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रामलाल जाट बोले- BJP में छुटभैये नेताओं का बोलबाला

रामलाल जाट बोले- BJP में छुटभैये नेताओं का बोलबाला

मनीषा शर्मा।  भीलवाड़ा जिले में धार्मिक आयोजन को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस सरकार में पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। मामला मांडल से हरणी महादेव मंदिर तक निकलने वाली कांवड़ यात्रा के पोस्टरों को हटाने और फाड़ने से जुड़ा है। इस घटना के बाद रामलाल जाट ने सीधे तौर पर भाजपा और मांडल के भाजपा विधायक उदयलाल भड़ाना पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अब नेतृत्वविहीन हो चुकी है और पार्टी के कुछ छुटभैये नेता धर्म की राजनीति कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे से हर साल की तरह इस बार भी कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा 21 किलोमीटर दूर स्थित हरणी महादेव मंदिर तक जाती है। यात्रा के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे मांडल क्षेत्र में बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए गए, जिनमें पूर्व मंत्री रामलाल जाट के भी चित्र थे।

इस धार्मिक आयोजन से ठीक पहले स्थानीय भाजपा विधायक उदयलाल भड़ाना ने इन पोस्टरों को लेकर जिला कलेक्टर से शिकायत की। इसके बाद प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए सभी पोस्टर और होर्डिंग्स को हटा दिया। इससे कांग्रेस नेताओं में नाराजगी फैल गई और पूर्व मंत्री रामलाल जाट ने इसे धार्मिक भावना से जुड़ा मुद्दा बताते हुए भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए।

रामलाल जाट का तीखा प्रहार

पोस्टर हटाने की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए रामलाल जाट ने कहा, “धार्मिक यात्रा के पोस्टर तो छुटभैये नेताओं को नजर आते हैं, लेकिन भीलवाड़ा में वर्षों से गायों की दयनीय स्थिति दिखाई नहीं देती। भाजपा के विधायक, सांसद और महापौर वर्षों से इस क्षेत्र में हैं, लेकिन उन्होंने कभी धर्म की सेवा नहीं की, केवल धर्म के नाम पर राजनीति की है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा भीलवाड़ा में अब नेतृत्वविहीन हो चुकी है। जिन नेताओं में काबिलियत थी, उन्हें पर्दे के पीछे धकेल दिया गया है और कुछ अपरिपक्व छुटभैये नेताओं को आगे कर दिया गया है जो धर्म के नाम पर समाज को गुमराह कर रहे हैं।

“राजनीति में मोक्ष क्यों ढूंढ रहे महाराज?”

रामलाल जाट ने धर्मगुरुओं द्वारा राजनीति में प्रवेश करने पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, “कोई महाराज मोक्ष के लिए संन्यास लेता है, समाज को धर्म की शिक्षा देने के लिए बनता है। अगर वही महाराज राजनीति में आ जाएं, तो इसका मतलब उन्हें धर्म में नहीं, राजनीति में मोक्ष दिखाई दे रहा है।” यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से उन धार्मिक नेताओं की ओर इशारा करता है, जो हाल के वर्षों में भाजपा के समर्थन से राजनीति में सक्रिय हुए हैं।

भाजपा विधायक की भूमिका पर सवाल

जानकारी के अनुसार, कांवड़ यात्रा के पोस्टर हटाने की प्रक्रिया विधायक उदयलाल भड़ाना की शिकायत पर की गई। शिकायत में कहा गया था कि पोस्टर नियम विरुद्ध जगहों पर लगाए गए हैं, जिससे सार्वजनिक स्थलों की शोभा और यातायात व्यवस्था बाधित हो रही है। हालांकि प्रशासन ने नियमों के पालन का हवाला देकर कार्रवाई की, लेकिन कांग्रेस खेमे का आरोप है कि यह धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और पूर्व मंत्री की लोकप्रियता को दबाने का प्रयास था।

प्रशासन और यूआईटी का मौन रवैया

इस पूरे मामले पर जब नगर निगम और यूआईटी अधिकारियों से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कोई भी औपचारिक टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इससे भी कांग्रेस नेताओं की नाराजगी और बढ़ गई है। रामलाल जाट समर्थकों का मानना है कि यह भाजपा समर्थित अधिकारियों की मिलीभगत का परिणाम है।

राजनीतिक रंग में रंगा धार्मिक आयोजन

यह घटना दर्शाती है कि किस तरह धार्मिक आयोजनों को अब राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच धर्म, संस्कृति और आस्था के विषयों पर वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इससे साफ है कि चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दल धार्मिक भावनाओं को अपने पक्ष में मोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

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