शोभना शर्मा। राजस्थान को जल्द ही नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मिलने जा रहा है। उत्कल रंजन साहू के राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के चेयरमैन नियुक्त होने के बाद से यह पद खाली पड़ा है। अब राज्य सरकार की ओर से नए डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव शर्मा की नियुक्ति लगभग तय मानी जा रही है।
फिलहाल अतिरिक्त प्रभार, लेकिन जल्द स्थायी नियुक्ति की संभावना
राज्य सरकार ने अंतरिम व्यवस्था के तहत डीजी रैंक के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है, लेकिन वे खुद एक सप्ताह में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में पूरे राज्य में नए डीजीपी की स्थायी नियुक्ति को लेकर चर्चा तेज हो गई है। डीजीपी की नियुक्ति के लिए तय प्रक्रिया के अनुसार राज्य सरकार एक पैनल तैयार करती है जिसे संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को भेजा जाता है। वहां से दो या तीन नामों की सिफारिश राज्य सरकार को की जाती है, जिसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाता है। सूत्रों के अनुसार यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और सप्ताह भर में नया डीजीपी नियुक्त हो सकता है।
राजीव शर्मा सबसे मजबूत दावेदार
डीजीपी की दौड़ में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं, लेकिन 1990 बैच के आईपीएस राजीव शर्मा सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। वे इस समय केंद्र सरकार में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट (BPR&D) के डायरेक्टर जनरल के रूप में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। सबसे सीनियर होने के साथ-साथ उनके अनुभव और प्रशासनिक योग्यता के चलते उन्हें अन्य अफसरों पर बढ़त मिलती दिखाई दे रही है।
अन्य अधिकारी भी रेस में, लेकिन अनुभव और वरिष्ठता में पीछे
हालांकि डीजीपी पद की दौड़ में अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भी पीछे नहीं हैं और अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। कई अफसरों ने राजनैतिक और प्रशासनिक स्तर पर सिफारिशें भी शुरू कर दी हैं। नीचे प्रस्तुत सूची में इन अफसरों के नाम, बैच, मूल निवास और वर्तमान पद का विवरण दिया गया है:
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इस सूची में सबसे सीनियर राजीव शर्मा हैं जबकि अन्य अधिकारी दो से चार साल जूनियर हैं। वरिष्ठता के लिहाज से उनके चयन को प्राथमिकता मिलना स्वाभाविक माना जा रहा है, हालांकि अंतिम निर्णय राजनीतिक और प्रशासनिक संतुलन के आधार पर होगा।
परंपरा टूटी भी है, बन सकते हैं अपवाद
हालांकि डीजीपी के लिए सबसे वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करने की परंपरा रही है, लेकिन इससे पूर्व भी यह परंपरा टूटी है। कुछ मामलों में जूनियर अधिकारियों को भी पुलिस प्रमुख नियुक्त किया गया है, इसलिए अंतिम नाम को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।