शोभना शर्मा। राजस्थान के सीमावर्ती जिले बीकानेर में 22 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल जनसभा का आयोजन एक ऐतिहासिक क्षण बन गया। इस जनसभा में शेखावाटी क्षेत्र के हजारों पूर्व सैनिकों की विशेष भागीदारी रही। खास बात यह रही कि यह सभा हाल ही में संपन्न हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री की राजस्थान में पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी, जिससे पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल था।
झुंझुनूं, सीकर और चूरू जिलों से हजारों की संख्या में पूर्व सैनिक इस जनसभा में पहुंचे। प्रशासनिक स्तर पर की गई व्यवस्थाएं इस बात का संकेत थीं कि सरकार ने इस आयोजन को लेकर गंभीरता दिखाई। झुंझुनूं जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने बताया कि जिले के हर विधानसभा क्षेत्र से दो-दो एसी बसों की व्यवस्था की गई थी, जिनमें पूर्व सैनिकों को बीकानेर ले जाया गया। बसों में न केवल वातानुकूलन की सुविधा थी, बल्कि भोजन और शुद्ध पेयजल की भी समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी, ताकि गर्मी के मौसम में किसी प्रकार की असुविधा न हो।
सीकर जिले से लगभग 2500 और झुंझुनूं जिले से 1000 से अधिक पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री की सभा में हिस्सा लिया। शेखावाटी क्षेत्र, जिसे भारतीय सेना में सबसे अधिक जवान भेजने वाला क्षेत्र माना जाता है, ने इस आयोजन में अपनी उपस्थिति से देशभक्ति और समर्थन का संदेश दिया।
इस जनसभा का आयोजन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सैनिक सम्मान की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण था। हाल ही में 8 मई को झुंझुनूं जिले के मेहरादासी गांव के जवान सुरेन्द्र कुमार ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हो गए थे। ऐसे में माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल सैनिकों का उत्साहवर्धन करेंगे, बल्कि शहीद जवानों को श्रद्धांजलि भी देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीकानेर दौरे के दौरान 26,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली बहुविकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया गया। ये परियोजनाएं रेलवे, सड़क, जल आपूर्ति, अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी क्षेत्रों से संबंधित हैं। ये निवेश न केवल बीकानेर बल्कि पूरे पश्चिमी राजस्थान के विकास को नई दिशा देंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर बीकानेर में सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर विशेष सतर्कता बरती गई। बस संचालन और निगरानी के लिए नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई, जो पूरे यात्रा मार्ग में व्यवस्थाओं पर निगरानी रख रहे थे।
शेखावाटी अंचल, जिसमें सीकर, चूरू और झुंझुनूं जिले शामिल हैं, को भारतीय सेना की ‘वीर भूमि’ भी कहा जाता है। यहां के युवा बड़ी संख्या में सेना में भर्ती होते हैं और देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र से इतने बड़े स्तर पर पूर्व सैनिकों की भागीदारी ने प्रधानमंत्री की सभा को एक नया आयाम दिया।
सभा के दौरान प्रधानमंत्री ने जहां राष्ट्र निर्माण में सैनिकों और पूर्व सैनिकों के योगदान को सराहा, वहीं यह भी संकेत दिया कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। यह भी स्पष्ट हुआ कि केंद्र सरकार आने वाले समय में इन क्षेत्रों में और अधिक निवेश करेगी।
यह आयोजन एक बार फिर साबित करता है कि जनसभाएं केवल राजनीतिक संवाद का मंच नहीं, बल्कि सामाजिक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय भावनाओं को जोड़ने वाली कड़ी भी हैं। बीकानेर की यह सभा इस दिशा में एक प्रभावशाली उदाहरण बनकर सामने आई।


