विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल 2020 में दुनियाभर में 14 लाख से अधिक प्रोस्टेट कैंसर के नए मामले दर्ज किए गए। ये संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है, और खासतौर पर भारत में समय पर जांच और स्क्रीनिंग की कमी के चलते यह बीमारी और खतरनाक साबित हो रही है।
हाल ही में यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ यूरोलॉजी कांग्रेस में पेश की गई एक स्टडी के अनुसार, जो पुरुष समय पर प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग नहीं कराते, उनकी मृत्यु का जोखिम 45% अधिक होता है। भारत में हर साल 33,000 से 42,000 मामले सामने आते हैं और साल 2040 तक यह संख्या दोगुनी होकर 71,000 तक पहुंच सकती है।
प्रोस्टेट कैंसर क्या होता है?
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों के प्रजनन तंत्र में मौजूद एक छोटी सी ग्रंथि “प्रोस्टेट” में उत्पन्न होता है। यह ग्रंथि यूरिनरी ब्लैडर के नीचे और मलाशय के सामने स्थित होती है। इसका कार्य वीर्य (semen) के तरल भाग का निर्माण करना होता है। जब इस ग्रंथि में अनियंत्रित सेल वृद्धि होने लगती है तो उसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के प्रमुख लक्षण
शुरुआती चरण में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन बीमारी बढ़ने पर कुछ प्रमुख लक्षण सामने आते हैं:
बार-बार पेशाब आना, विशेषकर रात में
पेशाब करते समय दर्द या जलन
रुक-रुक कर पेशाब आना या पेशाब की धारा का कमजोर होना
खून आना (बहुत कम मामलों में)
पीठ, कूल्हे या जांघों में दर्द (यदि कैंसर शरीर में फैल गया हो)
प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए दो प्रमुख स्क्रीनिंग टेस्ट
1. PSA ब्लड टेस्ट (Prostate-Specific Antigen):
यह एक ब्लड टेस्ट होता है जो प्रोस्टेट ग्लैंड द्वारा बनाए जाने वाले प्रोटीन PSA का स्तर मापता है। अगर PSA का स्तर सामान्य से अधिक है, तो यह प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है।
2. डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE):
इस टेस्ट में डॉक्टर दस्ताने पहनी हुई उंगली से रेक्टम (मलद्वार) के रास्ते प्रोस्टेट ग्रंथि को महसूस करते हैं। यदि कोई कठोरता, गांठ या असामान्यता महसूस होती है तो आगे की जांच की जाती है।
प्रोस्टेट कैंसर के कारण और जोखिम
हालांकि प्रोस्टेट कैंसर का कोई एक निश्चित कारण नहीं है, लेकिन कुछ कारक इसके जोखिम को बढ़ाते हैं:
उम्र: 50 वर्ष से अधिक उम्र में जोखिम अधिक होता है।
परिवार का इतिहास: यदि पिता या भाई को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो, तो खतरा दोगुना हो सकता है।
आहार और जीवनशैली: अधिक फैट वाला आहार, रेड मीट का अधिक सेवन और व्यायाम की कमी
हॉर्मोनल असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का असंतुलन भी एक कारण हो सकता है।
रेस और स्थान: अफ्रीकी-अमेरिकी पुरुषों में इसका खतरा अधिक पाया गया है।
प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के उपाय
हालांकि इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन निम्नलिखित उपाय अपनाकर जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है:
नियमित स्क्रीनिंग कराएं: विशेष रूप से 50 वर्ष के बाद हर पुरुष को PSA और DRE टेस्ट करवाना चाहिए।
हेल्दी डाइट: ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम फैट वाला भोजन करें।
व्यायाम करें: हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करें।
वजन नियंत्रित रखें: मोटापा भी जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए BMI नियंत्रण में रखें।
धूम्रपान और शराब से बचें: तंबाकू और शराब कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े सामान्य सवाल और जवाब
सवाल: क्या प्रोस्टेट कैंसर का इलाज संभव है?
जवाब: हां, यदि समय पर पहचान हो जाए तो इलाज संभव है। इलाज में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और हॉर्मोनल थेरेपी जैसे विकल्प मौजूद हैं।सवाल: क्या प्रोस्टेट कैंसर के लिए हर व्यक्ति को स्क्रीनिंग करवानी चाहिए?
जवाब: यह व्यक्तिगत जोखिम पर निर्भर करता है। 50 वर्ष से ऊपर के सभी पुरुषों को स्क्रीनिंग की सलाह दी जाती है। यदि फैमिली हिस्ट्री है तो 45 वर्ष से शुरू करें।सवाल: क्या प्रोस्टेट कैंसर सिर्फ बुजुर्गों को होता है?
जवाब: अधिकतर मामले 50 वर्ष से ऊपर के पुरुषों में होते हैं, लेकिन युवाओं में भी फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक कारणों से जोखिम हो सकता है।सवाल: क्या सर्जरी के बिना इलाज संभव है?
जवाब: हां, कई मामलों में रेडिएशन या हॉर्मोनल थेरेपी से भी इलाज संभव होता है। यह स्टेज और ग्रेड पर निर्भर करता है।