मनीषा शर्मा। राजस्थान के अजमेर में बने सेवन वंडर पार्क को हटाने की कार्रवाई लगातार तीसरे दिन भी जारी रही। रविवार को मजदूर हथौड़े और छीनी लेकर पार्क में बनी ताजमहल की प्रतिकृति को तोड़ते नजर आए। बुलडोजर और जेसीबी मशीनों की मदद से एक-एक पत्थर हटाया जा रहा है। प्रशासनिक टीमें मौके पर मौजूद हैं और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुआ था निर्माण
यह पार्क अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया था। वर्ष 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका उद्घाटन किया था। इस पार्क के निर्माण पर करीब 11.64 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। पार्क में विश्व प्रसिद्ध सात अजूबों की प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, जिनमें ताजमहल, एफिल टावर, पीसा की मीनार, गीजा का पिरामिड, रोम का कोलोजियम, क्राइस्ट द रिडीमर और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी शामिल थे।
पार्क का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना था। स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटक भी यहां खिंचे चले आते थे। यहां शादियों और प्री-वेडिंग शूट्स की लोकेशन के रूप में भी इसका इस्तेमाल होने लगा था।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना वजह
हालांकि, इस पार्क पर शुरुआत से ही सवाल उठने लगे थे। आरोप लगाया गया कि यह पार्क वेटलैंड क्षेत्र में बनाया गया है और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करता है। इस मुद्दे पर 2023 में शिकायतकर्ता अशोक मलिक ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पार्क को अवैध निर्माण करार देते हुए इसे हटाने का आदेश दिया। अदालत ने साफ निर्देश दिया कि अजमेर नगर निगम और जिला प्रशासन 17 सितंबर 2025 तक पार्क की सभी प्रतिकृतियों को हटा दें।
तीसरे दिन ताजमहल पर चली हथौड़े की चोट
कार्रवाई की शुरुआत शुक्रवार को हुई थी। पहले दिन पार्क में बनी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिकृति हटाई गई। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य संरचनाओं को भी गिराने की प्रक्रिया शुरू की गई। रविवार को मजदूरों ने ताजमहल की प्रतिकृति पर हथौड़े चलाना शुरू किया। प्रशासन ने बताया कि कार्रवाई तय समयसीमा के भीतर पूरी करने के लिए जेसीबी मशीनों और भारी उपकरणों की मदद ली जा रही है।
पर्यटकों में निराशा
यह पार्क पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बन गया था। देश-विदेश से आने वाले सैलानी यहां फोटो खिंचवाते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पार्क अजमेर शहर को नई पहचान दे रहा था। लेकिन अब इसके हटने से पर्यटन को झटका लग सकता है। दूसरी ओर, पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि नियमों की अनदेखी कर बने इस पार्क का हटना जरूरी था।
17 सितंबर तक हटाना अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था कि पार्क को हर हाल में 17 सितंबर 2025 तक हटा दिया जाए। इसी आदेश को लागू करने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम पूरी ताकत से जुटा हुआ है। अधिकारी बताते हैं कि समयसीमा का पालन करते हुए सभी प्रतिकृतियों को हटाकर पार्क की जमीन को खाली कर दिया जाएगा।