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RAS मुख्य परीक्षा पर संशय के बीच RPSC ने हाईकोर्ट में लगाई केविएट

RAS मुख्य परीक्षा पर संशय के बीच RPSC ने हाईकोर्ट में लगाई केविएट

शोभना शर्मा। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने आगामी RAS मुख्य परीक्षा 2024 को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में केविएट याचिका दाखिल की है। यह कदम संभावित कानूनी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि यदि कोई याचिका परीक्षा तिथि को लेकर लगाई जाती है, तो कोर्ट आयोग का पक्ष सुने बिना कोई आदेश न दे सके।

17-18 जून को प्रस्तावित है परीक्षा:

RPSC द्वारा जारी शेड्यूल के अनुसार, RAS मुख्य परीक्षा 17 और 18 जून 2024 को आयोजित होनी है। यह परीक्षा राज्य की सबसे प्रतिष्ठित नौकरियों में शामिल राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के लिए चयन की प्रक्रिया का अहम चरण है। लेकिन कई अभ्यर्थी इसकी तिथि को लेकर असंतोष जता रहे हैं।

केविएट क्यों दाखिल की गई?

आयोग के सचिव रामनिवास मेहता की ओर से दाखिल की गई यह केविएट स्पष्ट संकेत देती है कि आयोग इस परीक्षा को लेकर गंभीर और सतर्क है। आयोग को अंदेशा है कि कुछ उम्मीदवार परीक्षा की तिथि टालने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। ऐसे में एकतरफा आदेश की संभावना से बचने के लिए यह कानूनी सुरक्षा उपाय किया गया है।

केविएट का अर्थ होता है— “हमें सुने बिना कोई निर्णय न लिया जाए”। यानी अगर कोर्ट में कोई याचिका लगाई जाती है, तो RPSC को भी सुनने का मौका मिलना चाहिए।

अभ्यर्थियों का विरोध और धरना जारी:

राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में कई अभ्यर्थी परीक्षा तिथि को आगे बढ़ाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। उनका तर्क है कि पिछले RAS भर्ती की अंतिम सूची अब तक जारी नहीं हुई है, जिससे बड़ी संख्या में वे अभ्यर्थी भी मुख्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, जो पहले के रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में इतनी जल्दी नई परीक्षा आयोजित करना उनके साथ अन्याय होगा।

अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला और परीक्षा की तिथि अचानक घोषित कर दी गई, जिससे मानसिक दबाव और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

RPSC की सतर्कता या दबाव में लिया गया फैसला?

विशेषज्ञों का मानना है कि RPSC का यह कदम बताता है कि आयोग परीक्षा की तिथि को लेकर किसी भी संभावित अदालती चुनौती से बचाव के लिए पहले से तैयार रहना चाहता है। हालांकि कुछ छात्रों और शिक्षाविदों का यह भी कहना है कि आयोग को छात्रों की भावनाओं और व्यावहारिक कठिनाइयों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

अब देखना यह होगा कि क्या कोई याचिका वास्तव में दायर होती है या नहीं। और अगर होती है, तो राजस्थान हाईकोर्ट क्या निर्णय देता है।

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