शोभना शर्मा। 31 मई 2025 को शनिवार शाम, राजस्थान समेत पाकिस्तान सीमा से सटे कई राज्यों में ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य युद्ध जैसी आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों, प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की तैयारियों का मूल्यांकन करना था।
जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर और बाड़मेर जैसे महत्वपूर्ण जिलों में हवाई हमले के सायरन बजने के साथ ही ब्लैकआउट किया गया और ड्रोन अटैक से निपटने के अभ्यास किए गए।
जयपुर और जोधपुर में हवाई हमले के सायरन और ब्लैकआउट
राजधानी जयपुर और जोधपुर में मॉक ड्रिल की शुरुआत शाम को सायरन बजने से हुई, जिसके तुरंत बाद पूरे क्षेत्र में ब्लैकआउट कर दिया गया। नागरिकों को अलर्ट किया गया और उन्होंने अपने घरों की लाइटें बंद कर दीं, जिससे युद्ध जैसी स्थिति का आभास हुआ।
जयपुर के खातीपुरा क्षेत्र में स्थित एक स्कूल भवन में आपातकालीन राहत बल और नागरिक सुरक्षा विभाग की टीमों ने बचाव कार्यों का प्रदर्शन किया। घायलों की त्वरित चिकित्सा सहायता, रेस्क्यू अभियान और रिफर प्रोसेस को भी अभ्यास में शामिल किया गया।
जैसलमेर में 15 मिनट का ब्लैकआउट
पाकिस्तान सीमा से सटे जैसलमेर में रात 8:30 बजे से 8:45 बजे तक ब्लैकआउट किया गया। स्वर्णनगरी जैसलमेर में जैसे ही सायरन बजे, पूरे शहर में अंधेरा छा गया। आम नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति में बिजली बंद रखने और सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अचानक किसी सैन्य खतरे की स्थिति में आम लोग किस प्रकार प्रतिक्रिया दें और प्रशासन किस गति से कार्य करता है, इसका मूल्यांकन किया जा सके।
बाड़मेर में ड्रोन हमले की मॉक ड्रिल
उत्तरलाई एयरफोर्स स्टेशन के आवासीय परिसर में स्थित केंद्रीय विद्यालय पर ड्रोन हमले की आशंका के परिदृश्य को आधार बनाकर मॉक ड्रिल की गई। सुरक्षा बलों, होमगार्ड्स और प्रशासनिक टीमों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और फॉर्मेशन, बचाव और राहत उपायों का प्रदर्शन किया।
श्रीगंगानगर में चेतक परिसर पर मॉक ड्रोन अटैक
श्रीगंगानगर के साधुवाली क्षेत्र और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (चेतक) परिसर में भी ड्रोन हमले के परिदृश्य पर मॉक ड्रिल की गई। शाम 5 बजे से लेकर 7 बजे तक सायरन, ब्लैकआउट, सड़क अवरोधन और राहत दलों की तैनाती जैसे अभ्यास किए गए।
जैसे ही एयर स्ट्राइक की सूचना नियंत्रण कक्ष से मिली, पुलिस, दमकल, मेडिकल, और आपदा राहत टीमें सक्रिय हो गईं। घटनास्थल पर घायलों को निकालने, प्राथमिक उपचार देने और रास्ता साफ करने की कार्रवाई का अभ्यास किया गया।
ऑपरेशन शील्ड का राष्ट्रीय स्वरूप
इस मॉक ड्रिल का आयोजन केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशन में किया गया, जिसमें पाकिस्तान सीमा से सटे राज्यों जैसे पंजाब, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और चंडीगढ़ को शामिल किया गया। ड्रिल का फोकस उन इलाकों पर रहा जो सीमा पार से संभावित खतरे के सबसे अधिक संपर्क में रहते हैं।
ड्रिल की तारीख पहले 29 मई को तय की गई थी, लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसे 31 मई को पुनर्निर्धारित किया गया। ऑपरेशन शील्ड के तहत यह ड्रिल सुरक्षाबलों, प्रशासनिक एजेंसियों और आम नागरिकों के बीच समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया की स्थिति को परखने के लिए आयोजित की गई थी।
ऑपरेशन शील्ड का उद्देश्य और महत्व
ऑपरेशन शील्ड को शत्रुतापूर्ण हमलों से रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें शामिल मुख्य गतिविधियों में हैं:
हवाई हमले की स्थिति में सायरन बजाना
ब्लैकआउट प्रोटोकॉल लागू करना
ड्रोन हमले के परिदृश्यों का अभ्यास
आपदा राहत और नागरिक सुरक्षा टीमों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों की भागीदारी और प्रशिक्षण
इस अभ्यास के जरिए यह सुनिश्चित किया गया कि यदि भविष्य में वास्तविक युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो, तो सरकार, सुरक्षा एजेंसियां और आम जनता उसके लिए पूरी तरह तैयार रहें।


