शोभना शर्मा। राजस्थान में इस बार भारी बारिश ने किसानों की फसलों को खासा नुकसान पहुंचाया है। खेतों में बोई गई खरीफ फसलें जलभराव, कीट और रोगों की वजह से प्रभावित हुई हैं। ऐसे हालात में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए सहारा बनकर सामने आती है। लेकिन इस योजना से लाभ उठाने के लिए सरकार ने किसानों के लिए एक अहम शर्त तय की है।
72 घंटे में सूचना देना अनिवार्य
नियमों के मुताबिक, यदि किसी किसान की फसल प्राकृतिक आपदा, अधिक वर्षा, सूखा, ओलावृष्टि, चक्रवात या अन्य कारणों से खराब होती है तो उसे 72 घंटे के भीतर इसकी सूचना देना जरूरी है। ऐसा न करने पर किसान को बीमा योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
यह नियम केवल खड़ी फसल पर ही नहीं, बल्कि कटाई के बाद सुखाने के लिए रखी गई फसलों पर भी लागू होगा। यदि कटाई के बाद खेत या खलिहान में रखी फसल बारिश, ओलावृष्टि या चक्रवात से खराब होती है तो उसका दावा भी तभी स्वीकार होगा जब सूचना तय समय सीमा में दी जाए।
किन फसलों पर मिलेगा बीमा मुआवजा
जयपुर जिला परिषद के संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार) कैलाश चंद मीणा के अनुसार खरीफ 2025 में जिले की अधिसूचित फसलों में मूंग, मूंगफली, ज्वार, तिल, ग्वार और चावला शामिल हैं। इन फसलों को यदि सूखा, बाढ़, जलभराव, कीट-रोग, ओलावृष्टि, बिजली गिरने, चक्रवात या प्राकृतिक आग से नुकसान होता है तो किसान बीमा का दावा कर सकते हैं।
कटाई के बाद रखी गई फसलों पर भी यह प्रावधान लागू है। यदि वे चक्रवात, असामयिक बारिश या ओलावृष्टि से खराब होती हैं तो व्यक्तिगत स्तर पर नुकसान का आकलन कर मुआवजा दिया जाएगा।
सूचना देने के आसान तरीके
किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने कई माध्यम उपलब्ध कराए हैं। किसान फसल नुकसान की जानकारी निम्न माध्यमों से दे सकते हैं:
कृषि रक्षक पोर्टल
हेल्पलाइन नंबर 14447
पीएमएफबीवाई क्रॉप इंश्योरेंस मोबाइल ऐप
चैटबोट नंबर 7065514447
इन माध्यमों से दर्ज की गई सूचना संबंधित विभाग तक तुरंत पहुंच जाएगी और किसान को बीमा का लाभ लेने में सुविधा होगी।
बीमा कंपनी और समन्वयक
खरीफ 2025 के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को बीमा कंपनी नियुक्त किया गया है। कंपनी ने किसानों की सहायता के लिए हर तहसील में समन्वयक तैनात किए हैं। ये समन्वयक किसानों को बीमा दावा करने, फॉर्म भरने और सूचना दर्ज करने की प्रक्रिया में मदद करेंगे।
जिला स्तर पर समन्वयक मगनलाल मीणा (मोबाइल- 8006867172) को बनाया गया है। तहसीलवार समन्वयकों में आंधी के लिए रामसिंह सैनी, आमेर के लिए पिंकी मीणा, बस्सी के लिए मुकेश कुमार शर्मा, चाकसू के लिए सरोज जाट, चौमूं के लिए भंवरलाल बुनकर और मोहनलाल यादव को जिम्मेदारी दी गई है।
इसी प्रकार दूदू में रवि गुर्जर, जयपुर में बनवारीलाल यादव, जमवारामगढ़ में मुकेश कुमार जाट, जोबनेर में मूलचंद बाना, कालवाड़ में किशन शर्मा, किशनगढ़ रेणवाल में पवन कुमार कुमावत, कोटखावदा में हितेश्वर सिंह नाथावत, माधोराजपुरा में रमेश चौधरी, मौजमाबाद में बेवकांता मंडल, फागी में अजीत सिंह कौरव और रमन शर्मा, फुलेरा में श्रवणलाल यादव, सांगानेर में नरेंद्र कुमार शर्मा, शाहपुरा में रामकरण जींगवाड़िया और तूंगा में जसवंत मीणा को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
किसानों के लिए सलाह
किसानों से अपील की गई है कि यदि उनकी फसलें प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होती हैं तो वे जल्द से जल्द सूचना दर्ज कराएं। समय सीमा का पालन करना बेहद जरूरी है क्योंकि बीमा दावे का आकलन तभी होगा जब निर्धारित 72 घंटे में सूचना दी जाएगी।
इसके साथ ही किसानों को अपने तहसील समन्वयकों से संपर्क बनाए रखने की सलाह दी गई है। वे किसानों को प्रक्रिया समझाने और दस्तावेजी औपचारिकताओं को पूरा कराने में मदद करेंगे।
फसल बीमा योजना का महत्व
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई करने का अवसर देती है। यह योजना किसानों को आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खासकर राजस्थान जैसे राज्य में, जहां बरसात और बेमौसम आंधी-तूफान से फसलें बार-बार प्रभावित होती हैं, इस योजना का महत्व और बढ़ जाता है।