शोभना शर्मा। झालावाड़ में हुए दर्दनाक स्कूल हादसे के विरोध में धरना देने पर गिरफ्तार किए गए नरेश मीणा को आखिरकार हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की अदालत ने गुरुवार को नरेश मीणा को जमानत देने का आदेश सुनाया। अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या धरना और प्रदर्शन करना भी अपराध माना जाएगा।
हादसे के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
यह मामला 25 जुलाई का है जब झालावाड़ जिले के पिपलोदी सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का एक हिस्सा गिर गया था। इस दर्दनाक हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि कई बच्चे घायल भी हुए। हादसे की सूचना मिलते ही जिलेभर में आक्रोश फैल गया। लोग घटना की जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने लगे।
इसी क्रम में नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल पहुंचे, जहां हादसे में घायल बच्चों का इलाज चल रहा था। अस्पताल परिसर में पहले से धरना-प्रदर्शन चल रहा था। नरेश मीणा भी इस विरोध में शामिल हुए और सरकार तथा प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
धरना स्थल पर मौजूद नरेश मीणा को उसी दिन पुलिस ने शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का आरोप था कि धरना-प्रदर्शन की वजह से अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ी और मेडिकल स्टाफ को अपनी ड्यूटी करने में परेशानी हुई।
अगले दिन यानी 26 जुलाई को झालावाड़ जिला अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। इसमें आरोप लगाया गया कि प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल की मेडिकल सुविधाओं में बाधा डाली और एंबुलेंस व आईसीयू स्टाफ को अस्पताल परिसर में जाने से रोका। इस शिकायत के आधार पर नरेश मीणा को थाने से ही दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया।
हाईकोर्ट में सुनवाई और बहस
नरेश मीणा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फतेहराम मीणा और रजनीश गुप्ता ने पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि जिस दिन नरेश को गिरफ्तार किया गया, उस दिन धरना पहले से चल रहा था और नरेश केवल उसमें शामिल हुए थे। धरना शांतिपूर्ण था और इसमें किसी प्रकार की हिंसा या अस्पताल के कामकाज में बाधा डालने का प्रयास नहीं किया गया।
सरकार की ओर से दलील दी गई कि नरेश मीणा की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है और वह कई मामलों में शामिल रहे हैं। इस पर बचाव पक्ष ने कहा कि नरेश को पहले दर्ज 12 मामलों में बरी किया जा चुका है और जो मामले अभी लंबित हैं, वे सभी राजनीतिक मुकदमे हैं।
अदालत की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से सवाल किया कि क्या धरना-प्रदर्शन करना भी अपराध माना जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों को अपनी बात रखने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का अधिकार है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नरेश मीणा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
राजनीतिक गिरफ्तारी
नरेश मीणा की गिरफ्तारी और फिर जमानत का यह मामला राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है। झालावाड़ क्षेत्र में यह मुद्दा आमजन की भावनाओं से जुड़ा है, क्योंकि हादसे में मासूम बच्चों की मौत हुई थी। इस घटना ने सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं।
नरेश मीणा के समर्थकों का कहना है कि यह गिरफ्तारी पूरी तरह राजनीतिक थी और उन्हें आंदोलन दबाने के लिए निशाना बनाया गया। वहीं, सरकार का कहना है कि अस्पताल की सेवाओं को बाधित करना गंभीर अपराध है और कानून-व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है।