शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संस्थापक हनुमान बेनीवाल ने जयपुर में सरकारी आवास खाली करने के आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि संपदा विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई नियमों के खिलाफ है और उनके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
हनुमान बेनीवाल पर जयपुर में दो सरकारी आवासों पर कब्जा बनाए रखने का आरोप है। इनमें से एक ज्योतिनगर स्थित विधायक फ्लैट और दूसरा जालूपुरा का विधायक बंगला है। सरकार ने उन्हें 1 जुलाई को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद लगातार चार और नोटिस भेजे गए, लेकिन बेनीवाल ने अभी तक आवास खाली नहीं किया।
उनकी ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि संपदा विभाग जल्दबाजी में कार्रवाई कर रहा है। साथ ही उनके आवेदनों को अपमानजनक टिप्पणियों के साथ खारिज किया गया। इसी आधार पर उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि जारी नोटिस और उससे संबंधित सभी कार्रवाइयों को रद्द किया जाए।
पहली सुनवाई और बेनीवाल का पक्ष
इस विवाद की पहली सुनवाई 11 जुलाई को हाईकोर्ट में हुई थी। हनुमान बेनीवाल का कहना है कि वे लगातार किराया जमा कर रहे हैं और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
बेनीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया। उनके मुताबिक सरकार और विभाग की ओर से उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया।
पेंशन रोकने का विवाद
इस विवाद के बीच सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया। नियम तोड़ने के आरोप में पूर्व विधायक पुखराज गर्ग और हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल की पेंशन रोक दी गई है। जबकि हनुमान बेनीवाल को सांसद के तौर पर मिलने वाला वेतन और अन्य सुविधाएं जारी हैं।
राजनीतिक तकरार
बेनीवाल के समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। समर्थकों का आरोप है कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए प्रशासनिक हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है।
वहीं, सरकार का पक्ष बिल्कुल अलग है। राज्य सरकार का कहना है कि नियम सभी के लिए समान हैं और किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह सांसद या विधायक ही क्यों न हो, सरकारी आवास का गलत इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अगली सुनवाई पर टिकी नजरें
अब इस मामले में अगली सुनवाई अगले सप्ताह होने वाली है। राजस्थान की राजनीति में यह मामला अहम माना जा रहा है क्योंकि इसका असर भविष्य की सियासी रणनीति पर पड़ सकता है। अगर हाईकोर्ट बेनीवाल के पक्ष में जाता है तो यह सरकार के लिए एक झटका साबित होगा। वहीं, अगर कोर्ट आदेश बरकरार रखता है, तो बेनीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।