शोभना शर्मा। राजस्थान में जल जीवन मिशन (JJM) योजना के तहत हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। सूत्रों के अनुसार, ईडी की जांच अब लगभग पूरी हो चुकी है और 20 जून 2024 के आसपास कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जा सकती है।
अब तक की जांच में 520 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितताओं के सबूत सामने आए हैं। ईडी ने चार्जशीट के मसौदे में दावा किया है कि इस घोटाले के केंद्र में पूर्व मंत्री महेश जोशी थे, जिन्हें उनके कार्यकाल में प्रत्येक टेंडर पर 3% कमीशन दिया जाता था। यह राशि उनके करीबी संजय बड़ाया के माध्यम से ली जाती थी।
संपत्तियां अटैच, घोटाले के ठोस सबूत
ईडी ने हाल ही में 47.80 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है। इसमें महेश जोशी के परिवार की सांगानेर क्षेत्र स्थित दो अचल संपत्तियां, संजय बड़ाया की 8 संपत्तियां, ठेकेदार महेश मित्तल की 25 करोड़ और पदमचंद जैन की 5 करोड़ की संपत्तियां शामिल हैं। यह अटैचमेंट इस बात का प्रमाण है कि घोटाले की रकम को प्रॉपर्टी में निवेश किया गया, ताकि धन को वैध दिखाया जा सके।
फर्जी दस्तावेज़ों से टेंडर हासिल किए गए
इस घोटाले की जड़ में फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर सरकारी टेंडर हथियाना शामिल है। ईडी की जांच में सामने आया कि:
श्री shyam ट्यूबवेल कंपनी और श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर जलदाय विभाग से करोड़ों के टेंडर प्राप्त किए।
गणपति कंपनी ने 68 निविदाओं में भाग लिया और 31 में L1 बनकर 859.2 करोड़ रुपये के काम हासिल किए।
श्याम कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 में सफल होकर 120.25 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए।
इन कंपनियों ने सरकारी मानकों की अवहेलना कर फर्जी अनुभव दिखाकर करोड़ों का सरकारी धन हड़प लिया।
एसीबी की गिरफ्तारी से खुली परतें
इस घोटाले की जांच की शुरुआत अगस्त 2021 में एसीबी (ACB) द्वारा की गई थी, जब जयपुर के एक होटल में जलदाय विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। इसके बाद बहरोड़ और नीमराणा से भी अधिकारी गिरफ्तार किए गए। एसीबी ने इस कार्रवाई के बाद केस की परतें खोलना शुरू किया, जिसके बाद मामले को ईडी और फिर सीबीआई ने भी अपने हाथ में लिया। 4 मई 2024 को ईडी ने केस से जुड़े सभी दस्तावेज ACB को सौंपे, जिससे चार्जशीट की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा सका।
केंद्र की ‘हर घर जल’ योजना की छवि धूमिल
जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की ‘हर घर जल’ योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के हर घर तक नल से जल पहुंचाना है। लेकिन इस घोटाले ने इस महत्वाकांक्षी योजना की साख को नुकसान पहुंचाया है। पाइपलाइन बिछाने, टंकी निर्माण, कनेक्शन देने जैसे कार्यों में भारी गड़बड़ी की गई और भ्रष्टाचार के जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।
सीबीआई की जांच भी जारी
इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय के अलावा CBI भी समानांतर जांच कर रही है। अब तक जिन दस्तावेजों और गवाहों के आधार पर ईडी ने चार्जशीट तैयार की है, CBI उन तथ्यों की स्वतंत्र जांच कर रही है।
सूत्रों का मानना है कि ईडी की चार्जशीट के बाद इस केस में और भी प्रभावशाली नाम उजागर हो सकते हैं। संभावना है कि कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं की भूमिका की भी जांच हो सकती है।