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सरिस्का टाइगर रिजर्व में बढ़ेंगे सफारी रूट

सरिस्का टाइगर रिजर्व में बढ़ेंगे सफारी रूट

शोभना शर्मा । सरिस्का टाइगर रिजर्व में वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए जल्द ही रोमांचक और विस्तारशील अनुभव मिलने जा रहा है। अलवर के डीएफओ अभिमन्यु साहरण ने जानकारी दी है कि सरिस्का में बाघों की संख्या और उनकी सक्रियता को देखते हुए नए सफारी रूट विकसित किए जाएंगे। यह पहल टाइगर कंजर्वेशन प्लान के तहत की जा रही है, जिसका लक्ष्य वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ सतत पर्यटन को भी बढ़ावा देना है।

वर्तमान में सरिस्का का महज 6 से 7 प्रतिशत क्षेत्र ही पर्यटकों के लिए खुला है। लेकिन इस योजना के पूरी तरह लागू होने के बाद यह क्षेत्रफल 12 से 14 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। यह न केवल पर्यटकों को बेहतर वन्यजीव दर्शन का अवसर देगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकीय संतुलन को भी सुदृढ़ करेगा।

तालवृक्ष रेंज में बाघों की बढ़ती संख्या और बेहतर साइटिंग का अवसर

सरिस्का टाइगर रिजर्व के उत्तरी हिस्से और विशेष रूप से तालवृक्ष रेंज को बाघों की उपस्थिति के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यही क्षेत्र बाघों की गतिविधियों और मूवमेंट का मुख्य केंद्र बन चुका है। हाल ही में इसी रेंज में एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है, जिससे क्षेत्र में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

हालांकि वर्तमान में इस क्षेत्र में पर्यटकों के लिए सीमित सफारी मार्ग हैं, लेकिन नए सफारी रूट विकसित होने के बाद पर्यटकों को यहां बेहतर टाइगर साइटिंग का अनुभव मिलेगा। इससे सरिस्का की पहचान केवल एक रिजर्व ही नहीं, बल्कि एक प्रमुख वन्यजीव पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक सशक्त होगी।

टाइगर ट्रैकिंग के लिए सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था सख्त

हाल ही में रणथंभौर में एक वन रेंजर पर बाघ के हमले की घटना के बाद सरिस्का में भी बाघों की ट्रैकिंग प्रक्रिया को अधिक सतर्क और सुरक्षित बनाया गया है। अब तक जहां ट्रैकिंग के लिए दो सदस्यीय टीम काम करती थी, वहीं अब चार सदस्यों वाली विशेष टीम को तैनात किया गया है। यह टीम बाघों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

साथ ही पांडुपोल मंदिर मार्ग पर दोपहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। क्षेत्र में सुरक्षा चौकियों और नाकों पर निगरानी बढ़ाई गई है। सभी प्रमुख मार्गों पर बैरिकेड्स और साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं, जिनमें टाइगर मूवमेंट की जानकारी दी जाएगी। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे समूह में ट्रैकिंग करें और सभी आवश्यक सुरक्षा उपकरण साथ रखें।

पर्यटन और संरक्षण के बीच संतुलन का प्रयास

डीएफओ अभिमन्यु साहरण ने स्पष्ट किया है कि नए सफारी रूट केवल पर्यटन को बढ़ाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि टाइगर ह्यूमन इंटरफेस को नियंत्रित करने और बाघों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखने के लिए भी बनाए जा रहे हैं। ये रूट इस तरह से विकसित किए जाएंगे कि टाइगर मूवमेंट वाले क्षेत्रों की सुरक्षा बनी रहे, और पर्यटकों को भी एक सुरक्षित और रोमांचक अनुभव मिले।

इस योजना को आगामी 10 वर्षों में पूर्ण किया जाएगा, और इसमें वन विभाग, टाइगर रिजर्व प्रबंधन, वैज्ञानिक सलाहकार तथा स्थानीय समुदाय की भूमिका भी शामिल होगी। इससे जहां एक ओर सरिस्का में स्थायी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर वन्यजीवों के संरक्षण में भी उल्लेखनीय योगदान मिलेगा।

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