शोभना शर्मा। वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच बढ़ते तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने के बाद उनकी आक्रामक बयानबाज़ी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर विवाद का कारण बनती जा रही है। विशेष रूप से भारत को लेकर टैरिफ बढ़ाने की धमकी और रूस से भारत के तेल व्यापार पर सवाल उठाना, ट्रंप के लिए उल्टा पड़ गया है। भारत ने इस बार खुलकर जवाब दिया और अमेरिका की दोहरी नीति को वैश्विक मंच पर उजागर कर दिया।
अमेरिका की धमकी पर भारत का करारा उत्तर
ट्रंप ने हाल ही में फिर से भारत को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी थी। हालांकि, भारत अब तक इन बयानों पर संयम बनाए हुए था। लेकिन इस बार नई दिल्ली ने चुप्पी तोड़ते हुए अमेरिका को उसके ही तथ्यों से जवाब देने का फैसला किया। सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ट्रंप की धमकी “तर्कहीन और अनुचित” है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका खुद रूस से व्यापार करता है, फिर भारत को निशाना बनाना पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण रवैया है। रणधीर जायसवाल ने कहा कि अमेरिका रूस से अपने परमाणु ऊर्जा उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता है। इसके बावजूद अमेरिका दूसरों को रूस से व्यापार के लिए दोषी ठहराता है, जो कि दोहरे मापदंडों को दर्शाता है।
ट्रंप की प्रेशर पॉलिटिक्स का जवाब उसी अंदाज में
डोनाल्ड ट्रंप का यह अंदाज कोई नया नहीं है। वे अक्सर प्रेशर पॉलिटिक्स यानी दबाव की राजनीति का इस्तेमाल करते रहे हैं। पिछली बार राष्ट्रपति रहते हुए भी ट्रंप ने भारत पर दबाव बनाने के लिए व्यापार शुल्कों में बढ़ोतरी की धमकी दी थी। लेकिन इस बार भारत ने कूटनीति को एक ओर रख सीधे जवाब देने की रणनीति अपनाई है। रणधीर जायसवाल ने प्रेस में ट्रंप के बयानों का जवाब उसी शैली में दिया, जिस तरह ट्रंप मीडिया में आकर बयानबाज़ी करते हैं। भारत ने साफ कर दिया है कि वो अब बैक डोर चैनलों से बात करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आवश्यकता पड़ी तो वह सार्वजनिक मंचों पर भी अमेरिका को उसके रवैये के लिए घेर सकता है।
अमेरिका की दोहरी नीति का आंकड़ों से पर्दाफाश
भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका दोनों ही रूस के साथ व्यापार करते हैं। इसके बावजूद इन देशों द्वारा भारत जैसे देशों पर प्रतिबंध लगाने की नीति न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि अविवेकपूर्ण और स्वार्थी भी है। मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह रवैया वैश्विक व्यापार और सहयोग की भावना के विरुद्ध है। भारत ने यह भी जता दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगा। इसके लिए वह कूटनीति और जरूरत पड़ी तो प्रतिरोध दोनों का सहारा लेगा।
6 महत्वपूर्ण बिंदुओं में भारत का स्टैंड
रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में छह बिंदुओं के ज़रिये भारत के दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखा:
भारत वैश्विक नियमों और संधियों का पालन करता है, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।
रूस से भारत का तेल आयात पूर्णतः पारदर्शी और वैध है। यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा का हिस्सा है।
अमेरिका खुद भी रूस से व्यापार करता है, इसलिए दूसरों पर सवाल उठाना तर्कहीन है।
किसी भी देश की तरह, भारत भी अपनी आर्थिक संप्रभुता की रक्षा का अधिकार रखता है।
भारत पर लगाए गए आरोप न केवल बेबुनियाद हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को प्रभावित करने का प्रयास हैं।
भारत अपने आर्थिक भागीदारों के साथ सम्मान और पारस्परिक समझ के साथ संबंध बनाना चाहता है, न कि धमकियों के आधार पर।
भारत की कूटनीति अब मुखर
भारत की रणनीति अब साफ हो चुकी है—जहां जरूरी हो, वहां कूटनीति और संयम, लेकिन जहां हितों पर हमला हो, वहां ठोस जवाब। भारत लंबे समय से वैश्विक स्तर पर एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक और आर्थिक शक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर चुका है। ऐसे में ट्रंप की धमकियों का असर अब वैसा नहीं पड़ता जैसा पहले कभी पड़ता था। भारत ने अमेरिका को यह संदेश दे दिया है कि वह अब ‘साइलेंट डिप्लोमेसी’ की बजाय ‘पब्लिक काउंटर’ की राह पर भी चल सकता है। इस नई रणनीति में न तो झुकाव है और न ही टकराव, बल्कि अपनी संप्रभुता की स्पष्ट अभिव्यक्ति है।


