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राजस्थान की पहली सोने की खदान की नीलामी रद्द

राजस्थान की पहली सोने की खदान की नीलामी रद्द

मनीषा शर्मा। राजस्थान की पहली सोने की खदान के लिए की गई नीलामी पर अचानक ब्रेक लग गया है। भूकिया-जगपुरा क्षेत्र में स्थित इस खदान की नीलामी मई 2024 में पूरी हुई थी, लेकिन अब खान विभाग ने इसे रद्द कर दिया है। वजह बनी विजेता कंपनी के दस्तावेजों में पाई गई गड़बड़ियां।

जून 2024 में राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और झारखंड के बाद देश का चौथा राज्य बना था, जिसे सोने की खदान का लाइसेंस मिला था। उस समय इसे राज्य की खनन और आर्थिक गतिविधियों में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना गया था।

चार कंपनियों ने लगाई थी बोली

इस खदान की नीलामी में कुल चार कंपनियां शामिल हुई थीं—

  1. हिराकुंड नैचुरल रिसोर्सेज

  2. हिंदुस्तान जिंक

  3. रामगढ़ मिनरल्स एंड माइनिंग

  4. ओवैस मेटल एंड मिनरल प्रोसेसिंग लिमिटेड

इनमें से रतलाम की कंपनी ओवैस मेटल एंड मिनरल प्रोसेसिंग लिमिटेड को विजेता घोषित किया गया था। लेकिन नीलामी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब दस्तावेजों की जांच हुई तो कई खामियां सामने आईं।

दस्तावेजों में मिली गड़बड़ियां

जांच के दौरान पाया गया कि विजेता कंपनी ने नीलामी की अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं किया। कंपनी की नेटवर्थ और आयकर रिटर्न में अंतर मिला। साथ ही 200 करोड़ रुपये की अनिवार्य वित्तीय शर्त भी पूरी नहीं की गई थी। शेयरहोल्डिंग से जुड़े आंकड़े भी सही नहीं पाए गए।

इन गड़बड़ियों के आधार पर खान विभाग ने नीलामी को रद्द करने का आदेश जारी किया।

दोबारा होगी नीलामी

खान विभाग के संयुक्त सचिव आशु चौधरी ने स्पष्ट किया कि इस खदान की नीलामी फिर से कराई जाएगी। विभाग की योजना है कि नवंबर-दिसंबर 2025 तक नई बोली प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।

इस फैसले से खदान के संचालन की समयसीमा प्रभावित हो सकती है। अनुमान था कि उत्पादन 2026-27 तक शुरू हो जाएगा, लेकिन अब इसमें देरी तय है।

मशीनरी लगाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी

जानकारी के अनुसार, विजेता कंपनी ने पर्यावरणीय मंजूरी के साथ-साथ खदान स्थल पर मशीनरी लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इससे खदान से उत्पादन की उम्मीदें और बढ़ गई थीं। लेकिन अब पूरी प्रक्रिया को दोबारा से शुरू करना होगा।

राजस्थान की खदान से निकल सकता है इतना सोना

विशेषज्ञों के मुताबिक, भूकिया-जगपुरा खदान में करीब 113.52 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क होने का अनुमान है। इसके जरिए अगले 50 सालों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जा सकता है।

इतना ही नहीं, यहां से सोने के साथ तांबा, निकल और कोबाल्ट जैसी महत्वपूर्ण धातुएं भी निकलेंगी। ये धातुएं न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगी, बल्कि औद्योगिक विकास को भी नई दिशा प्रदान करेंगी।

रोजगार और निवेश की संभावना

इस खदान प्रोजेक्ट से सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50 हजार लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। खनन उद्योग से जुड़े इंजीनियरिंग, मशीनरी, लॉजिस्टिक्स और सुरक्षा सेवाओं में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलरी और एयरोस्पेस सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित होने की संभावना है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था में एक नया अध्याय जुड़ सकता है।

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