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पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का “कोट बांध कांड”, 25 फीट गहरे पानी में छलांग लगाई

पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का “कोट बांध कांड”, 25 फीट गहरे पानी में छलांग लगाई

शोभना शर्मा।  राजस्थान की राजनीति में अपने विवादित बयानों और अलग अंदाज से सुर्खियों में रहने वाले पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार न तो कोई राजनीतिक बयान कारण बना है और न ही बहुचर्चित लाल डायरी, बल्कि झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी इलाके में स्थित सूरज कोट बांध में उनकी छलांग सुर्खियों का हिस्सा बन गई है।

25 फीट गहरे पानी में छलांग

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में गुढ़ा को बरमुडा पहने हुए कोट बांध की पाल से छलांग लगाते और पानी में तैरते हुए साफ देखा जा सकता है। यह बांध इस वक्त पानी से लबालब भरा हुआ है और उसकी गहराई लगभग 25 फीट बताई जा रही है। खास बात यह रही कि मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन गुढ़ा नहीं माने। हालांकि गुढ़ा का दावा है कि उन्हें किसी ने रोका ही नहीं।

आधे घंटे तक तैराकी – पुलिस देखती रही

पूर्व मंत्री ने करीब आधे घंटे तक बांध में तैराकी की। इस दौरान मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मी और पुलिस टीम केवल उनकी निगरानी करती रही। आम लोगों को जहां बांध में नहाने पर 1100 रुपये का जुर्माना भरना पड़ता है, वहीं गुढ़ा बिना किसी रोक-टोक के खुलेआम तैरते नजर आए। वायरल वीडियो में वे न केवल तैरते दिखे, बल्कि किनारे खड़े लोगों को हाथ हिलाकर अभिवादन भी करते रहे।

“मस्ती मूड” में दिखे गुढ़ा

वीडियो में साफ नजर आता है कि गुढ़ा को यह एहसास था कि लोग उनका वीडियो बना रहे हैं। शायद इसी कारण उन्होंने एक बार नहीं, बल्कि दो-दो बार छलांग लगाई और दूर तक तैरकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। यह नजारा वहां मौजूद लोगों के लिए किसी रोमांचक दृश्य से कम नहीं था।

गुढ़ा का बयान – “जब भी चादर चलती है, मैं नहाने जाता हूं”

इस पूरे घटनाक्रम पर गुढ़ा का कहना था – “कोट बांध में जब भी चादर चलती है, मैं नहाने के लिए जाता हूं। इस बार भी गया था। मुझे किसी ने रोका ही नहीं। मैं नहाकर वापस आ गया।” उनके इस बयान ने प्रशासन की स्थिति और असहज कर दी है।

प्रशासन की पाबंदी धरी की धरी

नांगल पंचायत की ओर से कोट बांध में नहाने पर पाबंदी लगाई गई है। इसके उल्लंघन पर 1100 रुपये का जुर्माना निर्धारित है। वहां बाकायदा चेतावनी बोर्ड भी लगाया गया है, जिसमें लिखा है – “बांध में नहाना सख्त मना है। उल्लंघन करने पर जुर्माना लगेगा।” लेकिन गुढ़ा के मामले में यह नियम कागजों तक ही सीमित रह गया।

पुलिस और प्रशासन का बचाव

इस घटना पर उदयपुरवाटी थाना प्रभारी कस्तूर वर्मा ने कहा कि सुरक्षाकर्मी ने गुढ़ा को रोकने का प्रयास किया था, लेकिन वे नहीं माने। वहीं सुरक्षा के लिए तैनात तैराक रतन गुर्जर ने कहा कि गुढ़ा अच्छे तैराक हैं, इसलिए उन्हें कोई खतरा नहीं था। उदयपुरवाटी की एसडीएम सुमन सोनल ने भी बयान दिया कि बांध में नहाना पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन सुरक्षा कारणों से लोगों को रोका जाता है। हालांकि गुढ़ा के मामले पर उन्होंने सीधे तौर पर कुछ कहने से परहेज किया।

जनता में उठ रहे सवाल

अब सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गर्मा गया है। लोग मजाक में इसे “लाल डायरी के बाद कोट बांध कांड” कह रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन गुढ़ा पर भी वही जुर्माना लगाएगा, जो आम जनता पर लगाया जाता है, या फिर मामला राजनीतिक दबाव के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

गुढ़ा और विवादों का पुराना रिश्ता

राजेंद्र सिंह गुढ़ा का विवादों से पुराना नाता रहा है। कभी कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए लाल डायरी प्रकरण को लेकर उन्होंने सियासत में भूचाल ला दिया था, तो कभी अपने तीखे बयानों से पार्टी नेतृत्व को असहज कर चुके हैं। अब कोट बांध में तैराकी का यह मामला उनकी उसी विवादित छवि को और मजबूत करता दिखाई दे रहा है।

पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा का यह कदम एक बार फिर उन्हें सुर्खियों में ले आया है। सवाल सिर्फ इतना है कि क्या कानून सबके लिए बराबर है या नेताओं के लिए अलग नियम चलते हैं। अगर आम लोगों पर पाबंदी है तो गुढ़ा पर भी वही लागू होना चाहिए। फिलहाल यह मामला सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों तक चर्चा का विषय बना हुआ है और सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।

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