शोभना शर्मा। जयपुर ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण रक्षा कूटनीतिक पल का साक्षी बना, जब श्रीलंकाई सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीकेजी एम एल रोड्रिगो दो दिवसीय दौरे पर भारतीय सेना की सप्त शक्ति कमान पहुंचे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को और मजबूत करना, क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा करना और संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण के अवसरों को तलाशना रहा।
श्रीलंकाई सेना प्रमुख के जयपुर आगमन पर दक्षिण-पश्चिमी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल निखिल धवन ने बताया कि यह दौरा भारत और श्रीलंका के बीच सैन्य सहयोग की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो दोनों देशों की साझा सुरक्षा चुनौतियों को समझने और सामूहिक तैयारी को बल देने में सहायक होगा।
रणनीतिक चर्चाएं और सैन्य प्रस्तुतियां
दौरे के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल रोड्रिगो ने भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर क्षेत्रीय सुरक्षा पर गहन चर्चा की। इन वार्ताओं में संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण पहल, क्षमता विकास, सैन्य अभ्यास, और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान जैसे मुद्दे शामिल रहे।
उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों से जुड़ी प्रस्तुतियां भी देखीं, जिससे उन्हें भारतीय सेना के संचालन और रणनीतिक दृष्टिकोण की व्यापक जानकारी मिली। दोनों पक्षों ने ऑपरेशनल अनुभवों को साझा करते हुए संभावित संयुक्त अभियानों और अभ्यासों पर भी विचार-विमर्श किया।
रक्षा सहयोग को नई दिशा
सैन्य अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि श्रीलंकाई सेना प्रमुख का यह दौरा भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग को और गहराई देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह दौरा केवल औपचारिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक सहयोग की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे न केवल सैन्य प्रशिक्षण, बल्कि रणनीतिक समन्वय को भी मजबूती मिलेगी।
बयान में यह भी बताया गया कि इस तरह के दौरे दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास और तालमेल को बढ़ाते हैं। इसके माध्यम से साझा सुरक्षा हितों की रक्षा करना और क्षेत्र में स्थायित्व बनाए रखना संभव हो पाता है।
सांस्कृतिक और सैन्य विरासत का अवलोकन
लेफ्टिनेंट जनरल रोड्रिगो ने केवल सैन्य गतिविधियों में ही हिस्सा नहीं लिया, बल्कि जयपुर की समृद्ध सैन्य और सांस्कृतिक विरासत का भी अवलोकन किया। उन्होंने सैन्य स्थलों के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों का भी दौरा किया और राजस्थान की ऐतिहासिक सैन्य संस्कृति की सराहना की।
उनका यह दौरा इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि यह केवल रक्षा और रणनीति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सांस्कृतिक रिश्तों को भी गहराई देने का कार्य किया।
भारतीय सेना की भूमिका और भविष्य की योजनाएं
भारतीय सेना ने इस दौरे के माध्यम से अपनी क्षेत्रीय जिम्मेदारियों और अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल की है।
दक्षिण-पश्चिमी कमान, जिसे सप्त शक्ति कमान भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों की रक्षा की जिम्मेदारी संभालती है और इस तरह के अंतरराष्ट्रीय सैन्य संवाद इसके रणनीतिक महत्व को दर्शाते हैं।


