शोभना शर्मा। बीकानेर के पलाना गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा उस समय एक भावुक क्षण में बदल गई जब एक साधारण ग्रामीण महिला मंच पर आई और उन्हें प्रणाम करने झुकी। लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं झुककर उस महिला को प्रणाम किया और आदरपूर्वक उनके आत्मबल और संघर्ष को सलाम किया। यह महिला थीं सुमित्रा देवी सेन, जो राजस्थान के बीकानेर जिले के पांचू ब्लॉक के पारवा गांव की रहने वाली हैं। वे आज ग्रामीण महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की जीवंत मिसाल बन चुकी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दर्शाया विनम्रता का भाव
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद आयोजित इस जनसभा में जब सुमित्रा देवी सेन प्रधानमंत्री से मिलने मंच पर पहुंचीं, तो वे भावुक हो गईं और झुककर उनके चरण छूने लगीं। परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें रोकते हुए स्वयं झुककर प्रणाम किया। यह दृश्य केवल एक राजनीतिक मंच का हिस्सा नहीं था, बल्कि यह भारत की महिलाओं के संघर्ष और आत्मनिर्भरता को सम्मान देने का प्रतीक बन गया।
सुमित्रा देवी की संघर्ष गाथा
सुमित्रा देवी का जीवन कभी बेहद कठिनाइयों से भरा हुआ था। वर्ष 2018 तक वे आर्थिक रूप से कमजोर थीं और उनकी मासिक आय मात्र 400 से 500 रुपये के बीच थी। परिवार की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो चुका था। इसी दौरान उन्हें राजस्थान सरकार की राजीविका योजना के अंतर्गत “माजीसा स्वयं सहायता समूह” से जुड़ने का अवसर मिला।
राजीविका योजना ने बदली जिंदगी
राजीविका योजना के अंतर्गत सुमित्रा देवी को पहले 50,000 रुपये का ऋण और फिर “एकता शक्ति क्लस्टर लेवल फेडरेशन, पांचू” से 1 लाख रुपये का अतिरिक्त ऋण प्राप्त हुआ। इस धनराशि का उन्होंने अत्यंत सोच-समझकर उपयोग किया। उन्होंने सिलाई मशीन खरीदी और बैग, पर्स, तथा लकड़ी की कलात्मक वस्तुएं बनाना शुरू किया। यह कार्य केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि उनके जैसे कई ग्रामीण महिलाओं के लिए भी आशा की किरण बन गया।
हुनर को मिला मंच और पहचान
साल 2022 में बीकानेर के ग्रामीण हाट बाजार में एक स्टॉल मिलने के बाद उनके उत्पादों को एक बड़ा मंच मिला। उनकी कलाकारी और मेहनत को लोगों ने सराहा, और धीरे-धीरे उनके बनाए उत्पादों की मांग शहरी बाजार तक पहुंच गई। उन्होंने ऑनलाइन माध्यमों से भी ऑर्डर लेने शुरू किए और आज वे राजस्थान के विभिन्न जिलों से ऑर्डर प्राप्त कर रही हैं।
25,000 रुपये मासिक आय और सैकड़ों महिलाओं की प्रेरणा
आज सुमित्रा देवी की मासिक आय लगभग 25,000 रुपये तक पहुंच चुकी है। वे अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं कि वे स्वयं सहायता समूहों से जुड़ें और आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने दिखाया कि यदि सही मार्गदर्शन और सरकारी योजनाओं का सहयोग मिले, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भरता की ऊंचाइयों को छू सकती है।
प्रधानमंत्री को भेंट किया लकड़ी की बैलगाड़ी का मॉडल
सभा के दौरान सुमित्रा देवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने हाथों से बनी लकड़ी की बैलगाड़ी का मॉडल भेंट किया। यह मॉडल केवल एक उपहार नहीं था, बल्कि उस आत्मविश्वास, कला और मेहनत का प्रतीक था, जिसने उन्हें संघर्ष से सफलता तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस भेंट को बड़ी आत्मीयता और सम्मान के साथ स्वीकार किया।
राजीविका योजना की सफलता का प्रतीक
जिला परियोजना प्रबंधक दिनेश मिश्रा के अनुसार, सुमित्रा देवी की सफलता इस बात का प्रमाण है कि राजीविका योजना जैसी सरकारी पहलों ने जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण का कार्य किया है। यह योजना न केवल आर्थिक सहायता देती है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और बाजार तक पहुंच भी उपलब्ध कराती है।