शोभना शर्मा। राजस्थान के डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों के लाखों लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। माही नदी पर बन रहा प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा हैंगिंग ब्रिज अब लगभग तैयार हो चुका है। यह पुल डूंगरपुर जिले के चिखली क्षेत्र और बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी को सीधे जोड़ देगा। पुल का काम पिछले 9 वर्षों से चल रहा था, और अब इसकी फिनिशिंग प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अधिकारियों के मुताबिक, इस पुल को 20 जून 2025 तक जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
वसुंधरा सरकार में स्वीकृत हुआ था ब्रिज
यह हैंगिंग ब्रिज 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में स्वीकृत किया गया था। पुल का निर्माण चीखली ग्राम पंचायत के बेडूआ गांव से शुरू होकर माही-अनास और जाखम नदियों के संगम बिंदु संगमेश्वर होते हुए आनंदपुरी तक किया जा रहा है। यह पुल डूंगरपुर जिले को गुजरात सीमा से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है।
1.925 किलोमीटर लंबाई, भूकंप-रोधी तकनीक से तैयार
पुल की कुल लंबाई 1.925 किलोमीटर है, जो इसे राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा हैंगिंग ब्रिज बनाता है। कोटा के बाद यह राज्य का एकमात्र बड़ा हैंगिंग स्ट्रक्चर है। सीमलवाड़ा सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता दिनेश पंड्या ने बताया कि पुल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भूकंप का असर इस पर नहीं होगा। इसके अलावा, जलस्तर बढ़ने की स्थिति में ब्रिज को नुकसान पहुंचने की सूचना स्वतः अधिकारियों को मिल सकेगी।
9 साल का लंबा इंतज़ार अब खत्म
इस ब्रिज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह 9 साल के लंबे इंतजार के बाद अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। स्थानीय निवासी कई वर्षों से इसके पूर्ण होने का इंतजार कर रहे थे क्योंकि इसकी अनुपस्थिति में डूंगरपुर से बांसवाड़ा या मानगढ़ जैसे इलाकों तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ता था।
यात्रा होगी मात्र 16 किलोमीटर
वर्तमान में चिखली से मानगढ़ जाने के लिए यात्रियों को सागवाड़ा और परतापुर होते हुए करीब 115 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। लेकिन इस ब्रिज के बन जाने के बाद यह दूरी घटकर केवल 16 किलोमीटर रह जाएगी। पुल की मदद से चिखली से बेडूआ की दूरी केवल 4 किलोमीटर और बेडूआ से आनंदपुरी की दूरी भी 4 किलोमीटर होगी, जबकि आनंदपुरी से मानगढ़ की दूरी पहले से ही 8 किलोमीटर है।
स्थानीय विकास को मिलेगा बढ़ावा
यह ब्रिज सिर्फ दूरी नहीं घटाएगा, बल्कि रोजगार और पर्यटन के क्षेत्र में भी नए अवसर लेकर आएगा। संगमेश्वर जैसी ऐतिहासिक और धार्मिक जगहों तक आसान पहुंच से धार्मिक पर्यटन को बल मिलेगा। इसके साथ ही, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन आसान होगा, जिससे शिक्षा, चिकित्सा और व्यापार के अवसर भी बढ़ेंगे।
सरकार की प्राथमिकता में शामिल
राज्य सरकार ने इस पुल को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हुए इसके कार्य को प्राथमिकता दी है। करोड़ों रुपए की लागत से तैयार हो रहा यह ब्रिज आने वाले समय में दक्षिण राजस्थान की कनेक्टिविटी और आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करेगा। पुल की गुणवत्ता और डिज़ाइन को आधुनिक सुरक्षा मानकों के अनुसार तैयार किया गया है।


