शोभना शर्मा। राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने प्रदेश में नई भू-आवंटन पॉलिसी 2025 लागू कर दी है। करीब 10 साल बाद बदली गई इस नीति में कई बड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। खास बात यह है कि सरकार ने पहली बार शहीदों के सम्मान में उनके जन्म स्थान पर स्मारक बनाने के लिए मुफ्त जमीन देने का प्रावधान किया है। वहीं, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए जमीन का एरिया घटा दिया गया है। इसके अलावा निवेशकों और राजनीतिक दलों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण शर्तों में भी बदलाव किया गया है।
शहीदों के स्मारक के लिए मुफ्त जमीन
नई पॉलिसी के तहत सेना में शहीद होने वाले जवानों के स्मारक बनाने के लिए राज्य सरकार अब मुफ्त जमीन देगी। यह जमीन शहीद के जन्म स्थल वाले शहर या निकाय में उपलब्ध कराई जाएगी। इस प्रावधान के तहत अधिकतम 500 वर्गमीटर तक जमीन जिला सैनिक कल्याण अधिकारी के माध्यम से आवंटित की जाएगी। इससे पहले लागू भू-आवंटन पॉलिसी 2015 में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था। सरकार का मानना है कि इस कदम से शहीदों का सम्मान बढ़ेगा और उनके बलिदान को नई पीढ़ी भी याद रख सकेगी।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए जमीन कम
नई पॉलिसी में शैक्षणिक संस्थानों के लिए आवंटित की जाने वाली जमीन का आकार घटा दिया गया है। पहले कॉलेज खोलने के लिए संभागीय मुख्यालय पर 10 हजार वर्गमीटर और अन्य जिलों में 13 हजार वर्गमीटर जमीन आवंटित करने का प्रावधान था। अब इसे क्रमशः 6 हजार और 10 हजार वर्गमीटर कर दिया गया है।
इसी तरह यूनिवर्सिटी स्थापित करने के लिए पहले 30-30 एकड़ जमीन का प्रावधान था, जिसे अब घटाकर अधिकतम 20-20 एकड़ कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इस बदलाव से जमीन का बेहतर उपयोग होगा और अनावश्यक बड़े भू-खंडों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
राजनीतिक दलों को राहत
नई नीति में राजनीतिक दलों से जुड़ा भी बड़ा संशोधन किया गया है। अब किसी राजनीतिक पार्टी को आवंटित की गई जमीन वापस नहीं ली जाएगी, भले ही उसका राष्ट्रीय दर्जा बाद में खत्म क्यों न हो जाए। वर्ष 2015 की नीति में यह प्रावधान था कि यदि किसी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर का दर्जा समाप्त हो जाता है तो उस पार्टी से जमीन वापस ली जा सकती है, चाहे वहां भवन ही क्यों न बना हो। नई नीति ने इस शर्त को हटा दिया है, जिससे राजनीतिक दलों को बड़ी राहत मिली है।
निवेशकों पर नई शर्त
भू-आवंटन पॉलिसी 2025 में निवेशकों के लिए भी सख्त शर्तें जोड़ी गई हैं। अब केवल वही निवेशक जमीन आवंटन के लिए आवेदन कर सकेंगे, जो कुल निवेश राशि का कम से कम 30% कैपिटल सरकार को दिखा सकें। यदि निवेशक 30% कैपिटल नहीं दिखा पाता है, तो उसे पिछले तीन साल का नेट प्रॉफिट (निवेश राशि का कम से कम 10% से अधिक) प्रस्तुत करना होगा। सरकार का मानना है कि इससे गंभीर और मजबूत निवेशकों को ही जमीन मिलेगी और निवेश प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी।
10 साल बाद आई नई नीति
राजस्थान में भू-आवंटन की पिछली नीति वर्ष 2015 में लागू हुई थी। लगभग एक दशक बाद लाई गई नई पॉलिसी में राज्य सरकार ने बदलते समय और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रावधानों में बदलाव किया है। इसका उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना, संस्थाओं को आवश्यकतानुसार जमीन उपलब्ध कराना और शहीदों के सम्मान में एक नई पहल करना है।