शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में आदिवासी क्षेत्रों को लेकर उभरे विवाद ने अब खुली ज़ुबानी जंग का रूप ले लिया है। बांसवाड़ा से सांसद और भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के नेता राजकुमार रोत और उदयपुर से बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अब सार्वजनिक मंचों पर सामने आ रहे हैं।
रावत ने बीएपी पर बोला तीखा हमला, बताया ‘लुटेरी गैंग’
उदयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सांसद मन्नालाल रावत ने बीएपी और विशेष रूप से सांसद राजकुमार रोत पर बेहद गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बीएपी को ‘लुटेरी गैंग’ बताया और कहा कि इस गिरोह के सरगना खुद राजकुमार रोत हैं। रावत ने यह भी कहा कि बीएपी आदिवासी समाज के भोले-भाले लोगों से पैसे ऐंठती है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक गरीब छात्र के माता-पिता ने मजदूरी कर जो रकम बचाई थी, वह भी बीएपी कार्यकर्ताओं द्वारा ठग ली गई। उन्होंने बीएपी पर जनता को भ्रमित करने, आर्थिक रूप से शोषण करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
जयकृष्ण पटेल रिश्वत प्रकरण का किया हवाला
रावत ने बीएपी विधायक जयकृष्ण पटेल पर लगे 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोपों को भी जोरशोर से उठाया। उन्होंने कहा कि बीएपी के नेता लगातार आदिवासी क्षेत्र की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं और संगठन को केवल व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए चला रहे हैं।
आदिवासी संस्कृति मिटाने और चर्च एजेंडा का आरोप
बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत ने यह आरोप भी लगाया कि बीएपी आदिवासी समाज की पारंपरिक संस्कृति को मिटाने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा, “आदिवासी समाज सदियों से भगवान श्रीराम को मानता रहा है। महिलाएं सिन्दूर और मंगलसूत्र पहनती हैं, लेकिन बीएपी इन परंपराओं को खत्म करना चाहती है।” रावत ने आरोप लगाया कि बीएपी चर्च का एजेंडा चला रही है और आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक असंतुलन फैलाकर माहौल को ‘बांग्लादेश’ जैसा बनाना चाहती है। उन्होंने बीएपी पर ईसाई मिशनरी एजेंडे को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया।
राजकुमार रोत का तीखा पलटवार: “उनमें मानवता नहीं”
बीएपी सांसद राजकुमार रोत ने रावत के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए व्यक्तिगत हमला किया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने सबसे पहले व्यंग्यात्मक लहजे में कहा— “कौन मन्नालाल जी?” इसके बाद उन्होंने रावत की मानवता पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा— “उनमें मानवता नाम की कोई चीज नहीं बची है।“
वायरल ऑडियो का हवाला देते हुए लगाया बड़ा आरोप
राजकुमार रोत ने एक वायरल ऑडियो का जिक्र किया जिसमें कथित तौर पर मन्नालाल रावत आदिवासी समुदाय के घरों को जलाने और हिंसा करने की बात कर रहे हैं। रोत ने कहा कि यह किसी सांसद के लिए निंदनीय और असंवैधानिक भाषा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को बदनाम करने की ये एक सोची-समझी रणनीति है।
आदिवासी राजनीति में दरार या रणनीति?
यह विवाद केवल दो सांसदों की निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि राजस्थान की आदिवासी राजनीति में गहराते वैचारिक टकराव का प्रतीक भी बनता जा रहा है। जहां बीजेपी आदिवासी संस्कृति की रक्षा का दावा करती है, वहीं बीएपी खुद को आदिवासी अधिकारों की असली पैरोकार पार्टी बताती है। राजकुमार रोत जैसे नेता जहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों को आदिवासी क्षेत्रों की उपेक्षा के लिए घेरते हैं, वहीं बीजेपी नेता बीएपी को विदेशी एजेंडे और कट्टर धार्मिक सोच से प्रभावित बताते हैं।
सियासी विश्लेषण: चुनाव से पहले आदिवासी क्षेत्र बना रणभूमि
राजस्थान में अगले चुनाव से पहले आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बीएपी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय संघर्ष गहराता जा रहा है। बीएपी ने 2018 के बाद से अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत किया है और यही वजह है कि अन्य दल अब सीधे टकराव की मुद्रा में आ गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसे बयानबाज़ी और टकराव यूं ही बढ़ते रहे, तो यह समाज में वैमनस्य पैदा कर सकता है। हालांकि यह भी स्पष्ट है कि आदिवासी समाज अब अपने मुद्दों को लेकर मुखर हो रहा है और किसी भी राजनीतिक दल की मनमानी को स्वीकार नहीं करने वाला।