शोभना शर्मा । उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के पांच दिन बाद आखिरकार कॉलेज प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। डॉ. रवि शर्मा की हॉस्टल में बिजली का करंट लगने से हुई मौत के मामले में सोमवार को कॉलेज प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन कर्मचारियों को उनके पदों से हटा दिया।
इस घटना ने न केवल चिकित्सा जगत को झकझोर कर रख दिया बल्कि विद्यार्थियों और रेजिडेंट डॉक्टर्स में भी आक्रोश की लहर पैदा कर दी। हादसे के बाद से लगातार विरोध और हड़ताल जारी है, जबकि अब राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस गंभीर मामले में संज्ञान लेते हुए उच्च स्तरीय जवाबदेही की मांग की है।
कॉलेज प्रशासन का एक्शन: चीफ वार्डन सहित तीन पद से हटे
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विपिन माथुर ने हॉस्टल प्रबंधन में लापरवाही के आरोप में तीन कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्णय लिया। जिन कर्मचारियों को हटाया गया है, उनमें हॉस्टल के चीफ वार्डन नरेंद्र बंसल, वॉर्डन ऑफिस के वरिष्ठ सहायक हीरालाल पालीवाल और वीरेंद्र शामिल हैं।
प्रशासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अब इन कर्मचारियों को कॉलेज के प्रशासनिक भवन में उपस्थिति दर्ज करानी होगी और हॉस्टल से संबंधित किसी कार्य में उनकी भूमिका नहीं होगी।
इसके अलावा, कॉलेज प्रशासन ने हॉस्टल्स की सुरक्षा और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए केयरटेकर की नियुक्ति का भी निर्णय लिया है, जिससे भविष्य में इस तरह की लापरवाहियों से बचा जा सके।
मानवाधिकार आयोग की दखल: सभी जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस
इस घटना को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग ने अब इस पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, जयपुर स्थित एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, उदयपुर कलेक्टर नमित मेहता, जिला पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल और राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है।
आयोग ने सभी पक्षों से इस घटना पर विस्तृत तथ्यों के आधार पर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने यह भी कहा है कि इस मामले में छात्रों की सुरक्षा और प्रशासन की भूमिका की गहराई से जांच की जाएगी।
रेजिडेंट डॉक्टर्स का विरोध जारी, भूख हड़ताल की चेतावनी
कॉलेज प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई से रेजिडेंट डॉक्टर्स संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि दोषी कर्मचारियों को सिर्फ पद से हटाना अपर्याप्त है और उनके खिलाफ सस्पेंशन जैसी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
रेजिडेंट डॉक्टर्स की यह हड़ताल अब छठे दिन में प्रवेश कर चुकी है, जिससे मेडिकल सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। डॉक्टर्स ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सामूहिक भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।
रेजिडेंट डॉक्टर्स संघ के प्रतिनिधियों ने कहा है कि यह केवल एक डॉक्टर की मौत नहीं है, बल्कि पूरे हॉस्टल सिस्टम में व्याप्त लापरवाही की देन है। उन्होंने दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने और न्यायिक जांच की मांग की है।
हॉस्टल्स की सुरक्षा पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने मेडिकल हॉस्टल्स में रहने वाले छात्रों की सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। रेजिडेंट्स का कहना है कि हॉस्टल्स में बिजली, पानी, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं भी समय पर दुरुस्त नहीं होतीं और मेंटेनेंस को लेकर प्रशासन बेहद लापरवाह है।