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एयर स्ट्राइक विवाद के बाद गहलोत बोले- सांसद चयन में सरकार की ‘शरारत’

एयर स्ट्राइक विवाद के बाद गहलोत बोले- सांसद चयन में सरकार की ‘शरारत’

शोभना शर्मा ।   जयपुर में सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एयर स्ट्राइक के बाद कांग्रेस सांसदों के विदेश दौरे के चयन को लेकर उठे विवाद को सरकार की “शरारत” करार दिया। गहलोत ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम विपक्ष को कमजोर करने और कांग्रेस के भीतर भ्रम फैलाने की एक सोची-समझी योजना का हिस्सा है।

गहलोत ने शशि थरूर का नाम लेते हुए कहा कि वे अनुभवी नेता हैं और अंतरराष्ट्रीय मामलों की अच्छी समझ रखते हैं। थरूर संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुके हैं और विदेश राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। इसलिए यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे पार्टी हाईकमान को जानकारी देते कि सरकार की ओर से उन्हें विदेश प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव मिला है। अगर वे समय रहते पार्टी से परामर्श कर लेते, तो यह विवाद पैदा ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि थरूर की चूक और सरकार की मंशा, दोनों ही साफ नजर आ रही हैं।

गहलोत ने किरण रिजिजू पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि कांग्रेस से नाम नहीं मांगे गए, लेकिन दूसरी ओर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन कर नाम भेजने को कहा गया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर नाम नहीं मांगे थे, तो फोन क्यों किया गया? यह सब भ्रम फैलाने और कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के चार सांसद विदेश जाकर देश का पक्ष मजबूती से रखेंगे और यह विवाद अब खत्म हो जाना चाहिए। लेकिन सरकार का यह रवैया गलत है, जो विपक्ष के भीतर फूट डालने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा की गई एयर स्ट्राइक को सूझबूझ भरा कदम बताया। उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और न ही पाकिस्तानी सेना को, न ही किसी नागरिक क्षेत्र को। इससे पूरी दुनिया को यह संदेश गया कि भारत आतंकवाद से लड़ रहा है, न कि किसी देश से।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर गहलोत ने कहा कि उनका यह कहना कि उन्होंने भारत-पाक के बीच सीजफायर करवाया, बेहद खतरनाक बयान है। उन्होंने कहा कि भारत की हमेशा से यही नीति रही है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है, और किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

गहलोत ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस दिन ट्रंप ने ट्वीट किया, उसी दिन भारत सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए था कि कोई तीसरा पक्ष इस विवाद में शामिल नहीं होगा। लेकिन अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि ट्रंप की बयानबाज़ी से देशभर में लोगों में नाराजगी है और सरकार अब ‘तिरंगा यात्रा’ के जरिए डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है। लेकिन इसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश गलत है। उन्होंने दोहराया कि पूरा देश सेना के साथ है, लेकिन सेना के नाम पर राजनीति करना अनुचित है।

अंत में गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री को तुरंत स्पष्ट बयान देना चाहिए कि कश्मीर मामले में कोई तीसरा पक्ष स्वीकार नहीं होगा, ताकि देश की जनता को विश्वास मिल सके और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की स्थिति स्पष्ट हो सके।

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