शोभना शर्मा। भारत सरकार के केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा को एक नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि जनवरी 2026 से भारत में बिकने वाले सभी टू-व्हीलर वाहनों – चाहे वे मोटरसाइकिल हों या स्कूटर – में ABS (Anti-lock Braking System) लगाना अनिवार्य होगा। यह निर्णय सड़क दुर्घटनाओं और हेड इंजरी की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए लिया गया है। फिलहाल यह फीचर मुख्य रूप से 125cc और उससे ऊपर की प्रीमियम बाइक्स में दिया जाता था। लेकिन अब सभी कैपेसिटी के इंजन वाले वाहनों में इसे देना अनिवार्य होगा।
क्या होता है ABS और क्यों है जरूरी?
ABS (Anti-lock Braking System) एक इलेक्ट्रॉनिक सेफ्टी फीचर है, जो व्हील लॉक होने से बचाता है और गाड़ी को स्लिप होने से रोकता है। जब अचानक ब्रेक लगाया जाता है, तो ABS सिस्टम टायरों को लॉक नहीं होने देता और वाहन पर नियंत्रण बना रहता है। इससे चालक को वाहन को संभालने में मदद मिलती है, खासकर गीली, कच्ची या फिसलन भरी सड़कों पर।
इसके प्रमुख लाभ हैं:
व्हीकल के हैंडल और दिशा पर बेहतर नियंत्रण
व्हील स्किड की संभावना कम
कोर स्टेबिलिटी में सुधार
सभी सवारियों की सुरक्षा सुनिश्चित
सड़क की किसी भी स्थिति में बेहतर ब्रेकिंग
सेफ्टी के साथ अब हेलमेट भी अनिवार्य
मंत्रालय ने यह भी निर्देश जारी किया है कि हर नए टू-व्हीलर की बिक्री के साथ दो BIS प्रमाणित हेलमेट देना अनिवार्य होगा। यह कदम भी दुर्घटना में सिर की चोटों से सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।
दुर्घटनाओं में ब्रेक स्किड और हेड इंजरी का प्रमुख कारण
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में होने वाली अधिकांश टू-व्हीलर दुर्घटनाएं ब्रेक स्किड और सिर में चोट के कारण होती हैं। यदि वाहन में ABS मौजूद हो, तो ब्रेक लगाते समय व्हील लॉक नहीं होते, जिससे वाहन नियंत्रण में रहता है और दुर्घटना से बचाव होता है।
Hero, Honda, TVS जैसी कंपनियां पहले से दे रही ABS
देश की बड़ी टू-व्हीलर कंपनियां जैसे Hero, Honda, TVS, Bajaj आदि अपने कुछ 125cc सेगमेंट वाले वाहनों में पहले से ही ABS दे रही थीं। लेकिन अब उन्हें इसे एंट्री-लेवल मॉडल्स में भी लगाना होगा, जिससे इन वाहनों की कीमतों में मामूली वृद्धि देखी जा सकती है।
ABS अनिवार्यता का व्यापक असर
इस निर्णय से भारत में सड़क सुरक्षा को नई मजबूती मिलेगी। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार होंगे:
सड़क दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी
खासकर युवा राइडर्स की सुरक्षा में वृद्धि
फिसलन भरे इलाकों में वाहन नियंत्रण बेहतर
वाहन कंपनियों को तकनीकी अपग्रेडेशन की चुनौती
आम जनता में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी