शोभना शर्मा। राजस्थान के धौलपुर जिले में नगर परिषद कार्यालय एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में घिर गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने बुधवार, 11 सितंबर को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नगर परिषद के पांच कर्मचारियों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। आरोप है कि ठेकेदार का बिल पास करने के एवज में न केवल निचले स्तर के कर्मचारी बल्कि आयुक्त तक रिश्वत की डिमांड कर रहे थे। अब एसीबी ने आयुक्त अशोक शर्मा को भी पूछताछ के दायरे में ले लिया है।
आयुक्त के नाम पर मांगी गई रिश्वत
शिकायतकर्ता, जो कि राजकीय संवेदक (गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्टर) है, ने एसीबी कार्यालय भरतपुर में शिकायत दर्ज कराई थी। ठेकेदार का आरोप था कि नगर परिषद की महिला एईएन प्रिया झा बिल सत्यापन के नाम पर 70 हजार रुपए की रिश्वत मांग रही थी। वहीं, आयुक्त अशोक शर्मा के नाम से दो लाख रुपए की डिमांड की गई। इस पूरे सौदे में एईएन का समझौता ठेकेदार से 60 हजार रुपए में तय हो गया।
एसीबी ने गुप्त रूप से सत्यापन करने के बाद जाल बिछाया और महिला एईएन समेत पांच कर्मचारियों को कुल 3 लाख 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
टेंडर और भुगतान का मामला
शिकायतकर्ता ठेकेदार ने अपनी शिकायत में कहा कि वर्ष 2024 में बरसात के दौरान शहर की कॉलोनियों में जलभराव की समस्या हुई थी। इस समस्या को दूर करने के लिए नगर परिषद ने टेंडर जारी किया था। टेंडर मिलने के बाद ठेकेदार ने काम भी पूरा कर दिया, लेकिन इसके बाद भी उसका भुगतान रोक दिया गया।
भुगतान जारी करने के लिए नगर परिषद के कर्मचारियों ने रिश्वत की मांग शुरू कर दी। मामला एसीबी तक पहुंचा और गुप्त तरीके से जांच के बाद बड़ा खुलासा हुआ।
कमीशनखोरी का जाल
केवल आयुक्त और एईएन ही नहीं, बल्कि अन्य कर्मचारी भी ठेकेदार से कमीशन मांग रहे थे। इनमें कैशियर भरत, लिपिक नीरज शर्मा और हरेंद्र शामिल थे। अलग-अलग कर्मचारी अलग-अलग हिस्से में रिश्वत की मांग कर रहे थे।
एसीबी के एडिशनल एसपी अमित सिंह ने बताया कि शिकायत का गुप्त भौतिक सत्यापन किया गया और आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की गई। इस दौरान पांचों कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
एसीबी की पूछताछ में आयुक्त भी घिरे
अब जांच की आंच नगर परिषद आयुक्त अशोक शर्मा तक पहुंच चुकी है। आरोप है कि रिश्वत की मुख्य रकम उनके नाम पर ही मांगी गई थी। हालांकि, आयुक्त ने खुद पर लगे आरोपों से इंकार किया है, लेकिन एसीबी ने उन्हें संदेह के घेरे में रखते हुए पूछताछ शुरू कर दी है।
जांच अधिकारियों का कहना है कि जब तक पूरे मामले की गहन जांच नहीं हो जाती, तब तक आयुक्त समेत सभी संबंधित अधिकारियों से पूछताछ जारी रहेगी।
नगर परिषद की छवि पर दाग
इस कार्रवाई के बाद धौलपुर नगर परिषद की छवि पर गंभीर सवाल उठे हैं। जनता का मानना है कि जो विभाग जनता के हित के कामों के लिए जिम्मेदार है, वही रिश्वतखोरी के मामलों में लिप्त पाया गया। ठेकेदारों और आम नागरिकों के लिए बिल पास करवाना और काम का भुगतान कराना अब एक बड़ी चुनौती बन गया है।
आगे की कार्रवाई
एसीबी ने गिरफ्तार कर्मचारियों को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर लिया है। जांच एजेंसी अब आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका की तहकीकात कर रही है। यदि रिश्वत की रकम वाकई आयुक्त के नाम पर मांगी गई थी और इस बात के पुख्ता सबूत मिले तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।