या सार्वजनिक मंच पर हमें सुरक्षित महसूस करने का कोई अधिकार नहीं है?”

कांग्रेस की आपत्ति और भाजपा की प्रतिक्रिया

विधानसभा में जब इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई तो भाजपा की ओर से प्रतिक्रिया आई। एक भाजपा विधायक ने कहा कि विपक्षी दल धरने के दौरान “कुकृत्य” करते हैं। इस बयान पर कांग्रेस की महिला विधायक भड़क गईं और इसे महिलाओं का सीधा अपमान बताया। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष विपक्ष को दबाने के लिए न केवल संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर रहा है बल्कि महिलाओं की गरिमा को भी ठेस पहुंचा रहा है।

संवैधानिक और कानूनी पहलू

इस पूरे विवाद में संवैधानिक और कानूनी सवाल भी उठ रहे हैं। अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को निजता का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट कई बार साफ कर चुका है कि बिना अनुमति किसी की निजी बातचीत रिकॉर्ड करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में यदि विधानसभा में वास्तव में हाई रेजोल्यूशन कैमरे निजी बातचीत कैद कर रहे हैं, तो यह गंभीर संवैधानिक संकट है।

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