मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा का सोमवार का सत्र हंगामेदार रहा। सदन में कांग्रेस विधायकों ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे और जयपुर के जामड़ोली स्थित विमंदित गृह में हुई एक महिला की मौत तथा उसके अंतिम संस्कार में हुई देरी को लेकर जमकर नारेबाजी की। शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने वेल में आकर सरकार को घेरा और तत्काल चर्चा की मांग रखी। इस बीच कांग्रेस विधायक रफीक खान और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली।
कानून-व्यवस्था पर कांग्रेस का हमला
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने शून्यकाल में प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही। जूली ने मांग की कि इस पर सदन में तुरंत चर्चा होनी चाहिए। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस मुद्दे को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में चर्चा के लिए भेज दिया, जिससे कांग्रेस विधायकों का गुस्सा और बढ़ गया।
विमंदित गृह में मौत का मामला
विधानसभा का माहौल उस समय और गरमा गया जब जामड़ोली के विमंदित गृह में एक अज्ञात महिला की मौत का मुद्दा उठाया गया। कांग्रेस विधायक रफीक खान ने आरोप लगाया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण महिला की मौत के छह दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया होता तो और देरी होती।
इस पर मंत्री अविनाश गहलोत ने सफाई देते हुए कहा कि विमंदित गृह में किसी अज्ञात व्यक्ति की मृत्यु होने पर पहले उसकी पहचान की प्रक्रिया पूरी की जाती है। सरकार ने इसके लिए स्पष्ट नियम और सर्कुलर जारी किए हुए हैं और उन्हीं का पालन किया जाता है। यही कारण है कि अंतिम संस्कार में देरी हुई। लेकिन कांग्रेस विधायक इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और हंगामा करते रहे।
स्पीकर की फटकार और मंत्री की सफाई
प्रश्नकाल के दौरान एक और घटना में सदन का माहौल गरमा गया। कांग्रेस विधायक सोहनलाल नायक ने चकबंदी का नोटिफिकेशन जारी करने में देरी पर सवाल उठाया। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने जवाब दिया कि 21 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी हो चुका है और नेता प्रतिपक्ष को इसे सुन लेना चाहिए। इस जवाब पर स्पीकर वासुदेव देवनानी नाराज हो गए और पटेल को फटकार लगाते हुए कहा कि आप जवाब नेता प्रतिपक्ष को नहीं, स्पीकर को संबोधित करें।
पटेल ने सफाई दी कि उनका जवाब स्पीकर को ही संबोधित था। हालांकि, इस बहस ने सदन का माहौल और गर्मा दिया और कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश की।
मिलावटखोरी पर कृषि मंत्री का बयान
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने पूरक सवाल में मिलावटखोरी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा से पूछा कि छापेमारी के बाद कितने लोगों को जेल भेजा गया।
इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि अब तक दो कंपनियों के गोदाम सील किए गए हैं और मिलावट व कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इजराइल-यूक्रेन युद्ध के कारण डीएपी की कमी आई है, लेकिन यूरिया की आपूर्ति पर्याप्त है। मीणा ने विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि सरकार प्रदेश में मिलावटखोरी और कालाबाजारी पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस का आक्रामक रुख, सरकार की सफाई
पूरे सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों का आक्रामक रुख बना रहा। कानून-व्यवस्था, विमंदित गृह की घटना, चकबंदी और मिलावटखोरी जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। दूसरी ओर सरकार के मंत्रियों ने नियमों, प्रक्रियाओं और हालिया कार्रवाइयों का हवाला देकर सफाई दी।