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देशभर के नए जिलों में अब हॉलमार्किंग हुई अनिवार्य

देशभर के नए जिलों में अब हॉलमार्किंग हुई अनिवार्य

शोभना शर्मा।  भारत में अब सोने की ज्वेलरी खरीदने वालों को और अधिक भरोसेमंद विकल्प मिलने जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 31 जुलाई 2025 से देश के कई नए जिलों में हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। यह बदलाव ‘हॉलमार्किंग ऑफ गोल्ड ज्वेलरी एंड गोल्ड आर्टिफैक्ट्स ऑर्डर, 2020’ में संशोधन कर लागू किया गया है। इस संशोधन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को शुद्ध और प्रमाणित सोना उपलब्ध कराना है। साथ ही, इससे देशभर में सोने की बिक्री में पारदर्शिता आएगी और नकली या कम कैरेट के सोने की बिक्री पर रोक लगेगी।

अब किन जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य?

पहले केवल चुनिंदा जिलों में हॉलमार्किंग आवश्यक थी, लेकिन अब लगभग हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के नए जिलों को इस दायरे में लाया गया है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • उत्तर प्रदेश: गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, गाजीपुर, मऊ, मथुरा, मेरठ

  • महाराष्ट्र: पालघर, परभणी, जलना, नासिक, वर्धा, यवतमाल, सोलापुर

  • गुजरात: मोरबी, तापी, नवसारी, द्वारका

  • राजस्थान: कई छोटे-बड़े जिले, जो पहले सूची में नहीं थे

  • तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के अनेक जिले

इस विस्तार से अब देश के लगभग सभी प्रमुख जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है।

कानूनी आधार क्या है?

यह संशोधन भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के तहत किया गया है। इस निर्णय से पहले सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से परामर्श लिया और इसे जनहित में एक जरूरी व तर्कसंगत कदम बताया है।

इस बदलाव से किसे होगा लाभ?

◼ उपभोक्ताओं को:

  • शुद्ध सोना खरीदने की गारंटी मिलेगी

  • नकली या धोखाधड़ी वाली ज्वेलरी से बचाव संभव होगा

  • बाजार में प्रामाणिकता और भरोसे की भावना बढ़ेगी

◼ ज्वेलर्स को:

  • अपने उत्पादों को प्रमाणित कर वे अपनी ब्रांड वैल्यू बढ़ा सकते हैं

  • हॉलमार्क वाले गहनों की मांग में बढ़ोतरी से बिक्री में इजाफा संभव

  • कानूनी रूप से सुरक्षित और मान्यता प्राप्त व्यवसाय का हिस्सा बन सकेंगे

ज्वेलर्स के लिए क्या जरूरी हो गया है?

जिन जिलों को अब हॉलमार्किंग के दायरे में लाया गया है, वहां के सभी ज्वेलर्स को BIS से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उन्हें अपने सोने के गहनों को हॉलमार्किंग केंद्रों पर परीक्षण और प्रमाणन के लिए भेजना पड़ेगा।अगर कोई ज्वेलर बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेचता है, तो उसके खिलाफ भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इससे बचने के लिए प्रमाणन कराना अनिवार्य होगा।

कब से लागू हुआ नया नियम?

31 जुलाई 2025 को यह संशोधन भारत सरकार की ओर से गजट अधिसूचना के माध्यम से लागू कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब इन जिलों में बिना हॉलमार्क वाली सोने की ज्वेलरी बेचना नियमों के विरुद्ध होगा।

सरकार की मंशा क्या है?

सरकार का उद्देश्य सिर्फ हॉलमार्किंग बढ़ाना नहीं है, बल्कि उपभोक्ता हितों की सुरक्षा और बाजार में पारदर्शिता को मजबूत करना है। बीआईएस हॉलमार्क का मतलब है कि ज्वेलरी की गुणवत्ता तय मानकों के अनुसार है, और यही उपभोक्ताओं को भरोसेमंद खरीदारी का अवसर देता है।

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