मनीषा शर्मा। राजस्थान में लंबे समय से पंचायत और नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासी हलचल बनी हुई है। कांग्रेस लगातार सरकार पर यह आरोप लगाती रही है कि वह जानबूझकर चुनाव कराने में देरी कर रही है। वहीं, भजनलाल शर्मा सरकार ने बार-बार यह कहा कि चुनाव समय पर होंगे। लेकिन अब शहरी विकास एवं आवास मंत्री (UDH मंत्री) झाबर सिंह खर्रा के ताज़ा बयान ने तस्वीर साफ कर दी है। मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि नगर निकाय चुनाव 2025 के जनवरी महीने में कराए जा सकते हैं, न कि इस साल।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी थी उम्मीद
गौरतलब है कि 18 अगस्त 2025 को राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार को जल्द से जल्द नगर निकाय चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से ही यह चर्चा तेज हो गई थी कि चुनाव इसी साल कराए जाएंगे। विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर निकाय चुनावों से बच रही है, क्योंकि जनता का मूड सरकार के खिलाफ है। हालांकि, सरकार लगातार यह दावा करती रही कि चुनाव तय समय पर कराए जाएंगे।
मंत्री खर्रा ने बताया देरी की वजह
शनिवार, 13 सितंबर को झुंझुनूं दौरे पर आए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने पत्रकारों से बातचीत में चुनाव में हो रही देरी की असली वजह बताई। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने इस साल नवंबर तक मतदाता सूची तैयार करने का कार्यक्रम जारी किया है। इसके अलावा राज्य ओबीसी आयोग ने भी तीन महीने में ओबीसी के आंकड़े इकट्ठा कर रिपोर्ट देने के निर्देश जारी किए हैं।
खर्रा ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि नवंबर के अंत तक या दिसंबर के पहले पखवाड़े तक यह कार्रवाई पूरी हो जाएगी। ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आने के बाद वार्डों और निकाय प्रमुखों के आरक्षण की लॉटरी निकाली जाएगी। यह कार्यक्रम दिसंबर के पहले पखवाड़े तक पूरा होने की संभावना है। इसके बाद 10-15 दिसंबर तक हम राज्य निर्वाचन आयोग को जनवरी में ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ के तहत चुनाव कराने का अनुरोध करेंगे।”
309 निकायों पर होंगे चुनाव
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में राज्य में 312 नगर निकाय हैं, लेकिन चुनाव केवल 309 निकायों पर होंगे। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगम बनाए थे। इनमें से एक-एक निगम समाप्त कर दिए गए हैं। ऐसे में अब चुनाव 309 निकायों पर ही कराए जाएंगे।
निकाय प्रमुखों के चुनाव पर भी चल रही चर्चा
झाबर सिंह खर्रा ने यह भी कहा कि सरकार इस बात पर राय ले रही है कि निकाय प्रमुखों का चुनाव सीधे जनता द्वारा हो या फिर पार्षदों के जरिए। इस मुद्दे पर जल्द ही स्पष्ट नीति बनाई जाएगी।
कांग्रेस के आरोप और भाजपा का पलटवार
जहां कांग्रेस ने सरकार पर चुनाव टालने का आरोप लगाया है, वहीं भाजपा का कहना है कि चुनाव में देरी तकनीकी कारणों से हो रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि मतदाता सूची और ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पारदर्शी चुनाव संभव हैं।


