शोभना शर्मा। राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने रविवार को अजमेर में एक बड़ी जल परियोजना की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार अजमेर के श्रीनगर क्षेत्र के पास ऐसा बांध बनाने की तैयारी कर रही है, जिसमें 100 वर्षों तक का पानी स्टोर किया जा सकेगा। मंत्री के अनुसार, यदि भविष्य में 100 साल तक बारिश नहीं भी होती है, तो भी अजमेर और इसके पास स्थित ब्यावर शहर में पानी की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रह सकेगी।
उन्होंने बताया कि इस बांध परियोजना के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) पर काम शुरू हो चुका है और यह योजना जल संकट झेल रहे अजमेर क्षेत्र के लिए एक स्थायी समाधान बन सकती है।
आनासागर झील की सफाई में जुटे मंत्री और जनता
अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील की सफाई कार्य ‘वंदे गंगा-जल संरक्षण अभियान’ के तहत तीसरे दिन भी जारी रहा। मंत्री सुरेश रावत स्वयं झील की सफाई में श्रमदान करते नजर आए। उन्होंने कहा कि केवल अभियान ही नहीं, आम दिनों में भी नागरिकों को जल स्रोतों की देखभाल और सफाई की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित स्थानीय प्रशासन, कार्यकर्ताओं और आम जनता का आभार जताया जिन्होंने तीन दिनों तक लगातार अभियान में भाग लिया।
गंदे पानी को रोकने के लिए उठाए जाएंगे कदम
आनासागर झील में नालों के जरिए छोड़े जा रहे गंदे पानी के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि इस पर जल्द कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से बात करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अब से झील में सिर्फ ट्रीट किया हुआ (शुद्ध किया गया) पानी ही छोड़ा जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि वर्तमान में सीवरेज का पानी झील में पहुंच रहा है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है और इसे प्राथमिकता से रोका जाएगा।
ब्यावर और अजमेर के लिए बड़ी राहत
सुरेश रावत ने यह भी बताया कि जो नया बांध बनाया जाएगा, वह सिर्फ अजमेर के लिए नहीं बल्कि ब्यावर शहर की जल आवश्यकता को भी पूरा करेगा। यह बांध जल संकट से राहत, निरंतर आपूर्ति, और भविष्य के लिए जल भंडारण की स्थायी व्यवस्था उपलब्ध कराएगा।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद क्षेत्र के नागरिकों को सालों तक पानी की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी। यह राज्य में जल संरक्षण की दिशा में एक दीर्घकालिक और दूरदर्शी योजना साबित होगी।
पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण की अपील
मंत्री ने यह भी अपील की कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने क्षेत्र के पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई, मरम्मत और संरक्षण करे। उन्होंने कहा कि केवल सरकार की जिम्मेदारी मानकर छोड़ देना समाधान नहीं है, बल्कि जनता को भी स्वयं भागीदारी निभानी होगी।