मनीषा शर्मा। राजस्थान के जालोर जिले के सांचौर क्षेत्र में लूनी नदी ने भारी तबाही मचा दी है। नेहड़ क्षेत्र से गुजरने वाली इस नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि से पावटा गांव पूरी तरह से संकट में आ गया है। पिछले सात दिनों से यह गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है, जिसके चलते यहां रहने वाले 100 से ज्यादा परिवार अपने ही घरों में कैद होकर रह गए हैं। ग्रामीण अब जान जोखिम में डालकर टायर ट्यूब और अस्थायी साधनों के सहारे राशन और जरूरी सामान ला रहे हैं।
सात दिन से कटे गांव का सड़क संपर्क
लूनी नदी के तेज बहाव ने पावटा गांव को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग कर दिया है। सड़क संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, जिससे ग्रामीणों को न तो राहत सामग्री मिल रही है और न ही प्रशासन की कोई सहायता पहुंच पा रही है। गांववासी बताते हैं कि सात दिन बीत जाने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी न तो हालात का जायजा लेने पहुंचे और न ही किसी प्रकार की बचाव सामग्री गांव तक पहुंची।
टायर ट्यूब पर राशन लाने को मजबूर
पावटा गांव के लोग अब अपनी जान की परवाह किए बिना टायर ट्यूब या लकड़ी के अस्थायी साधनों पर बैठकर नदी पार कर रहे हैं। इस रास्ते से वे किसी तरह राशन और अन्य जरूरी सामान गांव तक पहुंचा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह तरीका बेहद खतरनाक है, क्योंकि नदी का बहाव तेज है और कभी भी हादसा हो सकता है। छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को लेकर स्थिति और भी चिंताजनक है।
लगातार बढ़ता जलस्तर, बढ़ती चिंता
लूनी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और इससे ग्रामीणों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। पहले से ही घरों में पानी घुस चुका है और अब खतरा है कि हालात और बिगड़ सकते हैं। लोग अपने घरों में डरे-सहमे रह रहे हैं। परिवारों को न तो सही भोजन मिल पा रहा है और न ही पीने का साफ पानी। बच्चों और बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ने का डर भी ग्रामीणों को सता रहा है।
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
ग्रामीण प्रशासन पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्य करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन पावटा गांव के मामले में लापरवाही साफ नजर आ रही है। गांववालों का कहना है कि ऐसा लगता है जैसे प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा हो। किसी भी अधिकारी ने गांव का दौरा तक नहीं किया।
ग्रामीणों की मांग
पावटा गांव के लोगों ने प्रशासन से तत्काल राहत सामग्री पहुंचाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मेडिकल टीम और नावों की तत्काल व्यवस्था की जाए ताकि जरूरतमंद परिवारों को इलाज और सुरक्षित बाहर निकलने की सुविधा मिल सके। यदि जलस्तर और बढ़ा तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
समाजसेवी संगठनों की अपील
क्षेत्र के समाजसेवी संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासन से तुरंत राहत कार्य शुरू करने की अपील की है। उनका कहना है कि आपदा प्रबंधन दल और एनडीआरएफ जैसी टीमें यहां भेजी जानी चाहिए। समय पर कार्रवाई नहीं होने से बड़ी त्रासदी हो सकती है।
गांव के हालात एक चेतावनी
पावटा गांव के हालात इस बात के गवाह हैं कि आपदा के समय समय पर मदद नहीं मिलने से कितनी बड़ी मानवीय समस्या खड़ी हो सकती है। टायर ट्यूब और अस्थायी साधनों से राशन लाने की मजबूरी यह दर्शाती है कि ग्रामीण कितनी कठिनाई झेल रहे हैं। यदि जल्द ही प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए तो स्थिति और भयावह हो सकती है। लूनी नदी के बढ़ते जलस्तर ने 100 से ज्यादा परिवारों की जिंदगी खतरे में डाल दी है, लेकिन राहत और बचाव कार्य अभी तक न के बराबर है। ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर टायर ट्यूब से राशन ला रहे हैं, जो किसी भी समय बड़ा हादसा बन सकता है।


